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विज्ञापन के लफड़े से लपेटे में आए ओपी?

बिहार के किसी पत्रकार ने एक ब्लाग शुरू किया है. नाम है ‘पटना की आवाज‘. इसमें महुआ न्यूज से बिहार ब्यूरो चीफ ओपी की विदाई की कहानी को बयान किया गया है. इसी ब्लाग पर महुआ से संबंधित एक और पोस्ट है. उसमें भी महुआ की अंदरुनी राजनीति के बारे में काफी कुछ बताया गया है. दोनों पोस्ट यहां पब्लिश कर रहे हैं. किसी को वर्णित तथ्यों के बारे में कुछ कहना हो तो कमेंट बाक्स या फिर [email protected] का सहारा ले सकता है. -एडिटर

<p style="text-align: justify;">बिहार के किसी पत्रकार ने एक ब्लाग शुरू किया है. नाम है '<a href="http://patnakiawaaz.blogspot.com/" target="_blank">पटना की आवाज</a>'. इसमें महुआ न्यूज से बिहार ब्यूरो चीफ ओपी की विदाई की कहानी को बयान किया गया है. इसी ब्लाग पर महुआ से संबंधित एक और पोस्ट है. उसमें भी महुआ की अंदरुनी राजनीति के बारे में काफी कुछ बताया गया है. दोनों पोस्ट यहां पब्लिश कर रहे हैं. किसी को वर्णित तथ्यों के बारे में कुछ कहना हो तो कमेंट बाक्स या फिर [email protected] का सहारा ले सकता है. -एडिटर</p>

बिहार के किसी पत्रकार ने एक ब्लाग शुरू किया है. नाम है ‘पटना की आवाज‘. इसमें महुआ न्यूज से बिहार ब्यूरो चीफ ओपी की विदाई की कहानी को बयान किया गया है. इसी ब्लाग पर महुआ से संबंधित एक और पोस्ट है. उसमें भी महुआ की अंदरुनी राजनीति के बारे में काफी कुछ बताया गया है. दोनों पोस्ट यहां पब्लिश कर रहे हैं. किसी को वर्णित तथ्यों के बारे में कुछ कहना हो तो कमेंट बाक्स या फिर [email protected] का सहारा ले सकता है. -एडिटर

पूंजीपतियों से हारती पत्रकारिता

आज १५ अगस्त २०१० की सुबह जब देश अपनी आजादी की वर्षगांठ मना रहा था, मैं हाथ में पटना का एक महत्वपूर्ण दैनिक अखबार लिए एक और आजादी की खबर पढ़ रहा था. लेकिन इस आजादी की खबर को पढ़कर मुझे ख़ुशी नहीं हुई. दैनिक के तीसरे पन्ने पर जिस तरह से यह  नोटिस (खबर नहीं सही मायने में नोटिस) छपा उससे एक बार फिर से पत्रकारिता की जलालत को मैंने महसूस किया. जनसाधारण को दी गई एक सूचना के तहत महुआ चैनल ने अपने पटना के पत्रकार ओमप्रकाश कि छुट्टी कर दी. अपने लम्बे अनुभव काल में मैंने आम तौर पर ऐसे नोटिस किसी के लापता होने, नाम बदलने, दिवालिया होने आदि पर छपते हुए देखा था. लेकिन मेरा यह पहला अनुभव था जब मैं किसी पत्रकार को उसके मालिकों द्वारा इस तरह सार्वजनिक तौर पर नोटिस देकर चैनल से छुट्टी को पढ़ रहा था और मेरे लिए इतना ही कम न था कि मैं इसे पढ़ने को विवश था.

