दुनिया की सबसे बड़ी मैग्जीन कंपनी टाइम वार्नर इंक. भी मंदी की चपेट में है। इससे निबटने के लिए कंपनी छंटनी के रास्ते पर बढ़ चली है। इसके तहत कंपनी में 600 लोगों (लगभग 10 फीसदी स्टाफ) की नौकरियां जा सकती हैं। ये कदम उठाने की जरूरत इसलिए पड़ रही है क्योंकि ग्लोबल फाइनांशियल क्राइसिस की वजह से पहले से ही सुस्त चल रहा एडवर्टाइजिंग मार्केट अब और कमजोर हुआ है। दरअसल अमेरिका में ज्यादा से ज्यादा लोग न्यूजपेपर और मैग्जीन खरीदने की जगह इंटरनेट से फ्री इन्फॉर्मेशन ले रहे हैं। टाइम वार्नर इंक. में रिस्ट्रक्चरिंग का असर टाइम वीकली, पीपुल्स, स्पोर्ट्स इलस्ट्रेटेड और फॉर्चून जैसी मैग्जीनों पर पड़ सकता है। ये सभी टाइम वार्नर ग्रुप की पत्रिकाएं हैं। टाइम वार्नर ही एओएल इंटरनेट सर्विस और सीएनएन की भी मालिक है।
टाइम इंक की चेयरमैन और सीईओ एन मूर ने कर्मचारियों को भेजे मेमो में कहा है कि फाइनांशियल क्राइसिस की वजह से इंडस्ट्री की हालत खराब है। कंपनियों ने एड पर खर्च घटा दिया है। ये हालात पूरे 2009 में बने रहने के आसार हैं। ये एक ऐसी चुनौती है, जिसका सामना हमने कभी नहीं किया था। एन मूर ने लिखा है कि ऐसे समय में हमें अपनी फाइनांशियल मजबूती बनाए रखने के लिए तेजी से काम करना होगा और आर्थिक बदहाली खत्म होने के पहले संकेत मिलते ही फिर से मजबूती से खड़ा होना होगा।
टाइम इंक के प्रवक्ता ने कहा है कि उनका इरादा ग्रुप की किसी भी मैग्जीन को बंद करने का नहीं है। न्यूयॉर्क टाइम्स ने खबर दी है कि वहां 600 लोगों की नौकरियां जा सकती हैं। नए प्लान के तहत ग्रुप के एडिटोरियल और बिजनेस कामकाज को एक समूह देखेगा। अब तक टाइम में परंपरा थी कि अलग-अलग एडिटर और पब्लिशर्स अपनी-अपनी मैग्जीन को अपने ढंग से चलाया करते थे।
साभारः हिंदी ईटी.काम