इस्तीफा देने के बाद फैजान बोले- जाफरी के धोखे के शिकार हुए हैं पत्रकार : बरेली से हाल में ही लांच हुए अखबार ‘खुसरो मेल’ से दो और लोगों के इस्तीफे की सूचना है. इनमें एक हैं खान एफ. रहमान और दूसरे हैं फैजान मुसन्ना. खान एफ. रहमान प्रतिभाशाली पत्रकार हैं और उन्होंने अमर उजाला, बरेली की जमी-जमाई नौकरी छोड़कर ‘खुसरो मेल’ के साथ नई पारी शुरू की.
‘खुसरो मेल’ में रहमान सिटी चीफ के रूप में काम कर रहे हैं. बताया गया है कि रहमान फिलहाल नोटिस पीरियड पर चल रहे हैं और कुछ ही दिनों ‘खुसरो मेल’ को अलविदा कह देंगे. फैजान मुसन्ना लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार हैं और वहां उर्दू दैनिक ‘आग’ में कार्यरत थे. फैजान मुसन्ना ने ‘खुसरो मेल’ से तब इस्तीफा देने का फैसला किया जब सेलरी संकट बढ़ने लगा.
सूत्रों का कहना है कि ‘खुसरो मेल’ के कर्ताधर्ता बसपा नेता शेर अली जाफरी कई कालेजों के मालिक भी हैं. जल्द ही कालेजों में एडमिशन की प्रक्रिया शुरू होगी तो संभावना जताई जा रही है कि अखबार में काम करने वालों की भी माली हालत सुधरेगी. फैजान मुसन्ना ने भड़ास4मीडिया को एक पत्र भेजकर ‘खुसरो मेल’ का हाल बयान किया है.
पूरा पत्र इस प्रकार है-
पत्रकार किससे भीख मांगे?
फैजान मुसन्ना
बरेली : बहुत जोर-शोर के साथ बहुजन समाज पार्टी के नेता शेर अली जाफरी ने हिंदी दैनिक ‘खुसरो मेल’ की शुरुआत की थी. दिल्ली और लखनऊ से बहुत से पत्रकारों को ठीक-ठाक वेतन के वादे पर बुलाया था. पत्रकारों को बुलाने के लिए भी बरेली के कुछ पत्रकारों का इस्तेमाल लिया गया था. ये बात अलग है कि वो बेचारे स्थानीय पत्रकार आज खुद जाफरी के धोखे का शिकार होकर खून के आंसू रो रहे हैं.
बाहर से बुलाये गए पत्रकारों से नियुक्ति पत्र का भी वादा किया गया था. मगर महीने भर काम करने के बाद भी जब उन पत्रकारों को वेतन और नियुक्ति पत्र नहीं दिया गया तो उन पत्रकारों में बेचैनी बढ़ी और उन्होंने जाफरी से इस बाबत बात की तो शेर अली जाफरी ने कहा- ”जानते नहीं हो, मेरी पार्टी की प्रदेश में सरकार है. मैं तुम सब को जेल भेजवा दूंगा.”
मेरी सूचना एवम प्रसारण मंत्रालय, भारतीय प्रेस परिषद्, डी.ए.वी.पी. और रजिस्ट्रार न्यूज़ पेपर ऑफ़ इंडिया के कर्ताधर्ताओं से हाथ जोड़ कर विनती है कि वो पत्रकारों के उत्पीड़न को रोकें. अब किसी भी समाचार पत्र को मान्यता देने से पहले उसके क्रर्मचारियों का फोटोयुक्त नियुक्ति पत्र व वेतन सम्बन्धी जानकारी का ब्योरा ज़रूर देखें.
साथ ही साथ ये भी सुनिश्चित करें कि न्यूज़ पेपर अपने प्रसार से सम्बंधित जो ब्योरा दे रहा है, उस कार्य को करने के लिए कितने कर्मचारी आवश्यक हैं. क्या उस न्यूज़ पेपर के पास उतने कर्मचारी हैं? और हैं तो उस न्यूज़ पेपर ने उनका ब्योरा क्या सम्बंधित विभागों को जमा किया है या नहीं.
chandrabhan
June 8, 2010 at 2:48 pm
bhai rahaman yh to hona hi tha. akhir ap fafudo ke bare me andaja kyo nahi laga payen..enka makasad papper nikalna kabhi nahi raha..bs apna kam banata, bhar me jaye janta..chlo jaldi jag gaye achha huaaa….jb se jago tabhi sabera
kamta prasad
June 9, 2010 at 2:58 am
क्यों भाई पत्रकारों में ऐसी क्या खास बात है कि वे बाकी मजदूरों से अलग हैं। आपको अपनी मांग को उद्योग की सभी शाखाओं के मजदूरों तक विस्तारित करना होगा।
Vedbhanu
June 9, 2010 at 6:49 am
dalalo apne bare me bi to batao.
raj shekhar aaj tak
June 9, 2010 at 4:21 pm
rehman bhai to qabil bahut bante they aur faizan to khud confuse hain . rehman ne hi faizan ko rakhwaya tha aab kyun ;););)rahi hai
kuldeep
June 9, 2010 at 4:49 pm
tum jaise log shuru se na jude hote to aaj akhbaar ki yah chhavi na hoti’ khar jaldi nikal diye nahi to akhbaar ko khatm hi karaa dete.
shri ram
June 10, 2010 at 3:22 pm
sab fraud hain
gavendra
June 10, 2010 at 5:10 pm
Rahman aur Mussanna hi kya 34 logo ne KHUSRO MAIL chora hai kisi ki bhi selery nahi de gay hai