ओमप्रकश का सिर्फ नाम ही नहीं छापा गया उनका पूरा परिचय भी छापा गया, मसलन पिता का नाम निवासी इत्यादि. साथ में एक निर्देश भी कि महुआ के कर्मी उनसे कोई सरोकार न रखें.  यह स्थिति अपने आप में बड़ी विचित्र है जब कोई किसी पत्रकार से कहे कि फलां पत्रकार से कोई सरोकार न रखो. मुझे नहीं लगता कि कोई भी पत्रकार इससे सहमत होगा. और देखा जाये तो यह आदेश वही लोग दे सकते हैं जो वास्तव में पत्रकारिता को समझते या जानते न हों. इस नोटिस के दो मकसद थे. पहला तो ओमप्रकाश की महुआ से छुट्टी को सुनिश्चित किया जाये और दूसरा उसके बाद उठने वाली आवाजों को निकलने से पहले ही बंद कर दिया जाये. दरअसल १५ अगस्त की सुबह जो तुगलकी फरमान (ऐसा क्यों कहा, आगे लिखूंगा) महुआ प्रबंधन ने जारी किया तो उसकी आहट हमें पहले ही हमारे सूत्रों से लग गई थी. हमने अपनी पिछले पोस्ट में इसकी आशंका भी जताई थी. लेकिन नतीजा ऐसा और इस तरह से सबके सामने होगा, इसकी कल्पना शायद किसी ने नहीं की होगी. हमने भी नही की थी.

गाँधी मैदान में तिरंगा फहरते फहराते सबको मालूम हो चुका था कि चैनल के इनपुट हेड मृत्युंजय ठाकुर पटना में कैम्प कर चुके हैं. और शाम तक पटना के ब्यूरो हेड गौतम मयंक को भी रास्ता दिखा दिया गया. मकसद साफ़ था. वर्चस्व की लड़ाई को ख़त्म कर दिया गया था लेकिन इस निर्णय को लेते लेते महुआ प्रबंधन ने पत्रकारिता का गला घोंट दिया था. जिसे कम से कम पटना में हर सच्चा पत्रकार मौन रहकर देखने को विवश था.

माना जा रहा है कि चैनल से निकाले जा चुके पूर्व कर्मी की मेल के ऊपर कार्यवाई करते हुए प्रबंधन ने यह फैसला लिया. इस मेल को हम अपने पूर्व के पोस्ट में डाल भी चुके हैं. लेकिन ओमप्रकाश पर जिस तरह से सार्वजनिक तौर पर कार्रवाई की गई वो एक सवाल बनकर हर पत्रकार के सामने है. क्या हम पत्रकारिता इसीलिए करते हैं कि एक दिन हमारा नाम किसी भगोड़े या दिवालिया की तरह से अखबार के पन्नो में चस्पा कर दिया जाये? ये वाकई दुखद है और उससे भी दुखद यह कि ओमप्रकाश को महुआ प्रबंधन ने अपनी बात तक रखने का मौका नहीं दिया. ओपी को भी इस फैसले की जानकारी ठीक उसी तरह से मिली जिस तरह से अन्य लोगो को. पटना स्थित कार्यालय के लोगो के लिए तो यह बिलकुल वैसे ही था जैसे रात को दर्शक टीवी पर किसी रियलिटी शो का ग्रांड फिनाले आधे में छोड़कर सो जायें और सुबह विजेता का पता अखबार के जरिये चले.

ओमप्रकाश पर जिस मेल के कारण कार्यवाई हुई उसमें सबसे महत्वपूर्ण एक सरकारी विज्ञापन का मामला था. मेल के मुताबिक बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की विश्वास यात्रा की कवरेज के एवज में राज्य के सूचना जनसंपर्क विभाग ने महुआ को १.१० करोड़ की राशि दी जबकि इसमें से ८० लाख का भुगतान ही चैनल को हुआ. ओमप्रकाश पर यह आरोप लगाया गया कि वह तीस लाख की हेराफेरी कर गए. आरोप गंभीर हैं. ओपी को जबाब देना चाहिए लेकिन उन्हें जबाब देने का मौका कौन देता, महुआ का प्रबंधन ही न!  लेकिन उसने स्पष्टीकरण की बजाय सीधे तुगलकी फरमान जारी कर दिया. मामला एकतरफ़ा न लगे और पटना कार्यालय में गुटबाजी और तूल न पकड़े, इसका डर प्रबंधन को हुआ तो ब्यूरो चीफ गौतम मयंक की भी छुट्टी कर दी गई.

