Connect with us

Hi, what are you looking for?

साहित्य

’26/11 : वे 59 घंटे’ : एक रिपोर्टर का हलफनामा

विमोचन समारोह

’26/11 : वे 59 घंटे’। ये है एक रिपोर्टर का हलफनामा। इस किताब को लिखा है स्टार न्यूज के रिपोर्टर जीतेंद्र दीक्षित ने। इसका 19 नवंबर 2009 को मुंबई में लोकार्पण किया गया। 26 नवंबर 2008 को मुंबई में हुए आतंकी हमले पर जीतेंद्र दीक्षित के अनुभवों पर आधारित है यह किताब।

विमोचन समारोह

विमोचन समारोह

’26/11 : वे 59 घंटे’। ये है एक रिपोर्टर का हलफनामा। इस किताब को लिखा है स्टार न्यूज के रिपोर्टर जीतेंद्र दीक्षित ने। इसका 19 नवंबर 2009 को मुंबई में लोकार्पण किया गया। 26 नवंबर 2008 को मुंबई में हुए आतंकी हमले पर जीतेंद्र दीक्षित के अनुभवों पर आधारित है यह किताब।

किस तरह से एक इलेक्ट्रानिक मीडिया का रिपोर्टर और उसके सहयोगी गोलियों और बमबारी के बीच अपनी जान जोखिम में डालकर खबरें लोगों तक पहुंचाते है, उसका पूरा चित्रण इस किताब में है। पूरी परिघटना को आप पढ़ते वक्त महसूस भी कर सकते हैं। इस किताब को पढ़ते वक्त आपको जरूर लगेगा कि 26 नवंबर की रात से 29 नवंबर की सुबह तक आप आंखों में नींद लिये हुए टीवी से किस तरह चिपके थे। ऐसे हालात में किस तरह से एक रिपोर्टर के घर वाले, उसकी बीवी, उसकी मां परेशान होते रहे…इसका भी जिक्र जीतेंद्र ने बड़े ही मार्मिक ढंग से किया है। किताब का एक अंश देखिए…


पत्नी- घर कब आओगे?   

मैं (यानि रिपोर्टर)- टी वी देख रही हो क्या?

पत्नी- देख रही हूं। क्या तुम अकेले रिपोर्टर हो वहां पर?

मैं- रिपोर्टर तो कई हैं लेकिन मैं हट नही सकता। जब ऑपरेशन खत्म होगा तभी घर आ पाऊंगा।

पत्नी- कब खत्म होगा ऑपरेशन?

मैं- पता नही। शायद सुबह तक ऑपरेशन चले।

पत्नी- लेकिन सुबह तो हमारी लखनऊ के लिये ट्रेन है। कैसे जा पायेंगे।

Advertisement. Scroll to continue reading.

मैं- क्या बात कर रही हो तुम? अभी भी तुम्हे लगता है कि हम लखनऊ जा पाएंगे? अगर ऑपरेशन खत्म हो गया तब भी मैं मुंबई नही छोड़ सकता । कई फॉलोअप्स करने होगें।

पत्नी- ये कैसी नौकरी है……..

ये कहकर पत्नी ने फोन काट दिया। दरअसल पत्नी कई दिनों से 27 तारीख का इंतजार कर रही थी। क्योंकि शादी के बाद कानपुर वो पहली बार अपने मायके लौटने वाली थी।

मां ने पूछा- आ पाओगे या नहीं ?

मां के सवाल पर मुझे गुस्सा आया।

मैं- मम्मी आप ये सवाल भी कैसे कर सकती हो? टीवी नहीं देख रही हो क्या?

