इनमें एक पत्रकारिता का छात्र : हरदोई जिले में पत्रकारिता के मुंह पर फिर कालिख पुती है. इस बार यह कारनामा करने वाले प्रदेश की राजधानी लखनऊ से ताल्लुक रखने वाले हैं. हरदोई की पुलिस ने एक शिकायत पर तीन लोगों को गिरफ्तार किया है. तीनों नयी उम्र के लड़के हैं जो अपने को एक न्यूज़ चैनल का पत्रकार बता कर एक झोलाछाप डाक्टर से पैसे वसूलने की कोशिश में थे. इनमे से एक अभी पत्रकारिता में कोर्स कर रहा है. पुलिस को इन लोगों के पास से जो सामान मिला है, वह भी अपने आप में चौंकाने वाला है. फर्जी परिचय पत्रों के अलावा एक बड़ा कैमरा, दो मोबाइल फोन और तेरह सिम कार्डों की बरामदगी से इन तथाकथित पत्रकारों की नीयत का खुलासा खुद ब खुद हो जाता है। हरदोई के पुलिस अधीक्षक ओपी सागर ने इन नवोदित पत्रकारों को पकड़ने के बाद हरदोई के पत्रकारों के सामने परेड भी करायी. लखनऊ में पत्रकारिता की पढ़ाई कर रहे सरफ़राज़गंज का रहने वाला विशाल गुप्ता इन सबका सरगना निकला.
यह अपने दो अन्य सहयोगियों संतोष मौर्या और सोहेब खान के साथ प्लेटिना मोटरसाइकिल से संडीला कस्बे में एक डाक्टर शरद श्रीवास्तव की क्लीनिक ‘खरे क्लीनिक’ पर पंहुचा. पहुंचते ही पैनासोनिक के एमडी नाइन थाउजेंड कैमरे से क्लीनिक की वीडियोग्राफी करने लगा. करीब बीस मिनट तक अपने काम को अंजाम देने के बाद इन कथित पत्रकारों का दल डाक्टर शरद के पास पहुंचा और उनसे उनकी डिग्री मांगी. उनकी डिग्री को फर्जी बताते हुए खुद को ‘सहारा समय उत्तर प्रदेश’ का रिपोर्टर बताते हुए डाक्टर शरद को धमकाया कि अगर खबर चैनल पर भेज दी तो तुम्हारी दुकान बंद हो जायेगी और जेल जाओगे अलग से. इस पर डाक्टर ने उन्हें ऐसा ना करने को कहा तो कथित पत्रकारों ने उनसे तीन हजार रुपये की मांग की. बात कम-ज्यादा पैसों की होने लगी. धीरे-धीरे डाक्टर की क्लिनिक पर भीड़ बढ़ने लगी. जब लोगों ने यह सुना की पत्रकारिता का तोल-मोल चल रहा है तो भीड़ इन कथित पत्रकारों को पत्रकारिता का इनाम देने पर अमादा हो गयी. भीड़ के गुस्से को देख कर कुछ लोगों ने पुलिस को खबर कर दी. पत्रकारों के भीड़ से घिरा होने की सूचना पाकर पुलिस मौके पर तत्काल पहुंच गयी. भीड़ के हाथों इन नवोदित तथाकथित पत्रकारों को इनाम मिलता, उससे पूर्व ही पुलिस इनको बचा कर थाने ले आई.
पुलिस भी इनसे पूछताछ में पहले धोखा खा गयी, जब इन लोगों ने सहारा समय के रिपोर्टर और कैमरामैन के अपने पहचान पत्र पुलिस को दिखाए. पुलिस के लोगों ने इन लोगों की तस्दीक करने के लिए हरदोई और लखनऊ के मीडिया के लोगों से संपर्क साध कर जब इनकी असलियत पता की तो कुछ देर में पूरा मामला सामने आ गया कि जिन लोगों को पुलिस ने पकड़ा है, उनका दूर-दूर तक सहारा संस्थान से कोई लेना-देना नहीं है. यह लोग पत्रकारिता की आड़ में इसी तरह की कार्रवाई को अंजाम देते हैं. पुलिस को जब यह यकीन हो गया कि सामने खड़े युवक पत्रकार नहीं हैं तो उनकी तलाशी ली गयी. तलाशी में उनके पास कई फर्जी पहचान पत्र और तेरह सिम कार्ड बरामद हुए. इसके बाद पुलिस ने तीनों को डाक्टर शरद की और से दर्ज कराये गए मुक़दमे पर जेल भेज दिया. मामला पत्रकारों से जुड़ा था, इसलिए कहीं कोई चूक ना हो जाये और पत्रकारों पर पुलिस का रौब भी ग़ालिब हो जाये, इसलिए जिले के पुलिस कप्तान ओपी सागर ने इन कथित नवोदित पत्रकारों की हरदोई के पत्रकारों के सामने परेड भी करायी और पत्रकारों को पूरी कहानी बताई. हरदोई के पत्रकारों ने पुलिस कप्तान को साफ शब्दों में बता दिया कि पत्रकार किसी भी अवैध वसूली के पक्ष में कतई नहीं हैं. जो भी ऐसा काम कर रहा है, उसे जेल भेजा जाये, चाहे वह पत्रकार हो या अधिकारी.