महुआ प्रबंधन ने भले ही इन दोनों पर कार्रवाई करते वक़्त अलग-अलग मापदंड तय किये हों लेकिन उसकी मानसिकता इस बात का परिचय देने को काफी है कि वो खबरों के लिए अपना सबकुछ सौंप देने वालों को अपने पैर की जूती से ज्यादा कुछ नहीं समझता है. देश भर में आज पत्रकारिता पूंजीपतियों की रखैल बनने को विवश है. वो दौर और था जब पत्रकार अपने मूल्यों पर चलते हुए दो पेज के अखबार को एक कमरे से निकाल लिया करते थे. आज सभी जानते हैं मीडिया हाउस चलाना सबसे बड़े पैसे का कारोबार है. यह पहला मौका नहीं है जब पूंजीपति हाथों ने पत्रकारिता का गला घोटने का प्रयास किया है. पूर्व में भी ऐसा कई चैनलों में किया जाता रहा है लेकिन यह मामला अपने तौर पर इसलिए अजूबा है क्योंकि एक पत्रकार को सार्वजनिक तौर पर न सिर्फ चैनल से निकला गया है बल्कि उसके मूल्यों को तार तार करते हुए उसके मनोबल को भी तोड़ने का प्रयास किया गया है. मुझे यह कहते हुए कोई संकोच नहीं कि ओमप्रकाश और गौतम मयंक के साथ जो कुछ भी हुआ उससे पूंजीपतियों के हाथों कठपुतली बनी पत्रकारिता शर्मसार हुई है और हम जैसे पत्रकार दुखी भी हुए हैं.

महुआ को पहला भोजपुरी चैनल बनने का अगर गौरव प्राप्त हुआ तो उसे शीर्ष पर ले जानेवाले वही लोग थे जिसे प्रबंधन ने बाहर कर दिया. पटना से महुआ के लिए खबरें कभी नहीं लांच हुए प्रकाश झा के मौर्य चैनल के लिए ठेकेदारी से ज्यादा कुछ नहीं हुआ करती थी लेकिन ओपी जब चैनल से जुड़े तो चैनल को जो लाभ हुआ यह किसी से छुपा नहीं है. खबरों का चयन और उनका प्रसारण का स्तर बताता था कि पटना की खबरों की क्या अहमियत थी. लेकिन महुआ प्रबंधन ने चैनल को शीर्ष पर ले जाने में महती भूमिका निभाने वाले अपने सिपाही को कहीं का न छोड़ा.

मीडिया जगत के लिए पीके तिवारी का नाम भले ही बहुत पुराना न हो लेकिन उनके संपर्क काफी अच्छे रहे है. और इस पूरे प्रकरण में जो बात निकल कर आ रही  है उससे यह कहना गलत न होगा वो भी चाटुकारों से घिरे हैं जो निश्चित रूप से उनके फैसलों को प्रभावित कर रहे है. हाँ, इस पूरे प्रकरण में सबसे छोटे आदमी का जिक्र करना और जरूरी हो जाती है. नाम- हीरालाल चौधरी, पूर्व कैमरा मैन महुआ, पटना…… कोई बताएगा इसे क्या मिला या ये खुद ही बतायें ??? जवाब हम देते हैं. एक बार फिर से मीडिया कि बड़ी मछलियों ने इस छोटी मछली का इस्तेमाल किया. पहले शिवनारायण यादव और अब हीरालाल चौधरी, दोनों इस्तेमाल हुए. बदले में इन्हें थोड़ी आत्मसंतुष्टि मिली हो शायद.

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यह बात हम इसलिए कह सकते हैं क्योंकि मेल में जो तथ्य जिस तरह से लिखे गए, वह इस अदने कर्मचारी के बस की बात नहीं हो सकती. दो शब्द ओमप्रकाश और गौतम से भी, प्रबंधन ने आपके साथ जो भी किया, उस पर आप अगर मौन रहे तो शायद आप लोग खुद ही अपने अन्दर के उस पत्रकार को मार देंगे, जो दूसरे की हक कि लड़ाई हर वक़्त लड़ता रहा है. अगर आप अपनी लड़ाई नहीं लड़ेंगे तो कौन लडे़गा. दो शब्द आप सब पाठकों और अपने आप से, क्या हम यह सब बस यूं ही देखते रहें, प्रोफाइल जगहों पर बैठकर यह दंभ भरते रहें कि हम पत्रकार हैं, लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ. शायद अब इसका वक़्त नहीं, अब वक़्त आ गया है कि हम उन पूंजीपतियों को उनकी सीमाएं बतायें जो पत्रकारिता को अपनी रखैल से ज्यादा कुछ नहीं समझते. हमारी ताकत हमारी कलम है इसलिए आप सबों से आग्रह है कि आप इस मसले पर अपनी राय रखें. आज जो ओमप्रकाश और गौतम मयंक के साथ हुआ है वो हममें से किसी के साथ भी कल हो सकता है फिर हमारी लड़ाई में साथ कौन देगा. हमे एकजुट होना होगा क्योंकि मेरी और आपकी आवाज ही मिलकर हम सबकी आवाज बनेगी.

