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भ्रामक विज्ञापनों पर अंकुश लगाने का नाटक!

मूल खबर : विज्ञापन इंडस्ट्री खुद पर लगाएगी अंकुश : विज्ञापन इंडस्ट्री भी अब आत्मनियंत्रण के मूड में आ गई है। देश के विभिन्य मीडिया और गैर मीडिया प्लेटफॉर्म पर चल रहे भ्रामक, झूठे और अभद्र विज्ञापनों के खिलाफ इस बार किसी सरकारी या गैर सरकारी संगठन ने नहीं बल्कि खुद विज्ञापन इंडस्ट्री ने मुहिम छेड़ी है। विज्ञापन उद्योग पर नियंत्रण करने वाली शीर्ष नियामक संस्था द एडवरटाइजिंग स्टैंडर्ड काउंसिल आफ इंडिया ने देश भर में ऐसे विज्ञापनों के खिलाफ एक अभियान चलाने का फैसला किया है।

<p align="justify"><strong>मूल खबर : <font color="#808080">विज्ञापन इंडस्ट्री खुद पर लगाएगी अंकुश :</font></strong> विज्ञापन इंडस्ट्री भी अब आत्मनियंत्रण के मूड में आ गई है। देश के विभिन्य मीडिया और गैर मीडिया प्लेटफॉर्म पर चल रहे भ्रामक, झूठे और अभद्र विज्ञापनों के खिलाफ इस बार किसी सरकारी या गैर सरकारी संगठन ने नहीं बल्कि खुद विज्ञापन इंडस्ट्री ने मुहिम छेड़ी है। विज्ञापन उद्योग पर नियंत्रण करने वाली शीर्ष नियामक संस्था द एडवरटाइजिंग स्टैंडर्ड काउंसिल आफ इंडिया ने देश भर में ऐसे विज्ञापनों के खिलाफ एक अभियान चलाने का फैसला किया है। </p>

मूल खबर : विज्ञापन इंडस्ट्री खुद पर लगाएगी अंकुश : विज्ञापन इंडस्ट्री भी अब आत्मनियंत्रण के मूड में आ गई है। देश के विभिन्य मीडिया और गैर मीडिया प्लेटफॉर्म पर चल रहे भ्रामक, झूठे और अभद्र विज्ञापनों के खिलाफ इस बार किसी सरकारी या गैर सरकारी संगठन ने नहीं बल्कि खुद विज्ञापन इंडस्ट्री ने मुहिम छेड़ी है। विज्ञापन उद्योग पर नियंत्रण करने वाली शीर्ष नियामक संस्था द एडवरटाइजिंग स्टैंडर्ड काउंसिल आफ इंडिया ने देश भर में ऐसे विज्ञापनों के खिलाफ एक अभियान चलाने का फैसला किया है।

इसके माध्यम से इस संगठन को उम्मीद है कि देश भर में लोग किसी भी तरह के झूठे और भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ इस संगठन को शिकायत करेंगे। इस संगठन द्वारा भेजे गए नोट में कहा गया है कि अगर इस संगठन को किसी भी विज्ञापन के खिलाफ वाजिब शिकायत मिलेगी तो उस विज्ञापनदाता कंपनी और संबंधित पक्षों के खिलाफ कड़े कदम उठाए जाएंगे। साथ ही, चूंकि विज्ञापन से संबंधित एडवरटाइजिंग स्टैंडर्ड काउंसिल आफ इंडिया के दिशानिर्देश भारत सरकार के केबल टेलीविजन एक्ट का हिस्सा है, लिहाजा ऐसे विज्ञापनों को किसी भी चैनल पर चलने से रोकना कानूनन संभव है। साभार : हिन्दुस्तान

भड़ास4मीडिया की राय : चलिए। मान लेते हैं। आप लोग लगाम लगाने के मूड में आ गए हैं। लेकिन पहले तो आप लोग खुद ही कोई जांच समिति बनाकर सभी विज्ञापनों की समीक्षा करिए-कराइए और गलत विज्ञापनों को चलने से रोकिए। कुछ करके दिखाएंगे तो जनता पर असर पड़ेगा और लोग शिकायत करने के लिए प्रेरित होंगे। फिलहाल तो जनता समझ रही है कि सारा भाषण सिर्फ जनता को बरगलाने और अनैतिक बाजार में नैतिकता होने की दुहाई देने के लिए है। कंपनियां जनता की जेब से माल निकालने के लिए जिस कदर झूठ और झूठे विज्ञापनों का सहारा ले रही हैं, वह किसी से छिपा नहीं है।

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