….इसके दो मिनट बाद ही मेरा भी मोबाइल बज उठा और वही बात दोहरायी गयी….. आखिर हम ठहरे खबरनवीस…. लिहाजा मजाक की भी छानबीन करनी पड़ती है….. मैने बालको प्लांट मे काम करने वाले अपने एक दोस्त को फोन लगाया और खबर के बारे में पूछा…… उसने जो कुछ भी बताया, उस पर यकीन करना काफी मुश्किल था…….. वो स्पाट पर खड़ा था और उसके हिसाब से कम से कम दो सौ लोगों की मलबे में दबने की खबर थी…… खबर की पुष्टि होते ही कोरबा में हाहाकार मच गया….. मैं छुट्टी पर था… लेकिन एक पत्रकार का मन भला कहां शान्त रह सकता है… लिहाजा कमलेश यादव के साथ मैं भी हो लिया…… रास्ते भर हम इसी बारे में चर्चा करते रहे और तकरीबन २० मिनट बाद जब हम घटना स्थल पर पहुँते तो हमारे भी होश उड़ गये………..
200 मीटर ऊंची निर्माणाधीन चिमनी जमींदोज हो चुकी थी और उसके मलबे में गाजर मूली की तरह लाशें दबी हुयी थी……….. वैसे तो किसी को पता नहीं था कि मैं कोरबा मे हूँ… लेकिन कैरियर के दो साल कोरबा मे बिताने के बाद आज भी लोग बड़ी खबरों के लिए मुझे याद कर ही लेते हैं….. इस बार भी एसा ही हो रहा था….. स्पाट पर पहुँचने के बाद मुझे अपने चैनल का रिपोर्टर कहीं नजर नहीं आया, लिहाजा मैने डेस्क पर फोन करके मामले की जानकारी दी और मजदूरों के मरने की पुष्टि की….. इसके बाद फिर डेस्क ने भी मुझे आराम नहीं करने दिया….. आया तो था मैं छुट्टी मनाने लेकिन यहां भी काम ने मेरा पीछा नहीं छोड़ा……..
बालको में हुई भयानक घटना के बारे में मौके पर मौजूद टीवी जर्नलिस्ट मनोज सिंह ने अपने ब्लाग पर काफी-कुछ लिखा है। इसी ब्लाग से बीच का एक हिस्या चुराकर यहां पब्लिश किया गया है। इसे पूरा पढ़ने के लिए उनके ब्लाग पर जाएं, क्लिक करें- बाल्को ये तूने क्या किया