आर्थिक मंदी का ऐसा दौर शुरू हुआ है जिसमें आने वाले दिनों में अंशकालिक पत्रकारों की गिनती बढ़ने वाली है। जिस तरह से मीडिया घरानों द्वारा छंटनी की जा रही है, उसे देखते हुए यह संभावना बढ़ती दिखाई दे रही है कि आने वाले दिनों में अंशकालिक पत्रकारों के ऊपर अखबारों की निर्भरता और बढ़ जाएगी। ये बातें वरिष्ठ पत्रकार प्रभाष जोशी ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय के संस्थापक महामना मदन मोहन मालवीय की जयंती पर मेवाड़ संस्थान, गाजियाबाद द्वारा आयोजित पुरस्कार समारोह में कहीं।
इस समारोह में मालवीय जी के नाम पर अंशकालिक पत्रकारों और साहित्यकारों को पुरस्कार प्रदान किया गया। पुरस्कार पांच श्रेणियों में दिया जाता है जिसमें अंशकालिक रिपोर्टर, फीचर राइटर, टीवी रिपोर्टर, फोटोग्राफर और कार्टूनिस्ट शामिल हैं। इस बार इन पांच श्रेणियों में क्रमशः प्रदीप सिंह, संजय तिवारी, विभु मिश्रा, अमीरूद्दीन और सुधीर गोस्वामी को पुरस्कार दिया गया। पुरस्कार के लिए जो निर्णायक मंडल बनाया गया था उसमें इंडिया टुडे के एसोसिएट एडीटर जगदीश उपासने, कार्टूनिस्ट हरीश शुक्ल ‘काक‘ और साहित्याकार पत्रकार रवीन्द्र त्रिपाठी शामिल थे। पुरस्कार के तहत सभी को शाल, प्रशस्ति पत्र और नकद राशि दी गयी। पुरस्कार प्रदान किया नामवर सिंह ने।
इस मौके पर मुख्य अतिथि की हैसियत से प्रभाष जी ने मालवीय जी के काम को याद करते हुए कहा कि मालवीय जी ने हमारे सामने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के रूप में एक संदर्भ छोड़ गये हैं। आज उनके जाने के इतने वर्षों बाद भी हम उनके द्वारा खड़े किये गये शैक्षणिक प्रतिष्ठान का लाभ ले रहे हैं। यह बिल्कुल वैसे ही है जैसे आज से सौ साल बाद अगर कोई खोजकर्ता एक्स्प्रेस समूह की लाइब्रेरी में जाकर यह खोजे कि सौ साल पहले किसी प्रभाष जोशी नाम के व्यक्ति ने क्या काम किया था। अगर ऐसा होता है तो हमें मानना चाहिए कि हमने जो किया वह सही था। उन्होंने कहा कि मालवीय जी भी मालवा के थे और मैं भी मालवा का हूं इसलिए उनका मालवीय जी के साथ वह रिश्ता बनता ही है जो कि हर किसी का अपने अनाम पुरखे से होता है।
निर्णायक मंडल के सदस्य जगदीश उपासने ने कहा कि किसी भी अखबार या मीडिया समूह में अंशकालिक पत्रकारों की हमेशा से ही महत्वपूर्ण भूमिका रही है। अंशकालिक पत्रकारों को पुरस्कृत करना सचमुच एक बड़ा काम है जिसे बहुत पहले से किया जाना चाहिए था।
मालवीय जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए प्रख्यात आलोचक और साहित्यकार नामवर सिंह ने कहा कि पेशे से तो वे भी अंशकालिक पत्रकार हैं क्योंकि वे कुछ दिनों तक एक साप्ताहिक के सलाहकार संपादक रहे हैं और आज भी आलोचना नामक त्रैमासिक का संपादन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि एक लिहाज से देखा जाए तो मैं पेशे से अंशकालिक साहित्यकार ही हूं। पूर्णकालिक रूप से अगर मैंने कोई काम किया है तो वह है–अध्यापन। शिक्षा के क्षेत्र में मालवीय जी के योगदान के बारे में याद करते हुए उन्होंने कहा कि मेरे गुरूदेव आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी ने एक बार कहा था कि अगर मालवीय जी ने यह विश्वविद्यालय नहीं बनाया होता तो शायद ही वे पढ़ पाते। ठीक यही बात मेरे ऊपर भी लागू होती है। अगर काशी हिन्दू विश्वविद्यालय नहीं होता तो शायद ही नामवर सिंह पढ़ता या पढ़ाता। और ऐसा किसी एक दो व्यक्ति के बारे में ही उदाहरण नहीं है. ऐसे हजारों लोग हैं जो काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कारण पढ़ सके। नामवर सिंह ने कहा कि मालवीय जी जितने महान शिक्षाविद थे उतने ही श्रेष्ठ पत्रकार भी थे। उन्होंने हिन्दुस्तान और लीडर अखबारों का संपादन किया। प्रभाष जोशी ने भी कहा कि जिस तरह से मेवाड़ संस्थान ने पत्रकारों के लिए मालवीय जी के नाम पर अंशकालिक पुरस्कारों की घोषणा की है इसी तर्ज पर मालवीय जी के नाम पर हर साल किसी एक शिक्षक को भी पुरस्कार दिया जाना चाहिए क्योंकि वे एक महान शिक्षाविद थे।
नामवर सिंह ने कहा कि काशी हिन्दू विश्वविद्यालय बनाने के लिए न केवल उन्होंने देशभर से धन और साधन इकट्ठा किया बल्कि उन्होंने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय को सचमुच शिक्षा की राजधानी के रूप में स्थापित किया जो कि आज विश्वविद्यालय का गीत में भी दोहराया जाता है कि यह सर्व शिक्षा की राजधानी है। नामवर सिंह ने कहा कि काशी हिन्दू विश्वविद्यालय सचमुच सर्वशिक्षा की राजधानी है जहां कि सभी प्रकार के परंपरागत और आधुनिक शिक्षण की व्यवस्था है।
मेवाड़ संस्थान के अध्यक्ष अशोक गादिया ने सभी लोगों का धन्यवाद दिया और कहा कि मालवीय जी के कार्य से प्रेरणा लेकर मेवाड़ संस्थान भी एक उपयोगी शिक्षण संस्थान बनने की दिशा में अग्रसर है। उन्होंने उम्मीद जाहिर की अगर मालवीय जी के दिखाये रास्ते पर मेवाड़ संस्थान थोड़ी भी दूरी तय करता है तो हम समझेंगे हमारा काम करना सफल हो गया। पुरस्कार समारोह का यह आयोजन मेवाड़ संस्थान, गाजियाबाद में आयोजित किया गया जिसमें कई गणमान्य पत्रकारों सहित संस्थान के भी लोग उपस्थित थे। मंच पर अतिथियों सहित मेवाड़ संस्थान के निदेशक एनएस राव और मेवाड़ संस्थान के सचिव अशोक सिंहल भी मौजूद थे।