यह पत्र मैं इस निवेदन के साथ लिख रहा हूं कि आप इसे गंभीरता से लेते हुए निष्पक्ष पत्रकारिता पर हो रहे प्रहार के विरोध में आवाज उठाएंगे। महोदय, नेपाल सीमा पर स्थित जनपद सिद्धार्थनगर में निष्पक्ष पत्रकारिता करना अब काफी कठिन कार्य हो गया है। माओवादी व अपराधियों के साथ-साथ अब प्रशासन भी निष्पक्ष पत्रकार की आवाज को दबाने पर लगा है। नेपाल सीमा पर कार्यरत अमर उजाला के पत्रकार ध्रुव यादव को एसएसबी के जवानों ने निशाना बना लिया और उन्हें महज इसलिए मारपीट कर चरस के साथ जेल भेज दिया क्योंकि उनकी कलम हमेशा राष्ट्रविरोधी और तस्करी में लिप्त एसएसबी जवानों के खिलाफ चलती रही।
यही नहीं, उसी सीमा क्षेत्र के दैनिक जागरण के संवाददाता विजय श्रीवास्तव को भी एसएसबी जवानों ने अपमानित किया। तस्करी के खिलाफ खबर लिखने पर जवानों ने उसे मुर्गा बनाया, मारा-पीटा और थूक कर चटाया। इन घटनाओं को लेकर पत्रकार समाज काफी आहत है। जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन के लोगों की हालत यह है कि वे पीड़ित पत्रकारों को न्याय दिलाने की जगह पूरे मामले की लीपापोती में जुटे रहते हैं। पत्रकारों ने धरना-प्रदर्शन कर मामले को कई बार उठाया। सांसद जगदंबिका पाल ने घटना की उच्चस्तरीय जांच की मांग करते हुए पत्रकारों पर थोपे गए फर्जी मुकदमों को वापसी लिए जाने की मांग की है।
मनीष मिश्रा
पत्रकार
सिद्धार्थनगर (उत्तर प्रदेश)