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अय्याशी करने नेपाल गए पत्रकार पिटकर लौटे

देश के एक बड़े अखबार के पूर्वी उत्तर प्रदेश के एक जिले के ब्यूरो चीफ और एक रिपोर्टर को नेपाल में रंगरेलियां मनाते हुए पकड़ा गया। इसके बाद कथित तौर पर माओवादियों ने मुंह काला कर इन्हें सड़कों पर घुमाया और पीटा। सूत्रों के अनुसार बनारस और आसपास के प्रत्येक मीडियाकर्मी के लिए चर्चा का विषय बना यह प्रकरण नेपाल के पोखरा इलाके के अखाबरों में प्रकाशित हुआ ही है, पूर्वी उत्तर प्रदेश के भी कई अखबारों में भी छपा। भड़ास4मीडिया के पास ब्यूरो चीफ और रिपोर्टर, दोनों के नाम, पहचान के सभी प्रमाण व अखबारों में छपी खबरों की कटिंग है लेकिन इन पत्रकारों के करियर और भविष्य को देखते हुए इनके व इनके अखबार का नाम प्रकाशित नहीं किए जा रहा है।

<p align="justify">देश के एक बड़े अखबार के पूर्वी उत्तर प्रदेश के एक जिले के ब्यूरो चीफ और एक रिपोर्टर को नेपाल में रंगरेलियां मनाते हुए पकड़ा गया। इसके बाद कथित तौर पर माओवादियों ने मुंह काला कर इन्हें सड़कों पर घुमाया और पीटा। सूत्रों के अनुसार बनारस और आसपास के प्रत्येक मीडियाकर्मी के लिए चर्चा का विषय बना यह प्रकरण नेपाल के पोखरा इलाके के अखाबरों में प्रकाशित हुआ ही है, पूर्वी उत्तर प्रदेश के भी कई अखबारों में भी छपा। भड़ास4मीडिया के पास ब्यूरो चीफ और रिपोर्टर, दोनों के नाम, पहचान के सभी प्रमाण व अखबारों में छपी खबरों की कटिंग है लेकिन इन पत्रकारों के करियर और भविष्य को देखते हुए इनके व इनके अखबार का नाम प्रकाशित नहीं किए जा रहा है। </p>

देश के एक बड़े अखबार के पूर्वी उत्तर प्रदेश के एक जिले के ब्यूरो चीफ और एक रिपोर्टर को नेपाल में रंगरेलियां मनाते हुए पकड़ा गया। इसके बाद कथित तौर पर माओवादियों ने मुंह काला कर इन्हें सड़कों पर घुमाया और पीटा। सूत्रों के अनुसार बनारस और आसपास के प्रत्येक मीडियाकर्मी के लिए चर्चा का विषय बना यह प्रकरण नेपाल के पोखरा इलाके के अखाबरों में प्रकाशित हुआ ही है, पूर्वी उत्तर प्रदेश के भी कई अखबारों में भी छपा। भड़ास4मीडिया के पास ब्यूरो चीफ और रिपोर्टर, दोनों के नाम, पहचान के सभी प्रमाण व अखबारों में छपी खबरों की कटिंग है लेकिन इन पत्रकारों के करियर और भविष्य को देखते हुए इनके व इनके अखबार का नाम प्रकाशित नहीं किए जा रहा है।

गोरखपुर के बिलकुल करीब होने के कारण नेपाल में आसपास के जिलों के पत्रकारों की आवाजाही खूब रहती है। पिछले कुछ वर्षों से नेपाल में यूपी के प्रभावशाली लोग अय्य़ाशी के मकसद से भी जाने लगे हैं। इन दिनों जब नेपाल में माओवाद का बोलबाला है, अय्याशी करने वाले लोग स्थानीय नेताओं के निशाने पर ले लिए जा रहे हैं। कुछ लोगों का कहना है कि वसूली के मकसद से भी नेपाल में जा रहे भारतीयों पर गलत आरोप लगाकर उन्हें बंधक बना लिया जा रहा है। एक बड़े अखबार के एक जिले के ब्यूरो चीफ और इसी अखबार का नेपाल बार्डर का एक संवाददाता पिछले दिनों साथ-साथ नेपाल गए। मकसद छुट्टियां बिताना था। वहां ये लोग पोखरा इलाके के एक होटल में ठहरे। बाद में दलाल के जरिए स्थानीय लड़कियां बुलवा लीं। इन लोगों ने चार में से दो लड़कियों को तो होटल में अपने साथ रोक लिया जबकि दो लड़कियों को जाने को कह दिया। जो दो लड़कियां मौके से लौटा दी गईं, उन्होंने स्थानीय माओवादी नेताओं से होटल में गलत काम होने की शिकायत कर दी। इसके बाद स्थानीय नवयुवकों की एक टीम ने होटल पर धावा बोल दिया और दोनों पत्रकारों को आपत्तिजनक अवस्था में पकड़ा। स्थानीय युवकों ने नेपाली लड़कियों को तो जाने दिया लेकिन भारीय पत्रकारों की सरेआम पिटाई। बाद में मुंह पर कालिख पोतकर इन्हें इलाके में घुमाया। स्थानीय अखबारों में घटना की खबर व तस्वीर प्रमुखता से प्रकाशित हुई। इस प्रकरण की चर्चा बार्डर तक पहुंची तो भारतीय संवाददाताओं को भी जानकारी हुई। इसके बाद एक एक कर कई अखबारों में इस मामले की खबरें छपने लगी।

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