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दुख-दर्द

मीडिया उद्योग के अगुवा मैथ्यू का निधन

: मलयालम मनोरमा को स्थापित करने में अहम भूमिका रही : इन दिनों इस अखबार के मुख्य संपादक थे : पीटीआई के भी अध्यक्ष रहे : ‘द वीक’ उन्हीं की देन है : कोट्टायम। वरिष्ठ पत्रकार और मलयाला मनोरमा के मुख्य संपादक के एम मैथ्यू का रविवार सुबह उनके घर पर निधन हो गया। मैथ्यू (93) की पत्नी का निधन पहले ही हो चुका है।

<p style="text-align: justify;">: <strong>मलयालम मनोरमा को स्थापित करने में अहम भूमिका रही : इन दिनों इस अखबार के मुख्य संपादक थे : पीटीआई के भी अध्यक्ष रहे : 'द वीक' उन्हीं की देन है</strong> : कोट्टायम। वरिष्ठ पत्रकार और मलयाला मनोरमा के मुख्य संपादक के एम मैथ्यू का रविवार सुबह उनके घर पर निधन हो गया। मैथ्यू (93) की पत्नी का निधन पहले ही हो चुका है।</p>

: मलयालम मनोरमा को स्थापित करने में अहम भूमिका रही : इन दिनों इस अखबार के मुख्य संपादक थे : पीटीआई के भी अध्यक्ष रहे : ‘द वीक’ उन्हीं की देन है : कोट्टायम। वरिष्ठ पत्रकार और मलयाला मनोरमा के मुख्य संपादक के एम मैथ्यू का रविवार सुबह उनके घर पर निधन हो गया। मैथ्यू (93) की पत्नी का निधन पहले ही हो चुका है।

दैनिक समाचार पत्र मलयाला मनोरमा को स्थापित करने में उनकी अहम भूमिका रही है। उनकी अगुवाई में मलयाला मनोरमा देश के प्रमुख मीडिया समूहों में से एक बन गया। दो जनवरी 1917 को पैदा हुए मैथ्यू 1954 में मलयाला मनोरमा के प्रबंध संपादक बने। अपने भाई के निधन के बाद 1973 में वह मुख्य संपादक नियुक्त किए गए। कुछ साल पहले उनके संस्मरण पुस्तक के रूप में प्रकाशित हुए थे जिसे व्यापक सराहना मिली। उनके पुत्र मैमन मैथ्यू मलयालम मनोरमा के संपादक हैं जबकि फिलिप मैथ्यू प्रबंध संपादक और जैकब मैथ्यू कार्यकारी संपादक हैं।

जीवन के अंतिम दिनों तक मैथ्यू पत्रकारिता से जुड़े रहे और कुछ सप्ताह पहले तक वह दफ्तर में खबरों पर चर्चा करते रहे। मैथ्यू विशेषतौर पर व्यापार और अर्थव्यवस्था से जुड़े मुद्दों पर सलाह दिया करते थे। अपने पत्रकारिता जीवन के दौरान मैथ्यू प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (पीटीआई) के अध्यक्ष रहे। उन्होंने इंडियन न्यूज पेपर सोसायटी (आईएनएस) और ऑडिट ब्यूरो ऑफ सर्कुलेशन (एबीसी) में अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। इसके अतिरिक्त उन्होंने कई प्रतिष्ठित जगहों पर काम किया। अंग्रेजी की प्रतिष्ठित पत्रिका ‘द वीक’ उनकी ही देन है। वह मनोरमा समूह से एक अंग्रेजी दैनिक निकालने में कामयाब नहीं हो सके।

मलयालम मनोरमा पहली बार 22 मार्च 1890 को प्रकाशित हुआ था। उस समय यह साप्ताहिक अखबार हुआ करता था और प्रत्येक शनिवार को प्रकाशित होता था। इसके बाद इस अखबार ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। आज मनोरमा एक बड़ा समूह बन चुका है और इसके 48 प्रकाशन हैं तथा 18 लाख से अधिक प्रतियों की बिक्री होती है।

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी ने उनके परिवार के सदस्यों से फोन पर बातचीत की और शोक व्यक्त किया। मुख्यमंत्री वी एस अच्युतानंदन, विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं सहित विभिन्न लोगों ने उनके निधन पर शोक जताया है। उन्हें पद्म भूषण सहित कई सम्मानों से नवाजा गया था। मैथ्यू नेहरू परिवार के काफी करीबी माने जाते थे।

केएम मैथ्यू के निधन पर मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में पत्रकारों के समूह ‘फ्रेंडस ऑफ मीडिया’ ने शोकसभा आयोजित कर श्रद्घांजलि दी। इस मौके पर वरिष्ठ पत्रकार दीपक तिवारी ने कहा कि मैथ्यू भाषाई पत्रकारिता के पुरोधा थे और 120 वर्ष पुराने मलयालम भाषा के पत्र मलयाला मनोरमा को नई उंचाइयों तक पहुंचाने में उनकी अहम भूमिका रही है। शोकसभा में ब्रजेश राजपूत, विजय मनोहर तिवारी, मनोज शर्मा, रंजन विवेक पटैरिया सहित कई वरिष्ठ पत्रकार मौजूद थे। सभी ने मैथ्यू के पत्रकारिता जगत को दिए योगदान को याद किया।

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