: कहीं सरकारी विज्ञापन पाने के लिए बैकडेट में अखबार प्रकाशित तो नहीं दिखा दिया गया : पहला अंक आते ही मीडिया के लोगों के बीच तरह-तरह की चर्चा : उत्तर प्रदेश में बहुप्रतीक्षित बहुजन समाज पार्टी का मुखपत्र जनसंदेश टाइम्स आज पाठकों के हाथ में पहुंचा तो साज-सज्जा के साथ नीले रंग का जिस तरह का प्रयोग किया गया है, उसको देखकर मीडिया के लोग हतप्रभ रह गए।
हालांकि ज्यादातर लोग पहले से ही माने बैठे हैं कि यह अखबार बसपा सरकार के लोगों का है और बहिन जी के इशारे पर निकाला गया है तो माहौल व कलर नीलामय रहेगा ही। पर सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात हुई है बीस पेज के चार रुपए मूल्य के अखबार में सरकारी विज्ञापनों की बौछार देखकर। इन विज्ञापनों को देखकर अखबार पर राज्य सरकार के वरदहस्त का अंदाजा आप खुद सहज ही लगा सकते हैं। सात फरवरी को गन्ना संस्थान के प्रेक्षागृह में सरकारी तामझाम के साथ इस अखबार का लोकर्पण हुआ। लोकार्पण के बाद अगले दिन आज मंगलवार को पाठकों के हाथ में पहुंचे जनसंदेश टाइम्स की छपाई देखकर जहां पाठकों को निराशा हुई, वहीं जनसंदेश टाइम्स के मास्टर हेड के ऊपर ‘परख सच की’ का स्लोगन देखकर थोड़ा राहत महसूस हुआ।
इसी स्लोगन के ऊपर जब लोगों की निगाह गयी तो तमाम लोग चौंक गए। पहले दिन पाठकों के हाथ में पहुंचे इस अखबार में आरएनआई नियमों के तहत जो जानकारी सभी अखबार देते हैं, उसमें गोलमाल जनसंदेश टाइम्स के पहले अंक में ही दिखा। जनसंदेश ने वर्ष 01, अंक 253 (पहला अंक पाठकों के हाथ में), पृष्ठ 20, मूल्य चार रुपए लिखा है। पाठकों के अब यह नहीं समझ में इस अखबार के 252 अंक किसके हाथ में जाते रहे। सूत्रों का कहना है कि इसके पीछे सरकारी विज्ञापन का खेल है। अखबार के लोकार्पण से पहले इसको गुपचुप छापकर विज्ञापन की सरकारी मान्यता करा ली गयी है। सरकारी मान्यता के चलते सरकारी विभाग बसपा का मुखपत्र समझकर विज्ञापन देने में खूब दरियादिली दिखाए हैं। परख सच की नारा देने वाले जनसंदेश टाइम्स की इस हकीकत को आप भी अखबार देखकर लगा सकते हैं। साभार : पूर्वांचलदीप डाट काम
shailendra shukla
February 8, 2011 at 7:13 pm
sab golmal hai bhai ji
jasvinder singh sabharwal
February 9, 2011 at 5:06 am
this is right newspaper for audience.
One day this newspaper is number one in UP. After one year this paper should be in number 5th in India.
best wishes.
manish srivastava
February 9, 2011 at 9:32 am
yashwant bhai, jansandesh ke office aa jaye sabhi ank dekh le. abhee tak ye akhbar apne pathko ke beech pahuch raha tha aur iski badhti lokpriyeta dekh kar hi ise vyapak star per laya ja raha hai. isiliye lokarpan smaroh hua tha, jisme aapko bhee sammanporvak amantrit kiya tha. aap wahi apni shanka ko batate tou aapko samadhan mil jata.
jaha tak batt neele rang ki hai woh hame tou nahi dikha. aur ek batt akhbar dekhe tou samajh jayenge ki khabron ki dharr may koi kami nahi hai.
BM Tripathi
February 9, 2011 at 2:18 pm
बंधुवर,
जनसंदेश टाइम्स के २५२ अंक पाठकों के पास गये. आप चाहें तो हमारे कार्यालय में पधार कर सारे अंको का अवलोकन कर सकते हैं. जहाँ तक नीले रंग की बात है, बहुत कम समाचार पत्र होंगे जो अपने पन्नों पर इसका इस्तेमाल न करते हों. लेकिन यह सच है कि जिसे आप नीला कह रहे हैं, वह वैसा है नहीं. आग्रह है कि इस पर फिर से ध्यान दें यह नीला रंग नहीं है. देखें कि आपके देखने में कोई गलती तो नहीं हुई है. इसी तरह हमारी खोट निकालते रहें तो अच्छा लगेगा.
धन्यवाद्.
Harishankar Shahi
February 15, 2011 at 5:18 pm
यशवंत भाई साहब यह तो सिर्फ एक बानगी है ऐसे कई सारे खेल हैं लगता इसके पीछे. इस अखबार के पत्रकार लोग हल्ला मचाते घूम रहे हैं की यह सत्ता धारी पार्टी प्रमुख का ही अखबार है. जिससे अधिकारी डरेंगे और कमाई होगी. यहाँ तक सुना जा रहा है की पत्रकार बनाने के लिए ब्लाक रिपोर्टरों से पैसे मांगे जा रहे हैं. सब गोलमाल है.
Dharmendra BAJPAI
February 16, 2011 at 10:00 am
252 ISSUE KA PATA INFOMATION DEPARTMENT MAIN CHAL JAYEGA.