हरियाणा के यमुनानगर का मामला : कोर्ट ने न्यायिक हिरासत में भेजा : पुलिस पर फंसाने का आरोप
हरियाणा के यमुनानगर जिले के दो टीवी पत्रकार एक मंगेतर जोड़े को ब्लैकमेल करने के आरोप में चार दिन जेल में रहे। कोर्ट के आदेश पर अब उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। दोनों टीवी पत्रकारों के साथ ब्लैकमेलिंग के आरोप में दो पुलिसकर्मी भी गिरफ्तार हैं। घटना इसी महीने की 18 तारीख की है। सूत्रों के अनुसार बिजनौर की एक लड़की और लड़के ने, जो प्रेमी-प्रेमिका हैं और जल्द शादी करने वाले हैं, यमुनानगर के पुलिस अधीक्षक विकास अरोड़ा से लिखित शिकायत की कि उन्हें दो टीवी पत्रकारों ने ब्लैकमेल किया और मारपीट की। शिकायत के मुताबिक लड़का और लड़की 18 फरवरी को नहर किनारे बैठे हुए थे। तभी वहां एक पुलिसकर्मी आया और उन्हें अपनी बाइक पर जबरन बिठा कर पुलिस चौकी ले गया।
रास्ते में उन्हें टीवी चैलन के दो पत्रकार मिले। दोनों पत्रकारों ने उन्हें बताया कि उनकी फिल्म बना ली गई है। इसे टीवी पर दिखाया जाएगा। आरोप है कि दोनों पत्रकारों ने उनकी जेब से 1800 रुपए छीन लिए और मोबाइल फोन भी रख लिया। आरोप यह भी लगाया गया है कि दोनों पत्रकारों ने उनसे 12 हजार रुपये की मांग की। शिकायत पर फौरन कार्रवाई करते हुए पुलिस अधीक्षक विकास अरोड़ा ने दोनों पत्रकारों और दोनों पुलिसकर्मियों को हिरासत में लेकर पुलिस स्टेशन भेज दिया। यहां से चारों को कोर्ट में पेश किया गया और दो दिन के लिए रिमांड पर लिया गया। रिमांड की अवधि पूरी होने के बाद पुलिस ने उन्हें 23 फरवरी को फिर अदालत में भेजा। अदालत के आदेश पर उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।
सूत्रों का कहना है कि इस प्रकरण में कई पेंच हैं। इस प्रकरण पर यमुनानगर के पत्रकार दोहरा चरित्र अपनाए हुए हैं। कुछ पत्रकार पुलिस के मुखबिर की भूमिका निभा रहे हैं और पल-पल की सूचना पुलिस को दे रहे हैं। बताया यह भी जा रहा है कि पीड़ित लड़का-लड़की को पुलिस तक पहुंचाने और शिकायत दर्ज करवाने में कुछ स्थानीय पत्रकारों का ही हाथ है। इन लोगों ने साजिशन पूरे मामले को संवेदनशील बना दिया। उधर गिरफ्तार किए गए दोनों पत्रकारों का कहना है कि वे पुलिस से ही सूचना मिलने के बाद घटना स्थल पर पहुंचे। साथ ही, पुलिसवालों से निवेदन भी किया कि वे लोग लड़का-लड़की को छोड़ दें। लेकिन पुलिस ने उन्हें ही इस मामले में फंसा दिया।
उल्लेखनीय है कि दोनों टीवी पत्रकार संभ्रांत घरों से हैं और इन पर किसी किस्म का आरोप पहली बार लगा है। ये दोनों वर्षों से पत्रकारिता में है। इसके चलते यमुनानगर के कई पत्रकार पुलिस की कार्रवाई को ही संदेह की नजर से देख रहे हैं। दोनों पत्रकारों को गिरफ्तार करने में पुलिस द्वारा दिखाई गई तत्परता भी संदेह पैदा करती है। बताया जा रहा है कि लड़का-लड़की रिपोर्ट दर्ज नहीं कराना चाहते थे क्योंकि उन्हें बदनामी का डर था। वे अगले माह ही शादी करने जा रहे हैं। पर बताया जाता है कि कुछ लोगों ने पुलिस के साथ सांठगांठ कर इन दोनों को मामला दर्ज कराने के लिए मजबूर किया। पुलिस अधीक्षक विकास अरोड़ा ने यमुनानगर में दो पत्रकारों को गिरफ्तार कराने के बाद जेल भेजा है तो उनकी पत्नी भारती अरोड़ा के बारे में बताया जाता है कि वे भी करनाल में एसपी पद पर रहते हुए वहां के दो स्थानीय पत्रकारों के खिलाफ मामला दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार करवा दिया था। जो भी हो, शक के दायरे में दोनो हैं- पुलिस और पत्रकार। इस मामले का सच किसी निष्पक्ष जांच के जरिए ही सामने लाया जा सकता है।