(15 अगस्त को प्रकाशित)

वर्चस्व की लड़ाई….

जुलाई के पहले दो हफ्ते में टैम की रेटिंग में बिहार-झारखण्ड का नंबर वन चैनल रहने का खूब ब्रेकिंग टिकर चला चुके महुआ न्यूज़ के पटना कार्यालय में हालत और बिगड़ते जा रहे हैं. श्री कृष्ण पुरी की मुख्य सड़क पर कार्यालय और कार्यालय के सामने खड़ी दो-दो ओवी वैन यह बताने को काफी हैं कि चैनल बिहार का नंबर वन बन चुका है. लेकिन कार्यालय के अन्दर सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. पूरे पटना का मीडिया जगत यह जान रहा है कि पटना महुआ में दो गुट बन चुके हैं और जमकर खेमेबाजी भी हो रही है. चैनल प्रबंधन ने जबसे नये ब्यूरो चीफ के तौर पर गौतम मयंक को पटना भेजा है, तस्वीर तभी से ऐसी ही है. चैनल को बिहार में पहचान दिलवाने वाले पूर्व ब्यूरो चीफ ओमप्रकाश की कुर्सी जब गौतम मयंक को दी गई तो महुआ के अन्दर क्या कुछ हुआ, यह किसी से छुपा नहीं है. पटना में योगदान देने के बाद गौतम यह किसी को बताना नहीं भूले कि वो पटना के ब्यूरो हैं और चैनल के छोटे कर्मचारी उनके इस दबाव पर इस्तेमाल भी हुए. अब यह अलग बात है कि ओमप्रकश को प्रबंधन ने स्टेट हेड बना दिया. कुल मिलकर खबरों के चयन में सिक्का ओपी का ही चला.

मीडिया हाउसेज में जब बड़ों के बीच वर्चस्व कि लड़ाई छिड़ती है तो छोटे पत्रकार कैसे इसका इस्तेमाल होते हैं, इसका नमूना महुआ में देखने को मिला. दानापुर से स्ट्रिंगर के रूप में कार्यरत रहे शिवनारायण यादव ने ओमप्रकश पर उत्पीडन का आरोप लगाते हुए भड़ास4मीडिया को पत्र लिखा और और महुआ से छुट्टी हो जाने के बाद इस पत्रकारिता जगत को छोड़ने की भी बात कही. शिव एक भावुक इन्सान हैं, मैं व्यक्तिगत तौर पर भी उसे जानता हूं.  उसने अपना दर्द लिखा कम पैसे में ज्यादा काम करने का दर्द लेकिन शायद वह इस सबसे अनजान था कि उसका इस्तेमाल बड़े खिलाड़ी अपने गेम को मजबूत करने के लिए कर रहे थे.

पटना महुआ में एक और शिव खड़ा हो गया है. बिहार में चैनलों की लान्चिंग से पहले से ही महुआ के साथ जुड़े रहे इस नए शिव के निशाने पर एक बार फिर से चैनल के स्टेट हेड ओमप्रकाश हैं. जाहिर है, सारा खेल परदे के पीछे से चल रहा है. इस नए शिव ने ओमप्रकाश और कैमरा मैन मुन्ना शर्मा को निशाना बनाते हुए चैनल के प्रमुख पीके तिवारी को लम्बा चौड़ा पत्र लिखा है. नए और पुराने शिव में कई समानताये हैं. दोनों को महुआ से बाहर का रास्ता दिखाया जा चुका है, दोनों ही सबसे निचले पायदान के मीडियाकर्मी हैं, दोनों ही मेहनती हैं, दोनों को मैं व्यक्तिगत तौर पर जानता हूं और दुर्भाग्य से दोनों का इस्तेमाल उनकी भावनाओं को उकसा कर किया गया है.

