अमर उजाला, अलीगढ़ के युवा रिपोर्टर अशोक कुमार ने साहसिक पहल की है। वे कलम चलाने की बजाय अब कुछ दिनों के लिए देश हित के वास्ते सीधे आंदोलन की राह पर उतरने का मूड बना चुके हैं। उनका मकसद बड़ा है। राज ठाकरे के इशारे पर देश में बोए जा रहे क्षेत्रवाद के जहर को खत्म करना। इसके लिए पद यात्रा, जन जागरूकता और प्रदर्शन जैसे हथियार अपनाने की ठानी है। उनके इस अभियान में साथ-साथ हैं चार अन्य अलीगढ़ी युवा। इनके नाम हैं- रंजन राणा, प्रेमपाल सिंह, अमित चौधरी और गौतम सिंह। अशोक कुमार ने अमर उजाला प्रबंधन से 25 दिनों की छुट्टी मांगी है ताकि उन्होंने जो सोचा है, उस पर अमल कर सकें। ये पांच नौजवान एक नवंबर से अलीगढ़ से यात्रा शुरू कर चुके हैं। 3 नवंबर को ये लखनऊ पहुंचे हैं।
6 नवंबर को इलाहाबाद, 8 को बनारस, 10 को गोरखपुर, 12 को पटना, 14 को रांची पहुंचेंगे। इसके बाद चंडीगढ़ भी जाने की योजना पर इसकी तारीख अभी तय नहीं की है। आखिर में 21 नवंबर को दिल्ली पहुंचेंगे। भड़ास4मीडिया से बातचीत में अशोक कहते हैं- ‘पिछले दिनों महाराष्ट्र में उत्तर भारतीय पीटे गए, मारे गए, कई तरह से प्रताड़ित किए गए। यह सब देख-सुन कर मन खुद से विद्रोह कर उठा। कुछ करने को प्रेरित करने लगा। आन ड्यूटी रहते हुए जो चाहता था, वो कर नहीं सकता था इसलिए 25 दिनों की छुट्टी ले ली। चार अलीगढ़ी युवाओं में भी ऐसी ही भावना थी, सो हम पांचों हमराही बन गए।’
यह पूछने पर कि उनकी मांग क्या है, अशोक कहते हैं- ‘तीन मांगें हैं। राज ठाकरे पर राष्ट्र द्रोह का मुकदमा चले। राजनीतिक पार्टी के तौर पर मनसे की मान्यता रद की जाए। मनसे के नेता राज ठाकरे को चुनाव लड़ने से रोका जाए। ये मांगें महामहिम राष्ट्रपति और मुख्य चुनाव आयुक्त को संबोधित होंगी।’
अशोक कहते हैं कि उन्हें नहीं पता वे अपनी मुहिम में कितना सफल होंगे लेकिन एक चीज तो तय है कि मैं कुछ कर गुजरने की अपनी इच्छा को मूर्त रूप देने का साहस कर रहा हूं। वैसे भी, कोई काम सफलता-असफलता के पैमाने पर नहीं शुरू किया जाता। अशोक के मुताबिक वे राज ठाकरे को बता देना चाहते हैं कि इस देश में न कोई उत्तर भारतीय है, न दक्षिण भारतीय, न पूर्वी भारतीय और न ही पश्चिमी भारतीय। देश में कहीं भी विचरण करने, रहने, कमाने, खाने और जीने के लिए देश का नागरिक होना ही काफी है। संविधान के मौलिक अधिकार में ऐसा उल्लिखित भी किया गया है। राज ठाकरे को मध्ययुगीन परंपरा और तौर-तरीकों को त्याग कर स्वच्छ राजनीति करनी चाहिए, न कि निरीह लोगों को क्षेत्रीयता का जामा पहनाकर उन्हें गाजर-मूली की तरह कटवा देना चाहिए।
अगर आप अशोक से संपर्क करना चाहते हैं तो उनकी मेल आईडी [email protected] का सहारा ले सकते हैं।