राजू का अंतिम संस्कार, प्रेस क्लब ने दी मदद : छिंदवाड़ा के निर्भीक पत्रकार राजू गांवडे की असमय मृत्यु के बाद प्राथमिक राहत के तौर पर छिंदवाड़ा प्रेस क्लब ने गांवडे के परिवार को 5000 रुपए की आर्थिक सहायता दी है। गावंडे के परिवार को आर्थिक सहायता हेतु अन्य स्तरों पर भी प्रयास किए जा रहे हैं। स्थानीय पत्रकारों ने बताया कि 35 वर्षीय गावंडे को बड़े अधिकारियों एवं नेताओं की पोल खोलने की जैसे लत लगी हुई थी। परिवार में बूढ़ी मां, एवं पत्नी के अलावा कोई नहीं था। पूरे परिवार की जिम्मेदारी राजू के ऊपर ही थी। बावजूद इसके, वह समाज के ठेकेदारों के खुले खाते छापने से कोई गुरेज नहीं करते थे।
कई बार उनकी नौकरी तक इसी कारण से चली गई कि वो विज्ञापनदाताओं या अखबार के मुख्यालयों में बैठे अधिकारियों के मित्रों के खिलाफ भी खबर छाप दिया करते थे। गांवडे ने अपनी इस आदत को कभी नहीं छोड़ा और यही कारण रहा कि वह न तो अपने अधिकारियों की पसंद रहे और न ही सरकारी अधिकारियों की। गांवडे गरीबों से बेहद प्रेम करते थे। अमीरों और बड़े पदों पर बैठे लोगों के प्रति उनके मन में कोई आकर्षण नहीं था, बल्कि कहें तो उदासीन तटस्थता हुआ करती थी। तभी तो राजू उन अधिकारियों व नेताओं के खिलाफ खबरें छापने से गुरेज नहीं किया करते थे जिनसे अन्य कई पत्रकार नियमित तौर पर नजराने लिया करते थे। आम आदमी के हित में प्रशासन एवं राजनीति पर दबाव बनाए रखने वाले राजू गांवडे इस तरह अपनी जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ लेंगे, किसी ने सोचा भी नहीं था।