यशवंत भाई, मुझे अपनी भड़ास निकालनी है। मैं एक अति प्रतिष्ठित दैनिक में चार वर्ष से कार्यरत हूं। अभी यहां एक सज्जन आए हैं, दो महीने पहले, रेजीडेंट एडिटर बनकर। वे कहते हैं कि 21 साल से पत्रकारिता कर रहे हैं। उनके श्रीमुख अनुसार…
बांग्लादेश युद्ध 1977 में हुआ था.
महात्मा बुद्ध का देहांत सारनाथ में हुआ था.
मुगल बादशाह के समय में टेलीफोन होते थे.
मोरारजी देसाई 92 वर्ष की आयु में प्रधानमंत्री बने.
ये सिर्फ कुछ उदाहरण हैं. ऐसी बहुत सी गल्तियां डेस्क पर ठीक की जाती हैं. परंतु फिर भी ऐसी अनेकों तथ्यपरक गल्तियां जाती हैं. ध्यान में लाने पर गालियां सुननी पड़ती हैं. चूंकि नए नए आए हैं ये महोदय तो इसीलिए नई दुल्हन की तरह इनके नखरे भी प्रबंधन अभी उठा रहा है। समझ में नहीं आता क्या करें?
आपका
एक पत्रकार मित्र