पटना से प्रकाशित होने वाले एक बड़े अखबार की एक खबर। ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने अपना दफ्तर पटना में खोल रखा है। स्वाभाविक है कि दफ्तर हैं तो कार्यकर्ता और नेता भी होंगे। सो इसके एक नेता ने ऐसी तीर मारी कि सब देखते रह गए। मान लीजिए नेता का नाम संजय है। संजय अपनी पार्टी का प्रेस रिलीज बराबर अखबारों में पहुंचाता था। पार्टी की औकात के अनुसार कभी-कभार किसी कालम में जगह भी मिल जाती थी। आते-जाते ब्यूरो और सिटी, दोनों डेस्कों पर जान-पहचान हो गयी। एक दिन वह सीधे बड़े साहब के चैम्बर में पहुंच गया और ऐसा वाण चलाया कि साहब ने लोकल डेस्क के एक सहकर्मी को उसकी रिलीज देकर कहा कि इसे बढ़िया से बनाकर लगा दो। हुआ भी यही। लोकल डेस्क ने खबर को तानकर लगा भी दिया और खबर सुबह छप भी गयी।
जब ब्यूरो वाले साहब ने खबर देखी तो हतप्रभ… जिसे हम सिंगल में भी छापने को तैयार नहीं होते थे, वह इतनी जगह घेरे हुए? यह कैसे हो गया? उन्हें लगा कि सिटी रिपोर्टिंग वाले भाई ने लगवाया होगा। सो उन्होंने सिटी प्रभारी को फोन किया और शिकायती लहजे में कहा कि जिसे हम सिंगल भी नहीं छापते थे, उसे आपने प्रमुखता से छपवा दिया। इस पर सिटी वाले भाई ने भी अनभिज्ञता जतायी और कहा कि हमें लगा कि आपने लगवाई है। ब्यूरो वाले साहब परेशान। आखिर खबर लगी कैसे। उन्हें लगा कि यह लोकल डेस्क वालों का खेल है। ब्यूरो वाले साहब डेस्क वालों की खबर लेने की रणनीति में जुट गए। शाम की मीटिंग में उन्होंने इस मामले को उठाया। बड़े साहब ने अनदेखी करते हुए कहा कि इसे छोड़िए, दूसरे विषयों पर बात करते हैं। लेकिन ब्यूरो वाले साहब इस बात पर अड़े रहे कि इसकी जांच हो कि यह खबर छपी कैसे? आखिर थक-हार कर बड़े साहब ने कहा कि खबर हमने लगवायी है। इसके बाद समझ ही सकते हैं कि सब चुप हो गए होंगे।
suchna singh
January 20, 2010 at 4:34 pm
Eisa to har jagah hota hai ies me naya kya hai ?
raju patel
January 29, 2010 at 9:13 am
sahab pr maya ki kripa ho gai hogi….