Connect with us

Hi, what are you looking for?

आयोजन

जंगल-जानवर जानने निकले पत्रकार

एक दिनी कार्यशाला : उत्तराखंड के रामनगर में विश्व प्रकृति निधि के तत्वावधान में मीडियाकर्मियों के लिए एक दिनी कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसमें वन्यजीव-मानव संघर्ष के साथ ही कारीडोर के महत्व के बारे में विस्तार से बताया गया। मीडिया कर्मियों को जंगल भ्रमण कराया गया। स्लाइड शो के जरिए कई जानकारियां दी गईं।

एक दिनी कार्यशाला : उत्तराखंड के रामनगर में विश्व प्रकृति निधि के तत्वावधान में मीडियाकर्मियों के लिए एक दिनी कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसमें वन्यजीव-मानव संघर्ष के साथ ही कारीडोर के महत्व के बारे में विस्तार से बताया गया। मीडिया कर्मियों को जंगल भ्रमण कराया गया। स्लाइड शो के जरिए कई जानकारियां दी गईं।

सोमवार को ईको टूरिज्म सेंटर चूनाखान में विश्व प्रकृति निधि के अधिकारियों ने मीडिया कर्मियों को जंगलों व वन्यजीवों का मानव जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव की जानकारी दी। सुबह मीडिया कर्मियों को करीब चार जिप्सियों में बैठाकर मनकंठपुर के जंगलों का भ्रमण कराया गया। इस दौरान संस्था के अधिकारियों ने उन्हें वन्यजीवों के पद चिन्हों, कारीडोरों के महत्व के बारे में बताया।

उन्होंने बताया कि आबादी के जंगलों में बढ़ते दबाव से जानवरों पर गहरा असर पड़ रहा है। दिल्ली से आए डा. दीपांकर घोष ने बताया कि देश में कानून की कमी नहीं है। पर्यटन के बढ़ने से जंगल व वन्यजीवों को नुकसान नहीं होना चाहिए। उन्होंने बताया कि जंगली जानवरों का शिकार दो प्रकार से होता है। एक तो शिकारी व्यावसायिक लाभ के लिए जंगली जानवरों को निशाना बनाते है। वहीं उच्च तबके के लोग महज शौकिया तौर पर मांस खाने के लिए शिकार करते हैं। उन्होंने कहा कि दो जंगलों के बीच से गुजरने वाले रास्ते को कारीडोर कहा जाता है। लेकिन आबादी बढ़ने से धीरे-धीरे कारीडोर खत्म हो रहे हैं। इसका नुकसान वन्यजीवों खासकर हाथियों को हो रहा है।

उन्होंने कहा कि आने वाले समय में घटते कारीडोरों से जानवरों में आनुवांशिक कुप्रभाव सामने आएंगे। वन्यजीव संरक्षण बगैर स्थानीय लोगों के संभव नही है। सुश्री विशेष ने बताया कि संरक्षण के साथ ही आजीविका भी बेहद जरूरी सवाल है। दोनों के बीच में विकास भी होना है। उन्होंने कहा कि तीनों को संतुलित ढंग से करने के लिए बीच का रास्ता चुने जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि जहां जंगल अधिक है, वहां गरीबी भी ज्यादा है। अगर गरीबों का विकास होता है तो जंगल की कुर्बानी देनी पड़ती है। अमीन अहमद ने वन्यजीवों का ज्ञान देने वाली वेबसाइटों की जानकारियां दी।

इस दौरान स्लाइड शो के माध्यम से पत्रकारों को देश के विभिन्न टाइगर रिजर्वों, अनेक प्रकार के वन्यजीवों, सरीसृप व बिल्ली प्रजाति के जीव-जन्तुओं के बारे में बताया गया। इस दौरान वन्यजीव संरक्षण को लेकर कई घंटों तक चर्चाओं का दौर चला। कार्यशाला में संस्था के डा. केडी कांडपाल, हेम तिवारी, वरिष्ठ पत्रकार ओपी पांडे, युगवाणी के जगमोहन रौतेला, पीटीआई से भुवन तिवारी, सहारा समय के गणेश रावत, दैनिक हिंदुस्तान से चंदन बंगारी, प्रभात ध्यानी, ईटीवी से गोविंद पाटनी, साधना न्यूज से खुशाल रावत, अमर उजाला से मदन बिष्ट, दैनिक जागरण से त्रिलोक रावत सहित अनेक मीडियाकर्मी मौजूद रहे।

एक दिनी कार्यशाला से संबंधित कुछ तस्वीरें यहां देख सकते हैं-

जंगल भ्रमण 1

जंगल भ्रमण 2

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

अपने मोबाइल पर भड़ास की खबरें पाएं. इसके लिए Telegram एप्प इंस्टाल कर यहां क्लिक करें : https://t.me/BhadasMedia

Advertisement

You May Also Like

Uncategorized

भड़ास4मीडिया डॉट कॉम तक अगर मीडिया जगत की कोई हलचल, सूचना, जानकारी पहुंचाना चाहते हैं तो आपका स्वागत है. इस पोर्टल के लिए भेजी...

Uncategorized

भड़ास4मीडिया का मकसद किसी भी मीडियाकर्मी या मीडिया संस्थान को नुकसान पहुंचाना कतई नहीं है। हम मीडिया के अंदर की गतिविधियों और हलचल-हालचाल को...

टीवी

विनोद कापड़ी-साक्षी जोशी की निजी तस्वीरें व निजी मेल इनकी मेल आईडी हैक करके पब्लिक डोमेन में डालने व प्रकाशित करने के प्रकरण में...

हलचल

[caption id="attachment_15260" align="alignleft"]बी4एम की मोबाइल सेवा की शुरुआत करते पत्रकार जरनैल सिंह.[/caption]मीडिया की खबरों का पर्याय बन चुका भड़ास4मीडिया (बी4एम) अब नए चरण में...

Advertisement