चैनल के मालिक पीके तिवारी को लिखे पत्र में ओमप्रकश पर गंभीर आरोप लगाये गए हैं. अभी इस पर ज्यादा कुछ  कहना सही नहीं होगा. हाँ, चैनल प्रबंधन को ओपी क्या जवाब देंगे, यह देखना महत्वपूर्ण होगा. इस पोस्ट के साथ मैं उस मेल की एक प्रति संलग्न कर रहा हूं जो आने वाले समय में महुआ में वर्चस्व की लड़ाई को और तेज करेगा. लेकिन हमें दुःख इस बात का होगा कि अच्छी खबरों को प्रसारित करने वाले महुआ के अन्दर की ये खबर अच्छी नहीं है. खैर, लगता है कि हम पाटलिपुत्र के पत्रकारों को यह सब देखने की आदत सी पड़ चुकी है.

मित्रों जबसे ईमेल का चलन आया,  उसके साथ ही उसके लीक होने का इतिहास भी शुरू हुआ. महुआ चैनल के कार्यालय में पहुंचे इस अति गोपनीय मेल को हम तक किसने पहुंचाया यह तो हम बता नहीं सकते लेकिन इस मेल को हम तक पंहुचने के लिए हम उनका आभार व्यक्त करते हैं. इस मेल के कुछ अंशो को ****** में बदल दिया गया है. इसकी सत्यता पर हमें उतना की विश्वास है जितना आपको हम पर. मेल इस प्रकार है…

Dear sir

My name is ***********. I have worked for Mahuaa since starting in Bihar free of cost for two n half years. Using my own bike with fuel n camera. But when office started in patna then office used me as camera person. That time office paid  salary only 3 thousands only. But in this salary fuel was including. But till date I have worked on same salary. when I have told to bureau Mr Om prakash & camera person Munna sharma to permanent me he always saying that I will, then I told if you don’t permanent me please increase my salary but he don’t done & he made camera person to his family & his friends. But munna sharma was not working n he take work from me. Om prakash appointed persons which are not experienced. Only they are his relatives of his friends. When I have told Mr Om prakash (Channel head) my problem he told that it is happening wrong with me. Old employees must be preffered.

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In this month Bureu & head camera person Munna sharma has terminated me. When I asked tha reason they don’t reply me. i hav worked mahuua for 24 hrs in a day. My camera has been problem but I hav worked for mahuaa. After termination I hav talked to channel head then he told me to talk with Mr Mrituanjay thakur. He told me I will tell u. But he has not responded me. But sit I want to tell u reason of my termination. Mr op (patna) & munna sharma (camera man) was doing false works in office. He was making false bills of many items. And he was sending false bills to office n brought cheque from noida.He made all false bills from me and from that bill he earned 40 to 50 thousands in a month. and he was using office vehicle for his personal use. And made bill on the name of tour, but when I opposed to doing this he thought that I knowevery black work of him then he was planned to terminate me.He was saying that I hav touched with owner of mahuua n anyone just like channel head n any officer of mahuua cant do any thing against me. I m mahuua owner of bihar. I n telling u false works of  op n munnaa sharma 1 In the viswas yatra of Nitish kumar ,the fixing was of 1.10 gave him 80 lakhs from cheque from tha name of Mahuaa news. he gave Mahuaa only that 80 lakhs n he has taken rest 30 lakhs in his account. When I asked him y u hav done like this, he told I will also give u some ruppess. But I was not agreed. Sir I want to say u pls enquiry this event n give me justice.I m very poor person . I hav served mahuaa for two years .

Regards ************************

camera man, Mahuaa, patna, Bureau office

Mob – ***********

(8 अगस्त को प्रकाशित)

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0 Comments

  1. patna ki aawaz

    August 19, 2010 at 9:25 am

    इसी ब्लाग में ये खबर भी है….

