”अमरे होखे खातिर सरहद बनावल गइल बा, का ए हमार बाबू”. इस कविता ने एक बूढ़ी मां के कोख के दर्द को उकेर दिया। मनोज भावुक ने काव्य पाठ शुरु किया तो पूरा माहौल, शहीद बेटे की बूढ़ी मां के व्यथा को सुन नम हो गया। मनोज की इस कविता ने वरिष्ठ कवियों का दिल जीत लिया।
कविता सुनने के बाद कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डा. केदारनाथ सिंह ने मनोज भावुक को नारायणी साहित्य अकादमी के मंच पर सम्मानित करते हुए कहा ”भोजपुरी के झंडा तोहरा हाथ में बा.ओकरा के देश में फहरावs”। वरिष्ठ आलोचक नामवर सिंह ने भी सस्नेह टिप्पणी दी कि ” मनोज अपनी बोली के समर्थ कवि हैं.”
खुर्जा, उत्तर प्रदेश में नारायणी साहित्य अकादमी द्वारा कारगिल शहीद दाताराम की पावन स्मृति में आयोजित कवि सम्मेलन में कई प्रदेश के कवियों ने शिरकत किया. हिन्दी कवि-सम्मेलन में जब भोजपुरी के कवि मनोज को काव्य-पाठ के लिये आमंत्रित किया गया तो उन्होंने बड़ी सहजता व विनम्रता से कहा कि एक शहीद की स्मृति में मेरी भोजपुरी कविता पता नहीं आप तक संप्रेषित हो पाये या नहीं हालांकि संस्था के सचिव डा. पुष्पा सिंह विसेन ने मनोज का हौसला बढाया है कि जो विदेशों में भोजपुरी सुना सकते हैं और वहां के लोगों को समझा सकते हैं तो यह तो अपना ही घर है। मनोज के काव्य-पाठ के बाद डा. केदार नाथ सिंह ने कहा’ खूब संप्रेषित भइल भोजपुरी कविता.’