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आडवाणीजी, कम से कम पत्रकारों को तो न बांटिए

राजनीति वाले लोग मीडिया के लोगों का राजनीतिक इस्तेमाल तो हमेशा से करते रहे हैं लेकिन कभी किसी ने मीडिया वालों में फूट डालने की कोशिश नहीं की। लोकसभा चुनाव से पहले जाने या अनजाने में, लालकृष्ण आडवाणी के प्रबंधकों ने कल जो किया, उससे तो मीडिया वालों के बीच ही फूट पड़ने की स्थिति आ गई थी। वो तो भला हो मीडियावालों का कि इन लोगों ने बजाय खुद लड़ने के या आपस में बंटने के, एकजुट होकर भाजपा व आडवाणी से ही मोर्चा ले लिया। जानकारी के अनुसार आज पूरे दिन ज्यादातर हिंदी-अंग्रेजी समाचार पत्रों, न्यूज चैनलों, पत्रिकाओं, समाचार एजेंसियों के पत्रकारों ने भाजपा के हर कार्यक्रम का बहिष्कार किया। वो चाहे सदन में लालकृष्ण आडवाणी का वक्तव्य रहा हो या केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक, नेताओं की बाइट-वक्तव्य लेने कोई पत्रकार नहीं पहुंचा।

<p align="justify">राजनीति वाले लोग मीडिया के लोगों का राजनीतिक इस्तेमाल तो हमेशा से करते रहे हैं लेकिन कभी किसी ने मीडिया वालों में फूट डालने की कोशिश नहीं की। लोकसभा चुनाव से पहले जाने या अनजाने में, <strong>लालकृष्ण आडवाणी</strong> के प्रबंधकों ने कल जो किया, उससे तो मीडिया वालों के बीच ही फूट पड़ने की स्थिति आ गई थी। वो तो भला हो मीडियावालों का कि इन लोगों ने बजाय खुद लड़ने के या आपस में बंटने के, एकजुट होकर भाजपा व आडवाणी से ही मोर्चा ले लिया। जानकारी के अनुसार आज पूरे दिन ज्यादातर हिंदी-अंग्रेजी समाचार पत्रों, न्यूज चैनलों, पत्रिकाओं, समाचार एजेंसियों के पत्रकारों ने भाजपा के हर कार्यक्रम का बहिष्कार किया। वो चाहे सदन में लालकृष्ण आडवाणी का वक्तव्य रहा हो या केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक, नेताओं की बाइट-वक्तव्य लेने कोई पत्रकार नहीं पहुंचा। </p>

राजनीति वाले लोग मीडिया के लोगों का राजनीतिक इस्तेमाल तो हमेशा से करते रहे हैं लेकिन कभी किसी ने मीडिया वालों में फूट डालने की कोशिश नहीं की। लोकसभा चुनाव से पहले जाने या अनजाने में, लालकृष्ण आडवाणी के प्रबंधकों ने कल जो किया, उससे तो मीडिया वालों के बीच ही फूट पड़ने की स्थिति आ गई थी। वो तो भला हो मीडियावालों का कि इन लोगों ने बजाय खुद लड़ने के या आपस में बंटने के, एकजुट होकर भाजपा व आडवाणी से ही मोर्चा ले लिया। जानकारी के अनुसार आज पूरे दिन ज्यादातर हिंदी-अंग्रेजी समाचार पत्रों, न्यूज चैनलों, पत्रिकाओं, समाचार एजेंसियों के पत्रकारों ने भाजपा के हर कार्यक्रम का बहिष्कार किया। वो चाहे सदन में लालकृष्ण आडवाणी का वक्तव्य रहा हो या केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक, नेताओं की बाइट-वक्तव्य लेने कोई पत्रकार नहीं पहुंचा।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार विवाद की शुरुआत तब हुई जब कल रात एनडीए की तरफ से दी गई चुनावी दावत में मीडिया के चुनिंदा चार लोगों को निमंत्रित किया गया। ये लोग भाजपा बीट कवर करते थे। इनके नाम हैं- पूर्णिमा जोशी (मेल टुडे), अग्निमा (दैनिक भास्कर), महुआ चटर्जी (टाइम्स आफ इंडिया) और शेखर अय्यर (हिंदुस्तान टाइम्स)। भोज के वक्त बाकी मीडिया के लोग जब आडवाणी के घर पहुंचे तो सभी को गेट पर यह कहते हुए रोक दिया गया कि अंदर सिर्फ निमंत्रित पत्रकार ही जा सकते हैं। इस पर पत्रकार भड़क गए और सेलेक्टिव पत्रकारों को बुलाने पर नाराजगी जाहिर की। बवाल बढ़ता देख आडवाणी के प्रबंधकों ने गेट पर मौजूद मीडियाकर्मियों में से फिर चुनाव शुरू कर दिया। अबकी इंडियन एक्सप्रेस की सुमन झा और द हिंदू की नीना व्यास को भी अंदर बुला लिया। इससे मीडियाकर्मी और ज्यादा उत्तेजित हो गए। सभी ने एकजुट होकर आडवाणी के घर के बाहर ही तय किया कि भाजपा की इस ‘फूट डालो’ की हरकत के खिलाफ अगले दिन भाजपा के सभी कार्यक्रमों का बहिष्कार किया जाएगा। तय हुआ कि न तो पार्लियामेंट में बीजेपी के पक्ष को कवर किया जाएगा और न ही कोई किसी भाजपा नेता की ब्रीफिंग को अटेंड करेगा। 

