भाई यशवंत, मैं दैनिक नवज्योति से अपने इस्तीफे की खबर आपकी साइट पर देखकर हैरान हूं। दरअसल, मेरे इस्तीफे की वजह बेहद निजी है और मैंने जयपुर के खास दोस्तों को भी इसके बारे में नहीं बताया था। आपको यह खबर कहां से मिली? …कभी कहा ना किसी से तेरे फसाने को, ना जाने कैसे खबर हो गई जमाने को….। चार साल राजस्थान पत्रिका और दस साल नवभारत टाइम्स (जहां मैंने मुख्य उप संपादक से लेकर समाचार संपादक के तौर पर स्थानीय संपादक की जिम्मेदारियां भी निभाईं। दुर्भाग्य से इस अखबार का जयपुर संस्करण बंद हो गया) में काम करने के बाद 1996 में जब मैंने दैनिक नवज्योति में दाखिला लिया था, तब मुझे खुद भी यकीन नहीं था कि इसमें ज्यादा दिन टिक पाऊंगा, लेकिन 13 साल कैसे गुजर गए, पता ही नहीं चला।
इस बीच कुछ बड़े प्रतिष्ठानों से आकर्षक प्रस्ताव भी मिले, मैं तब भी नवज्योति नहीं छोड़ पाया तो इसकी सबसे बड़ी वजह मुझे यहां मिला अपनापन, सम्मान और स्नेह रहा। अचानक 3 अगस्त, 2009 को मैंने इस्तीफा दे दिया। क्यों? इसके बारे में चुप रहना ही बेहतर होगा। आपकी साइट पर खबर आने के बाद यार लोग पूछ रहे हैं..आखिर क्यों? अब क्या? मेरे पास हाल-फिलहाल कोई जवाब नहीं है, सिवा इसके कि… गो जरा-सी बात पर बरसों के याराने गए, लेकिन इतना तो हुआ कुछ लोग पहचाने गए..।
-दिनेश ठाकुर