भविष्य निधि की लड़ाई जीत गए कुलदीप

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कुलदीप शर्माइंदौर (मध्य प्रदेश) के मीडियाकर्मी हैं कुलदीप शर्मा। जिंदगी की जद्दोजहद में उनके सामने एक-एक कर कई मोरचे खुलते चले गए। वह पहले दैनिक भास्कर, इंदौर में थे। नई दुनिया में वर्ष 1996 से कार्यरत रहे। नई दुनिया प्रबंधन ने उनका स्थानांतरण 7 नवंबर 05 को भोपाल कर दिया। उन्होंने घरेलू स्थितियों की जानकारी देकर इंदौर से बाहर जाने में असमर्थता प्रकरण कर दी। स्थानांतरण प्रकरण श्रम न्यायालय में (प्रकरण क्रमांक 57/07 दिनांक 9/10/07 को) समाचार पत्र कर्मचारी यूनियन इंदौर ने प्रस्तुत किया लेकिन नई दुनिया प्रबंधन ने श्रम न्यायालय में अभी तक जवाब पेश नहीं किया है। कुलदीप ने अपने भविष्य निधि को लेकर भी एक केस किया जिसमें वह जीत चुके हैं। ये वही कुलदीप शर्मा हैं, जिन्होंने 30 मार्च 2008 को राष्ट्रपति से इच्छा-मृत्यु की गुहार लगाई थी। इस बारे में भड़ास4मीडिया पर विस्तार से खबर प्रकाशित की जा चुकी है।

नई दुनिया में कुलदीप की भविष्य निधि (प्रोविडेंट फंड) की कटौती जुलाई 2000 से शुरू की गई। इस बाबत उन्होंने मौखिक तौर पर कई बार प्रबंधन को अवगत कराया कि चूंकि शासन के उस समय के नियमानुसार नियुक्ति के 6 माह बाद से भविष्य निधि की कटौती किए जाने का प्रावधान है, इसलिए उन्हें भी तदनुसार यह सुविधा मिलनी चाहिए, लेकिन प्रबंधन इस ओर से उदासीन रहा। कुलदीप ने एक शपथपत्र देकर क्षेत्रीय भविष्य निधि आयुक्त को अवगत कराया कि वह नई दुनिया समाचार पत्र में 15 फरवरी 1996 से कार्यरत है, लेकिन उन्हें भविष्यनिधि की पात्रता जुलाई 2000 से प्रदान की गई है, इसलिए उन्हें भविष्य निधि की पात्रता नियमानुसार दिलाई जाए। इस पर सहायक श्रमायुक्त ने नई दुनिया प्रबंधन से स्पष्टीकरण मांगा। नई दुनिया प्रबंधन ने सहायक श्रमायुक्त को भेजे अपने जवाब में माना कि कुलदीप 15 फरवरी 1996 से संस्था में कार्यरत हैं, लेकिन यह भी कहा कि अनुभवी कर्मचारियों की जरूरत के मद्देनजर इनका स्थानांतरण किया गया। पत्र में नई दुनिया प्रबंधन ने विरोधाभासी बयान दिया। एक ही पत्र के एक पैरे में लिखा गया कि इनका कार्य संतोषजनक नहीं रहा है, दूसरे पेज के अंत में बताया गया कि ये योग्य हैं। नई दुनिया प्रबंधन ने क्षेत्रीय भविष्यनिधि आयुक्त के समक्ष बयान दिया कि कुलदीप को 15/02/96 को बतौर अप्रेंटिस रखा गया था। क्षेत्रीय भविष्यनिधि आयुक्त ने जब प्रबंधन से अप्रेंटिस एक्ट 1961 के तहत स्टेंडिंग ऑर्डर की प्रति मांगी तो वह पेश नहीं की गई। इसके बाद क्षेत्रीय भविष्यनिधि आयुक्त ने कुलदीप से यह प्रमाणित करने को कहा कि वह नई दुनिया में 15 फरवरी 1996 से कार्यरत रहे। उन्होंने सभी दस्तावेज उपलब्ध करा दिए। अंततः भविष्य निधि संबंधी फैसला कुलदीप के पक्ष में हो गया।

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