मां- देख रही हूं। पता भी है कि तुम नही आ पाओगे, लेकिन यहां सब लोग आस लगाएं बैठे थे । सरिता( चाचा की बेटी) भी मिलना चाहती थी। इसलिए सोचा कि शायद तुम किसी तरह आ जाओ।

मैं- नही आ सकता। अगर ऑपरेशन खत्म हुआ तो शायद 29 तारीख की रात फ्लाइट पकड़ कर रात भर के लिये आ जाऊं। लेकिन आज तो निकलना मुश्किल है।

मां- अच्छा अपना खयाल रखना। ज्यादा जोश दिखाकर आगे घुसने की कोशिस मत करना। हमें तो बढ़ा डर लग रहा है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

मैं- मम्मी। हम तो ताज होटल के बाहर हैं और ठीक से हैं। अभी भी कई लोग ताज में फंसे हुए हैं। जिन्हें आतंकवादियों ने बंधक बना के रखा है। कईयों के बारे में पता नही चल रहा कि वे जिंदा है या मर गये। उनके घर वालों को देखो तो पता चलेगा कि मम्मी तुम खुशनसीब हो।

मम्मी- तुम नही सुधरोगे। जो ठीक समझो करों……….कह कर मां ने फोन रख दिया।

इस किताब में कुछ और भी ऐसे प्रसंग हैं जो रोगंटे खड़े करने वाले हैं जिसके कुछ अंश….

”…..आतंकवादियों ने ताज की ऊपरी मंजिल से मेरी ओर हथगोला फेंका था। मैं थोड़ी और तेज रफ्तार से आगे भागा, लेकिन 5 से 6 सेकंड के भीतर उन्होंने फिर एक हथगोला फेंका और इसी के साथ तीन राउंड फायर की आवाज भी सुनाई दी। हालांकि हथगोले के छर्रे मुझे नही लगे लेकिन उसके विस्फोट से पैदा होने वाली गर्मी मेरे पीठ ने महशूस की। मेरे लिये ये उस रात का सबसे डरावना वाक्या था।”

”….मैं ठीक बम के बगल में खड़ा था, इसकी गंभीरता का अंदाजा मुझे लगातार आनेवाले फोन कॉल्स और तस्वीरें शूट करने के दबाव की वजह से तब नही लग पाया था। आधे घंटे के भीतर मैं दूसरी बार मौत के करीब से गुजरा था। बम अगर फटता तो हमारे शरीर के चिथड़े उड़ जाते।”


मुंबई आतंकी हमले के ऊपर लिखी गई जीतेंद्र दीक्षित की इस किताब ऐसे तमाम वाकये हैं जो पढ़ते आपको छकझोर देगें। विश्वास है अगर आप एक रिपोर्टर के इस हलफनामें को पढ़ने के लिये हाथ में उठाते हैं तो अंतिम पेज खत्म करके ही दूसरा काम करेंगे।

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

अपने मोबाइल पर भड़ास की खबरें पाएं. इसके लिए Telegram एप्प इंस्टाल कर यहां क्लिक करें : https://t.me/BhadasMedia

Advertisement

You May Also Like

Uncategorized

भड़ास4मीडिया डॉट कॉम तक अगर मीडिया जगत की कोई हलचल, सूचना, जानकारी पहुंचाना चाहते हैं तो आपका स्वागत है. इस पोर्टल के लिए भेजी...

Uncategorized

भड़ास4मीडिया का मकसद किसी भी मीडियाकर्मी या मीडिया संस्थान को नुकसान पहुंचाना कतई नहीं है। हम मीडिया के अंदर की गतिविधियों और हलचल-हालचाल को...

टीवी

विनोद कापड़ी-साक्षी जोशी की निजी तस्वीरें व निजी मेल इनकी मेल आईडी हैक करके पब्लिक डोमेन में डालने व प्रकाशित करने के प्रकरण में...

हलचल

[caption id="attachment_15260" align="alignleft"]बी4एम की मोबाइल सेवा की शुरुआत करते पत्रकार जरनैल सिंह.[/caption]मीडिया की खबरों का पर्याय बन चुका भड़ास4मीडिया (बी4एम) अब नए चरण में...

Advertisement