लेख एक। लेखक दो। दो अलग माध्यमों पर प्रकाशित। दोनों लेखक आम नहीं हैं। एक सीनियर ब्यूरोक्रेट। दूसरे जानी-मानी पत्रकार। दोनों एक दूजे से अजनबी भी नहीं। रिश्ते में पति-पत्नी हैं। बात हो रही है उदय सहाय व वर्तिका नंदा की। राष्ट्रीय सहारा में उदय सहाय का एक लेख अंतर्संवाद : नया सिरा पकड़ने की जरूरत प्रकाशित हुआ। इसे राष्ट्रीय सहारा अखबार की वेबसाइट पर भी पढ़ सकते है। यही लेख वर्तिका के नाम से उनके ब्लाग मीडिया स्कूल पर अब क्या करेंगे हम लोग शीर्षक से प्रकाशित है।
लेखक के नाम के तौर पर ‘पोस्टेड बाइ वर्तिका नंदा’ लिखा है। ब्लाग पर प्रकाशित लेख में कहीं नहीं कहा गया है कि इसे कहीं से साभार लिया गया है या किसी और ने लिखा है। इससे भ्रम पैदा होता है कि लेख असल में है किसका? राष्ट्रीय सहारा में उदय सहाय के नाम से प्रकाशित होने के चलते लेख उदय सहाय का कहा जाना चाहिए। इसका मतलब हआ वर्तिका नंदा ने इसे चोरी करके अपने ब्लाग पर डाला हुआ है। लेकिन लेख के विषय को देखकर लगता है कि इसे वर्तिका ने लिखा होगा। लेख में सास-बहू सीरियल के बंद होने के बहाने टीवी के पारिवारिक धारावाहिकों की पड़ताल की गई है। तो क्या वर्तिका ने इस लेख को लिखा और उदय सहाय ने अपने नाम से राष्ट्रीय सहारा में छपवाया? बाद में वर्तिका ने सहज रूप में इसे अपने ब्लाग पर भी डाल दिया होगा। पर यह सब बातें अनुमान पर आधारित है। सच्चाई क्या है, इस बारे में वर्तिका नंदा या उदय सहाय ही बता सकते हैं।
अब इन दोनों की प्रोफाइल पर आएं। उदय सहाय के ब्लाग पर उनकी जो प्रोफाइल है उसके मुताबिक वे 1988 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं और 10 वर्षों तक पुलिस की सेवा के बाद अब दिल्ली सरकार के डायरेक्टोरेट आफ इनफारमेशन एंड पब्लिसिटी के डायरेक्टर हैं। इससे पहले वे पांच वर्षों तक प्रसार भारती में डिप्टी डायरेक्टर जनरल रहे। वर्तिका नंदा के ब्लाग पर उनकी जो प्रोफाइल है उसके मुताबिक वे जी न्यूज, स्टार न्यूज, एनडीटीवी और लोकसभा टीवी में काम कर चुकी हैं। इन दिनों वे सहारा इंडिया मीडिया न्यूज नेटवर्क में प्रोग्रामिंग हेड हैं।
इसे विचारों की कमी कहा जाए या विचारों में जबरदस्त एका, या फिर घर से निकली राइटिंग के संपूर्ण इस्तेमाल की सोच या अनजाने में हुई मानवीय चूक, लेकिन यह मामला असामान्य होने के साथ-साथ रोचक भी है। वैसे, लेख, कविता, कहानी, पोस्ट आदि चोरी के प्रकरण अक्सर आते रहते हैं और उस पर हल्ला भी खूब मचता रहा है लेकिन मामला जब एक ही कंटेंट के पति-पत्नी द्वारा संयुक्त रूप से इस्तेमाल का हो तो उस पर हल्ला करे कौन?
इस प्रकरण पर डेटलाइन इंडिया के संपादक और मशहूर पत्रकार आलोक तोमर का कहना है कि जब तक वर्तिका नंदा और उदय सहाय एक दूसरे पर लेख चोरी करने का आरोप नहीं लगाते, तब तक इस मामले में किसी तीसरे की भूमिका शुरू नहीं होती। लिखी हुई जो सामग्री होती है उस पर कापीराइट भले ही किसी का हो, मगर वह पाठकों की पंचायत में स्वीकारी जाती है तो सफल है।