    डूबती हुई कश्ती बना “हमार”
    बिहार – झारखण्ड को केंद्र में रखकर चल रहे बहुभाषी न्यूज़ चैनल हमार टीवी के लिए पिछले छः महीने से कुछ भी अच्छा नहीं चल रहा है. चैनल के पटना स्थित कार्यालय से जो अन्दर की खबरे आ रही हैं उसे देखते हुए अगर यह कहा जाये की रांची के बाद अब चैनल के पटना कार्यालय का शटर गिरने की तैयारी है तो गलत नहीं होगा. और हमार टीवी के अन्दर जो कुछ हो रहा है उसके लिए चैनल का प्रबंधन ही ज्यादातर जिम्मेदार दिख रहा है. चैनल के अधिकांश कर्मियों को मई के बाद अबतक वेतन का भुगतान नहीं हुआ है और चैनल का हर बन्दा अपना जीवन चलाने के लिए पड़ोस के बनिए की रहमोकरम का ही मोहताज जान पड़ता है

    हमार टीवी के नॉएडा स्थित प्रधान कार्यालय में कुछ महीनो पहले जब नेतृत्वा का बदलाव हुआ तो उम्मीद की गई थी की चैनल अब बेहतर करेगा लेकिन हमार प्रबंधन ने जब पटना से कर्मठ रिपोर्टरों अमित और प्रणय प्रियंवर की छुट्टी कर दी तभी यह तय हो गया की आगे पटना ब्यूरो का भगवान् ही मालिक है. पटना ब्यूरो से जब इन दोनों युवा रिपोर्टरों को बाहर किया गया उस वक़्त पटना के ब्यूरो आनंद कौशल की घर वापसी हो चुकी थी. आनद समन्दर में दूर निकल चुके जहाज के परिंदे की तरह हमार से निकले थे और वापस उन्हें हमार पर ही ठौर मिला. अमित और प्रणय की विदाई के बाद रिपोर्टर के तौर पर पटना में सिर्फ एक नाम बचा सीटू तिवारी का. आनन् फानन में हमार ने अपने दो जिला संवादाताओ नेहा गुप्ता और एस.के. राजीव को पटना में रिपोर्टर के तौर पर योगदान करा दिया. उस दौर में हमार के पटना कार्यालय में कुल चार कैमरा मेन राजेश, सिन्धु मनीष , समर्थ और महताब अपनी सेवाए दे रहे थे. पटना से न्यूज़ बुलेटिन का प्रसारण का पहले ही बंद किया जा चूका था और न्यूज़ एंकरों का नया डेरा नॉएडा बन चूका था.

    चैनल के मालिको के आपसी पचड़े ने हमार के पत्रकार भाइयो का जो हाल किया वो किसी से छुपा नहीं है. चैनल की रेटिंग लगातार गिरती रही, कर्मचारियों की वेतन उधारी लिस्ट में चढ़ती रही. अब ऐसे में डूबते कश्ती की सवारी कोई कबतक करता. खबर है की हमार के कर्मियों ने अब नया ठिकाना बनाना शुरू कर दिया है. हमार से निकले गए प्रणय प्रियंवर बिहार – झारखण्ड से शुरू होनेवाले नए चैनल आर्यन का दामन पहले ही थाम चुके थे और अब चैनल की एकमात्र प्रतिभावान रिपोर्टर सीटू तिवारी भी आर्यन में योगदान कर चुकी है. पटना कार्यालय में खासतौर पर रिपोर्टिंग के लिए लाये गए एस.के. राजीव भी एक नए चैनल केटीएन का हाथ थाम चुके हैं. अब ऐसे में चैनल के साथ पटना से रिपोर्टर में सिर्फ एक ही नाम बचाता है नेहा गुप्ता का.

    ताजा खबर यह है की चैनल के तीन कैमरा मेन ने वेअतन नहीं मिलाने के चलते काम पर आना ही बंद कर दिया है. ये तीन कैमरा मेन हैं राजेश, समर्थ और रांची ब्यूरो से पटना लाये गए शाहिद. इन्हें पिछले तीन महीने का वेतन नहीं मिला है. वन्ही आपको यह भी बता देना होगा की पटना हमार के के अन्य कैमरा मेन सिन्धु मनीष पहले ही आर्यन का रुख कर चुके हैं. अब हालात यह है की हमार पटना में कैमरा मेन के नाम पर सिर्फ एक नाम महताब का ही बचा है. इन लोगो के अलावा चैनल को दो स्ट्रिंगरो का सहारा जरुर है.