नाराज पत्रकारों ने आज ऐसा ही किया। पार्लियामेंट पहुंचे पत्रकारों ने आडवाणी का पूरी तरह बहिष्कार किया। यह खबर जब आडवाणी के प्रबंधकों के पास पहुंची तो सबके हाथ-पांव फूलने लगे। एक एक कर कई भाजपा नेता नाराज पत्रकारों के पास पहुंचे और इन्हें मनाने-पटाने की कोशिश की लेकिन कोई पत्रकार टस से मस नहीं हुआ। पत्रकारों का कहना था कि आज चाहे जो कर लो, भाजपा की खबर आज तो बिलकुल नहीं लिखेंगे। सूत्रों का कहना है कि दैनिक जागरण, अमर उजाला, पीटीआई, यूएनआई, नई दुनिया, नवभारत टाइम्स, दैनिक हिंदुस्तान, राजस्थान पत्रिका जैसे अखबारों/समाचार एजेंसियों के भाजपा बीट कवर करने वाले रिपोर्टरों ने भाजपा के किसी कार्यक्रम को आज कवर नहीं किया। इसी तरह सभी न्यूज चैनलों के रिपोर्टरों ने भी भाजपा के कवरेज का बहिष्कार किया। आज भाजपा को कवर उन्हीं पत्रकारों ने किया जो कल दावत में शरीक थे। इनमें अंग्रेजी के छह पत्रकार हैं और हिंदी से एक। हिंदी वाले हैं वीर अर्जुन के रमाकांत

सूत्रों का कहना है कि पार्लियामेंट के बाहर नाराज पत्रकारों को मनाने के लिए पहले शाहनवाज हुसैन आए। उन्होंने पत्रकारों से कहा कि पूरा मामला आडवाणी जी के संज्ञान में है। दुबारा ऐसी गलती नहीं होगी। पर पत्रकार उनकी सफाई से प्रभावित नहीं हुए। शाहनवाज के असफल होकर लौट जाने के बाद राजीव प्रताप रुड़ी आए। वे भी विफल होकर लौटे तो एसएस अहलूवालिया ने पत्रकारों को मनाने की कोशिश की। पर पत्रकार अपने विरोध पर डटे रहे। आज भाजपा मुख्यालय पर दो राज्यों के लिए केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक थी। बैठक के बाद आडवाणी, कलराज मिश्र, सुषमा स्वराज आदि नेता बाहर निकले तो किसी भी पत्रकार ने न तो उनसे बाइट लिया और न ही कोई वक्तव्य। किसी ने कोई सवाल नहीं पूछा।

उम्मीद करते हैं कि पत्रकारों की इस एकजुटता के चलते नेता लोग भविष्य में मीडिया में फूट डालने की कोशिश नहीं करेंगे और सभी को समान भाव से महत्व देंगे।

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