दैनिक हिंदुस्तान, पटना के विशेष संवाददाता और वरिष्ठ पत्रकार श्रीकांत को बिहार राष्ट्र भाषा परिषद ने वर्ष 2007-08 के लिए राजेंद्र माथुर स्मृति पत्रकारिता सम्मान देने की घोषणा की है। सम्मान समारोह का आयोजन 22 फरवरी को पटना में किया जाएगा। वामपंथी आंदोलनों से जुड़े रहे श्रीकांत साहित्यिक पत्रिकाओं में कहानियां लिखते-लिखते मुख्यधारा की पत्रकारिता में आ गए। वर्ष 1977 में ‘कहानी’ पत्रिका में पहली बार श्रीकांत की लिखी कहानी प्रकाशित हुई। वर्ष 1980 में समकालीन जनमत से जुड़े।
1984 में पाटलिपुत्र टाइम्स ज्वाइन किया। 1986 से अभी तक एचटी ग्रुप के साथ जुड़े हुए हैं। श्रीकांत केके बिड़ला फाउंडेशन की तरफ से फेलोशिप पा चुके हैं और इसी फेलोशिप के तहत अपने गाइड प्रसन्न कुमार चौधरी के साथ मिलकर ‘बिहार में सामाजिक परिवर्तन के आयाम’ नामक चर्चित किताब लिखी। श्रीकांत के नाम कुल पांच पुस्तकें हैं। बिहार की राजनीतिक पृष्ठभूमि पर दो किताबें लिखी हैं- ‘बिहार में चुनाव‘ (2005) और ‘बिहार में परिसीमन‘ (2008)। वरिष्ठ पत्रकार प्रसन्न कुमार चौधरी के साथ संयुक्त रूप से मिलकर जो तीन किताबें लिखी हैं, वे इस प्रकार हैं- बिहार में सामाजिक परिवतर्न के कुछ आयाम, बिहार में दलित आंदोलन, 1857 का महायुद्ध : बिहार-झारखंड। बिहार को लेकर बिहार के अंदर-बाहर फैले मिथ, कुतर्क और कुप्रचार का जवाब देने के लिए श्रीकांत लिखित आलेख ‘मैं बिहार हूं’ इतना चर्चित हुआ कि इसे इप्टा ने नाटक में तब्दील कर दिया। पूरे देश में करीब 5000 बार यह नाटक खेला जा चुका है।
श्रीकांत को बधाई देने के लिए [email protected] पर मेल भेज सकते हैं या 09431016301 पर घंटी बजा सकते हैं।