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दुख-दर्द

अपहरण नहीं हुआ, रास्ता भटक गए थे

रांची के जिन दो पत्रकारों के नक्सलियों द्वारा अपहरण किए जाने की खबर फैली थी, उनके बारे में पता चल रहा है कि वे लोग रास्ता भूल गए थे और भटकते हुए किसी गांव में पहुंच गए थे. बाद में काफी दूर पैदल चलने के बाद वे नेटवर्क के एरिया में आए और उनका फोन चालू हुआ. चाईबासा जिले के चक्रधरपुर इलाके में मुठभेड़ को कवर करने के लिए गए हुए थे ये दोनों पत्रकार। इनमें एक हैं मानस चौधरी और दूसरे हैं संजय वर्मा. मानस चौधरी अंग्रेजी अखबार ‘दि हिन्दू’ के फोटोग्राफर हैं. संजय वर्मा एक स्थानीय खबरिया सह मनोरंजन चैनल में कार्यरत हैं.

<p style="text-align: justify;">रांची के जिन दो पत्रकारों के नक्सलियों द्वारा अपहरण किए जाने की खबर फैली थी, उनके बारे में पता चल रहा है कि वे लोग रास्ता भूल गए थे और भटकते हुए किसी गांव में पहुंच गए थे. बाद में काफी दूर पैदल चलने के बाद वे नेटवर्क के एरिया में आए और उनका फोन चालू हुआ. चाईबासा जिले के चक्रधरपुर इलाके में मुठभेड़ को कवर करने के लिए गए हुए थे ये दोनों पत्रकार। इनमें एक हैं मानस चौधरी और दूसरे हैं संजय वर्मा. मानस चौधरी अंग्रेजी अखबार ‘दि हिन्दू’ के फोटोग्राफर हैं. संजय वर्मा एक स्थानीय खबरिया सह मनोरंजन चैनल में कार्यरत हैं.</p> <p>

रांची के जिन दो पत्रकारों के नक्सलियों द्वारा अपहरण किए जाने की खबर फैली थी, उनके बारे में पता चल रहा है कि वे लोग रास्ता भूल गए थे और भटकते हुए किसी गांव में पहुंच गए थे. बाद में काफी दूर पैदल चलने के बाद वे नेटवर्क के एरिया में आए और उनका फोन चालू हुआ. चाईबासा जिले के चक्रधरपुर इलाके में मुठभेड़ को कवर करने के लिए गए हुए थे ये दोनों पत्रकार। इनमें एक हैं मानस चौधरी और दूसरे हैं संजय वर्मा. मानस चौधरी अंग्रेजी अखबार ‘दि हिन्दू’ के फोटोग्राफर हैं. संजय वर्मा एक स्थानीय खबरिया सह मनोरंजन चैनल में कार्यरत हैं.

दोनों पत्रकारों के लोकेशन न मिलने और मोबाइल स्विच आफ होने से अपहरण की बात फैल गई थी. अपहरण की सूचना के बाद रांची के पत्रकारों के एक दल ने रांची के एसएसपी प्रवीण कुमार से मुलाकात की और पत्रकारों की रिहाई के लिए दबाव बनाया. पुलिस भी पत्रकारों की खोज में सक्रिय हुई. तभी अचानक पता चला कि दोनों पत्रकारों से संपर्क स्थापित हो गया है और ये लोग घर लौट रहे हैं. पत्रकारों का कहना है कि जंगल में रास्ता भटकने से ऐसे इलाके में पहुंच गये थे जहां मोबाइल कवरेज नेटवर्क नहीं था. दोनों पत्रकारों के सही-सलामत लौट आने से मीडिया से जुड़े लोगों और इनके परिजनों ने राहत की सांस ली है.

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