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मटुक-जूली ने रखा हिंदी ब्लागिंग में कदम

मटुकनाथ और जूलीजूलीमटुक – ये नाम है पटना के मटुकनाथ और जूली के हिंदी ब्लाग का। मटुक और जूली को कौन नहीं जानता। एक शिक्षक और शिष्या का प्यार फिर शादी। समाज पचा नहीं पाया। दुनिया ने हंगामा खड़ा कर दिया। पत्थर मारे गए। कालिख पोती गई। पर लाख विरोध के बावजूद दोनों जुदा न हुए। अब भी साथ रह रहे हैं। इलेक्ट्रानिक और प्रिंट मीडिया ने तब मटुकनाथ को खलनायक के रूप में पेश किया था।

मटुकनाथ और जूली

मटुकनाथ और जूलीजूलीमटुक – ये नाम है पटना के मटुकनाथ और जूली के हिंदी ब्लाग का। मटुक और जूली को कौन नहीं जानता। एक शिक्षक और शिष्या का प्यार फिर शादी। समाज पचा नहीं पाया। दुनिया ने हंगामा खड़ा कर दिया। पत्थर मारे गए। कालिख पोती गई। पर लाख विरोध के बावजूद दोनों जुदा न हुए। अब भी साथ रह रहे हैं। इलेक्ट्रानिक और प्रिंट मीडिया ने तब मटुकनाथ को खलनायक के रूप में पेश किया था।

पर मटुक नाथ हर ओर से उठ रही विरोध की आवाज के बावजूद न डिगे, न झुके। जो करना चाहा, किया और अब भी अपने विचारों पर कायम हैं। भारत के महानतम दार्शनिकों में से एक ओशो रजनीश को अपना आध्यात्मिक गुरु मानने वाले मटुक नाथ ने भड़ास4मीडिया को एक मेल भेजकर सूचित किया है कि वे और जूली अब हिंदी ब्लागिंग की दुनिया में कमद रख चुके हैं। उनका मेल इस प्रकार है- ‘प्रियवर, हम लोग ब्लॉग की दुनिया में पैर रख रहे हैं. शिक्षा, समाज, प्रेम, अध्यात्म, राजनीति और अन्य विषयों से जुडी घटनाएँ हमारे विचारों को उकसाती हैं. उन्हें देखने की कृपा करें और सुझाव भी दें. बिलकुल नए हैं, इसलिए आपके मार्गदर्शन की अपेक्षा है. आभार, मटुकनाथ चौधरी, पटना।

भड़ास4मीडिया ने मटुकनाथ से संपर्क कर उनके वर्तमान जीवन के बारे में जानने की कोशिश की तो उन्होंने बताया कि वे और जूली, दोनों प्रसन्न हैं और साथ रह रहे हैं। उन्होंने बताया कि समाज का जो रवैया उनके प्रति पहले था, अब भी जारी है। उन मटुक नाथ और जूलीलोगों को उनके ज्यादातर जानने वाले न तो फोन करते हैं और न ही किसी समारोह में बुलाते हैं। अछूतों सा रवैया अब भी अपनाया जा रहा है। उन्हें विश्वविद्यालय ने ‘प्रेम’ करने के जुर्म में नौकरी से निकाल दिया है। ओशो रजनीश के बारे में मटुकनाथ का कहना है कि वे वर्ष 1998 से ओशो से जुड़े हुए हैं। ओशो ने कहा है कि कठिनाइयों को, बाधाओं को सीढ़ी के रूप में देखो। बाधाएं नहीं होंगी तो चुनौती कहां से मिलेगी। चुनौती नहीं मिलेगी तो व्यक्तित्व कैसे निखरेगा। मटुकनाथ का कहना है कि उन लोगों ने जो किया, उसके कारण कई लोग तारीफ भी करते हैं और कुछ लोग सम्मानित भी कर चुके हैं पर सम्मानित वही कर पाए जो ताकतवर रहे या जिनके पास संगठन था। ऐसे लोगों ने विरोधों की परवाह नहीं की। पर कमजोर लोग विरोध के कारण सम्मानित करने की घोषणा करके भी सम्मानित न कर पाए।

मटुक नाथ के ब्लाग पर जाने और उनका हौसला बढ़ाने के लिए क्लिक करें- जूलीमटुक

मटुक नाथ और जूली के प्रेम करने पर पटना में उन दिनों क्या बवाल हुआ था, उसे जानने के लिए सिर्फ इस वीडियो को देखना ही काफी है-

 

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