डीएवीपी की पैनल एडवाइजरी कमेटी में प्रकाशकों को स्थान मिले : भारतीय भाषाई समाचार पत्र संगठन (इलना) की नई गठित कार्यकारिणी व पदाधिकारियों की बैठक नई दिल्ली के दीनदयाल शोध संस्थान में हुई, जिसमें भाषाई समाचार पत्रों के हित में कई फैसले लिए गए। कार्यकारिणी ने मांग की कि डीएवीपी की पैनल एडवाइजरी कमेटी में प्रकाशकों को ही स्थान मिलना चाहिए क्योंकि संपादकीय पक्ष से जुड़े समाचार पत्रों के प्रतिनिधि प्रबंधन की समस्याएं नहीं जानते।
कार्यकारिणी ने यह भी मांग की कि डीएवीपी की विज्ञापन दरों को तय करने के लिए नियुक्त कमेटी को भारतीय भाषाओं को अतिरिक्त वजन देना चाहिए क्योंकि भारतीय भाषाई प्रकाशन दुर्गम परिस्थितियों में छोटे-छोटे स्थानों से भी निकलते हैं। वेजबोर्ड के मामले में कार्यकारिणी ने स्पष्ट मांग की कि भारतीय भाषाई प्रकाशनों को किसी भी वेजबोर्ड की सिफारिश से दूर रखा जाए और उन्हें राज्य द्वारा निर्धारित न्यूनतम वेतन दरों के दायरे में रहने का दायित्व ही काफी है। इसका कारण इन समाचार पत्रों को बड़े अखबारों के मुकाबले सरकारी विज्ञापन और सुविधाएं बहुत ही कम भाग में मिल पाती हैं।
बैठक की अध्यक्षता इलना अध्यक्ष परेश नाथ (दिल्ली प्रेस) ने की। इसमें पूर्व अध्यक्ष राजेंद्र शर्मा (स्वदेश), सुनील डांग (राजधानी टाइम्स), उपाध्यक्ष अरविंद चोपड़ा (पंजाब केसरी), महासचिव रवि कुमार विश्नोई (केसर खुशबू टाइम्स) व चेतन कश्यप (चेतना मुंबई), कोषाध्यक्ष चंद्रकांत भावे (डाक) थाणे सहित कार्यकारिणी सदस्य विवेक गुप्ता, लुबना आसिफ, संजय गुप्ता, गिरीश अग्रवाल, राजीव वशिष्ठ, अंकित विश्नोई, यशपाल सिंह, विपिन मोहन शर्मा व जय प्रकाश पांडेय थे।
आखिर में दिल्ली के स्थानीय सदस्यों ने दिल्ली सरकार के अधीन काम कर रही डीआईपी गलत नीतियों का मसला उठाया और कहा कि इस बाबत मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को ज्ञापन दिया जाना चाहिए कि डीआईपी ने विज्ञापनों के वितरण के लिए ए और बी कैटगरी क्यों बना रखी है। दिल्ली के प्रतिनिधियों में पीके बजाज, शिव कुमार तिवारी, अरविंद कुमार सिंह, कुमार विजय, वेद प्रकाश व राजू वर्मा शामिल थे।