वर्तिका नंदा और उदय सहाय द्वारा मीडिया पर लिखी किताब ‘मीडिया और जनसंवाद’ का विमोचन बीते दिनों दिल्ली के साहित्य अकादमी सभागार में हुआ। किताब का विमोचन ‘हिंदी अकादमी’ के उपाध्यक्ष अशोक चक्रधर और ‘नई दुनिया’ के समूह संपादक आलोक मेहता ने किया। इस मौके पर ‘हंस’ के संपादक राजेंद्र यादव सहित विभिन्न मीडिया हाउसों की जानी-मानी हस्तियां मौजूद थीं। वर्तिका नंदा इससे पहले 1989 में ‘मुधर दस्तक’ (कविता संग्रह) और 2006 में ‘टेलिविजन एवं अपराध पत्रकारिता’ किताब लिख चुकी हैं। उदय सहाय ने सन् 2000 में ‘पुलिस कंपुडियन’ और 2006 में ‘मेकिंग न्यूज’ (ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस द्वारा प्रकाशित) किताब लिख चुके हैं। दोनों की यह तीसरी किताब है, जो संयुक्त रूप से आई है। इसे सामयिक प्रकाशन ने प्रकाशित किया है।
विमोचन समारोह में लेखक उदय सहाय ने कहा कि यह किताब सच को सामने लाने की एक विनम्र कोशिश है। मीडिया स्टडी और मॉस कॉम के फर्क को समझाते हुए उन्होंने कहा कि ये दोनों जुदा हैं। मीडिया स्टडी सच के पीछे का सच लाता है। वर्तिका नंदा ने कहा कि इस किताब को लिखने का उद्देश्य यह है कि जो लोग नाग-नागिन से आगे बढ़ना चाहते हैं, उनके साथ काम किया जाए। मुख्य अतिथि आलोक मेहता ने कहा कि आज पत्रकारिता संस्थानों में अच्छी किताबें एवं अच्छे शिक्षकों की कमी है। इस किताब से पत्रकारिता के छात्रों को फायदा मिलेगा। कार्यक्रम के अध्यक्ष अशोक चक्रधर ने इस किताब के लेखकों के बारे में कहा कि वर्तिका संवेदना से ज्ञान की ओर जाती हैं और उदय ज्ञान से संवेदना की ओर आते हैं। यह पुस्तक लोगों को चुनौतियों का सामना करने के लिए बाध्य करेगी। पति-पत्नी के साथ किताब लिखने का सिलसिला राजेंद्र यादव और मन्नू भंडारी ने शुरू किया था। ये लोग उस पंक्ति में जुड़कर सिलसिले को आगे बढ़ा रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि वर्तिका नंदा देश के प्रतिष्ठित संस्थान ‘भारतीय जनसंचार संस्थान’ में बतौर शिक्षिका काम कर चुकी हैं। इससे पहले उन्होंने ‘एनडीटीवी’ में बतौर क्राइम रिपोर्टर कई सालों तक काम किया। फिलहाल वे स्वतंत्र लेखन में जुटी हैं। उदय सहाय सूचना एवं प्रसारण विभाग, विज्ञापन के दिल्ली सरकार के प्रमुख रह चुके हैं। पिछले दिनों उन्होंने स्वैच्छिक सेवानिवृत्तिले लिया। वर्तमान में वह राष्ट्रमंडल खेलों के अतिरिक्त महानिदेशक के रूप में कार्यरत हैं। वरिष्ठ पत्रकार प्रसून जी ने समारोह का संचालन किया। इस मौके पर प्रकाशक महेश भारद्वाज भी मौजूद थे।