पिछले दिनों पत्रकारों से जुड़े दो आयोजन हुए। बोधगया में इंडियन जर्नलिस्ट यूनियन की ओर से दो दिनी सम्मेलन और दिल्ली में कंचना स्मृति न्यास की तरफ से व्याख्यानमाला। बोधगया में दो दिनी सम्मेलन में नेताओं की भरमार रही। सम्मेलन के पहले दिन एनडीए नेता तो दूसरे दिन यूपीए नेता छाए रहे। मीडिया के इस आयोजन में राजनीति हावी रही और पत्रकारों के मुद्दे गायब रहे। इस मौके पर सहारा समय के बिहार-झारखंड के चैनल हेड संजय मिश्र समेत 10 पत्रकारों को सम्मानित भी किया गया।
सम्मेलन में वर्तमान दौर में पत्रकारों के समक्ष चुनौती विषय पर चर्चा की गई। इसके अलावा पत्रकारों के वेज बोर्ड के बारे में भी बातचीत की गई। समारोह में लालू प्रसाद यादव, रामविलास पासवान, सुशील कुमार मोदी, उदय नारायण चौधरी, दिग्विजय सिंह, शत्रुघ्न सिन्हा आदि मौजूद थे। बिहार श्रमजीवी पत्रकार यूनियन के अध्यक्ष कमलेश सिंह और महासचिव अरुण कुमार ने भी विचार व्यक्त किए।
पिछले दिनों दिल्ली में राजेंद्र भवन में कंचना स्मृति न्यास की तरफ से पांचवें कंचना स्मृति व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया। भारतीय लोकतंत्र के सवाल विषय पर आयोजित इस व्याख्यानमाला में विख्यात गांधीवादी नेता और दर्शनशास्त्री प्रो. रामजी सिंह, पूर्व विधि एवं न्याय मंत्री शांति भूषण, पूर्व केंद्रीय मंत्री और सांसद दिग्विजय सिंह, जानी-मानी पत्रकार और विश्लेषक नीरजा चौधरी और दैनिक हरिभूमि के स्थानीय संपादक अरविंद कुमार सिंह ने अपने विचार रखे।
अरविंद कुमार सिंह ने बताया कि पत्रकार कंचना की दर्दनाक मौत के बाद उनकी जीवंत तथा बहुआयामी सक्रियता को सम्मान देने के इरादे से यह आयोजन हो रहा है। उन्होंने कहा कि इस बार कंचना स्मृति पुरस्कार के लिए कई नाम पर व्यापक विचार-विमर्श के बाद भी कोई मानकों पर खरा नहीं उतरा। इस नाते कंचना स्मृति न्यास के प्रबंध न्यासी अवधेश कुमार ने पुरस्कार की राशि को इस साल बिहार के बाढ़ पीड़ितों को मदद स्वरूप देने का फैसला लिया है। इस व्याख्यानमाला की अध्यक्षता प्रो. रामजी सिंह ने की जबकि संचालन वरिष्ठ पत्रकार शेष नारायण सिंह ने किया। धन्यवाद ज्ञापन पत्रकार जयप्रकाश पांडेय ने किया।
समारोह में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति अच्युतानंद मिश्र, कंचना स्मृति न्यास के अध्यक्ष रामबहादुर राय तथा प्रबंध न्यासी अवधेश कुमार, वरिष्ठ पत्रकार प्रबाल मैत्र, भाजपा के पूर्व महासचिव संजय जोशी, रामकृपाल सिन्हा, मृदुला सिन्हा, देवदत्त, बनारसी सिंह, डा. रवींद्र अग्रवाल, पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ, जगदीश यादव, रमाकांत पांडेय, गांधी शांति प्रतिष्ठान के सुरेंद्र भाई, रमेश शर्मा तथा बाबूलाल शर्मा, डा. ओंकार मित्तल, पूर्व मंत्री बालेश्वर त्यागी, सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता प्रशांत भूषण, उमेश चतुर्वेदी, चित्रा फुलोरिया, किसान नेता नरेश सिरोही, झुग्गी झोपड़ी मोर्चा के अध्यक्ष जवाहर सिंह, डा. रघुवीर कपूर तथा वरिष्ठ लेखक शमशेर अहमद खान समेत बड़ी संख्या में लेखक, पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता मौजूद थे।