    अब ऐसे हालात में सवाल यह उठता है की क्या वाकई हमार प्रबंधन मंदी का शिकार है? अकेले पटना से विज्ञापन के तौर पर चैनल की होने वाली कमाई को देखकर ऐसा नहीं लगता. सूत्रों की माने तो राज्य सरकार के एक मंत्री जी के कार्यक्रम के कवरेज के लिए अगर मोटी राशी दी गई तो वन्ही प्रदेश के एक बड़े नेता जी ने जब एक बड़ी पार्टी का दामन अपने गृह जिले में थमा तो उसका सीधा प्रसारण करने के लिए भी चैनल को पैसा मिला. एक अन्य महात्मा जी का रोज चैनल पर प्रसारण हो रहा है और बदले में बड़ी विद्यापन राशी भी आ रही है. अब ऐसे में हमार चैनल प्रबंधन से एक सवाल करना होगा की जब इतनी कमाई अकेले पटना से हो रही है तो पटना कार्यालय में कर्मियों को वह वेतन क्यों नहीं दे रहा है. निश्चित है हमार प्रबंधन की नियत में शुद्धता की घोर कमी है और उसका नजरिया अपने कर्मचारियों के प्रति बिलकुल घटिया.

    अब ऐसे में हमार के छोटे कर्मो क्या करेंगे, जब उनके वरिष्ठो को मोटी तनख्वाह हर महीने उनकी आँखों के सामने मिल रही हो इसलिए हमार में अब भगदड़ और तेज होनी तय है. डूबते कश्ती की सवारी कोई करना नहीं चाहता और अगर आने वाले दिनों में कई और चेहरे हमार पटना का साथ छोड़ जाये तो शायद ही ज्यादा आश्चर्य हो. हम तो हमार चैनल प्रबंधन से सिर्फ इतना ही कहना चाहेंगे की भले ही वो अपने चैनल के अन्दर काम करते वक़्त अपने पत्रकारों को वेतन नहीं दे सके हो लेकिन कम से कम अपनी लाज बचने के लिए चैनल का साथ छोड़ जाने के बाद तो पत्रकारों के बकाये वेतन का भुगतान कर ही दे.

    जय पाटलिपुत्र……. जय पत्रकार…………..

  2. Abhishek sharma

    August 19, 2010 at 9:50 am

    dho dala…..

    [email protected]

  3. ashok kumar

    August 19, 2010 at 10:24 am

    sahi hai bhai jaroorat hai ek kranti ki hum patrakaaron dwara poonjipatiyon ke khilaaf.par kitne patrakarsaath aayenge jyada log inhi ke gulaam hain.

  4. Ankur

    August 20, 2010 at 4:17 am

    Mujhe Ye Ab Tak Samajh Nahi Aa Raha Hai Hi Omprkaash Ji Kyo Nahi महुआ प्रबंधन Par Mukadama Dayar Kar Rahe Hai ???? Mera Sawal OP Ji Se Hai …. Aise महुआ प्रबंधन Ko Katdhare me Khara Nahi Kar Rahe Hai OP Ji Ye Unka Barappan Hai .. Lekin Atyachaar Se Birudh Ladai Sabhi Laraiyo Ki Janani Hai …

    Hum OP ji Ke Saath Hai ….

  5. rajesh kushwaha

    September 27, 2010 at 9:01 am

    hamar ki yahi halat pure desh me hai jaha -jaha iska prasaran hota haii.chahe wo u.p ho ya fir jammu chahe jaypur ya fir bhopal….3-4 lakh rypaye tak bakaya hai bureaus ke.jaha tak mujhe khabar hai sabne ab dheere-dheere channel ka sajosaman bechna bhi shuru kar diya hai.ek offer mujhe v aaya tha ki 102 agar kharidna hai to batao70-75 hajar me mil jayega.

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