ता-उम्र इमानदारी के साथ काम करते हुए आर्थिक संकट में रहे लेकिन कभी उफ तक नहीं किया : वरिष्ठ पत्रकार रामकृष्ण पांडेय का पार्थिव शरीर दर्शनार्थ गाजियाबाद के सेक्टर 11 स्थित यूएनआई अपार्टमेंट में रखा गया है। उनका अंतिम संस्कार आज दोपहर बाद तीन बजे हिंडन नदी के किनारे किया जाएगा। पता चला है कि रामकृष्ण जी रिटायरमेंट के बाद अभी दो महीने पहले फिर से यूएनआई से कांट्रैक्ट बेसिस पर जुड़ गए थे। उन्हें डायबिटीज व अन्य कई शारीरिक दिक्कतें थीं। आर्थिक तंगी के कारण उन्हें गृहस्थी चलाने में कई बार बल्कि बार-बार मुश्किलों से दो-चार होना पड़ा लेकिन कहीं मुंह नहीं खोला।
रामकृष्ण जी के बड़े भाई राम नारायण पांडेय पटना में हैं और जाने-माने चित्रकार और मूर्तिकार हैं। खुद रामकृष्ण पांडेय प्रगतिशील लेखक संग में आजीवन सक्रिय रहे। वे एक एक्टिविस्ट जर्नलिस्ट के तौर पर जाने गए। रामकृष्ण पांडेय के बहनोई संजय कुंदन हैं जो दिल्ली में ही पत्रकार हैं। उनका एक कविता संग्रह भी है, जिसका नाम है- ‘आवाजें’। अपने वरिष्ठ साथी के निधन से दुखी यूएनआई के पत्रकार विनोद विप्लव ने कल रात फेसबुक पर एक छोटी-सी टिप्पणी दर्ज की है, जो इस प्रकार है-
‘जिंदगी तूने धोखे पे धोखे दिये, मौत से कम से कम ऐसी उम्मीद नहीं।’ हिन्दी की प्रमुख समाचार एजेंसी ‘यूनीवार्ता’ के समाचार संपादक रहे डा. रामकृष्ण पाण्डे की यही कहानी रही। ता-उम्र इमानदारी के साथ काम करते हुये आर्थिक संकट में रहे लेकिन कभी उफ तक नहीं किया। मघुमेह से लेकर दिल की बीमारियों से ग्रस्त रहने के बावजूद किसी को यहां तक कि घर वालों को अपने शरीर के अंदर पल रही विभीषिका की खबर नहीं लगने दी। आज शाम करीब आठ बजे जब डाक्टर के पास ले जाने की परिवार एवं और पड़ोस के लोगों ने जिद की तो यही कहते रहे अभी क्या है, कल सुबह डाक्टर को दिखा लेंगे।
वह खुद सीढ़ियों से उतरे और उन्हें रिक्शे पर बिठा कर पास के श्रीकृष्णा अस्पताल ले जाया गया, जहां चिकित्सक ने मामूली मुआयना करने के बाद संकेत दे दिया कि उनकी हालत बहुत खराब है। उन्हें तत्काल नरेन्द्र मोहन अस्पताल ले जाया गया जहां चिकित्सक ने कहा कि उनके शरीर के लगभग सभी मुख्य अंग बहुत खराब हो चुके हैं और अब बहुत देर हो चुकी है और मौत ने उन तक आने में कोई देरी नहीं की। जो आदमी खुद सीढ़ियों से उतरा हो और रिक्शे पर बैठ कर अस्पताल पहुंचा हो उससे जिंदगी ने मात्र दो घंटे में ही इतना बड़ा फरेब किया और हम जीवन और मौत के इस खेल का हम समझ नहीं सके।
रामकृष्ण पांडेय की कुछ तस्वीरें…