प्रकाश के लिए क्या आप कुछ कर सकते हैं? : गूंगे-बहरे सिस्टम से लड़ रहे एक नौजवान की दास्तान : सेवा में, सीईओ & एडिटर, भड़ास4मीडिया, विषय : स्वामी सत्यान्नद अस्पताल की लापरवाही व दैनिक जागरण के पत्रकार सुधीर बैसला की मनमानी व मिली भगत के कारण न्याय न मिलना। श्रीमान जी, मैं दिनांक 11-8-09 को फरीदाबाद के स्वामी सत्यान्नद अस्पताल में पाइल्स के बारे में सलाह के लिए गया था। चूंकि मेरे परिवार मे तीन लोगों को पहले से ही पाइल्स है, इसी डर के कारण मैं स्वामी सत्यानन्द अस्पताल सेक्टर 7-ए फरीदाबाद में गया जहां डाक्टर महेन्द्र ने मुझे गुमराह किया और बोला कि आपको पाइल्स है। मैंने उनको कहा कि मुझे कभी दर्द तक नहीं हुआ है। वो नहीं माने और उन्होंने कहा कि अगर अभी इसका इलाज करवायेंगे तो इन्जेक्सन थेरेपी से हो जायेगा अन्यथा इसका आपरेशन करना पड़ेगा।
मैंने कहा, जैसा आपको ठीक लगे, करो। उन्होंने मुझे पाइल्स के लिए इन्जेक्सन दे दिया और दवाई दी। इसके बाद मेरी हालत बिगड़ती चली गई। जब स्वामी सत्यानन्द अस्पताल से मेरी बीमारी कन्ट्रोल नहीं हुई तो इन्होंने मुझे मोगा नर्सिंग होम, सेक्टर-10, फरीदाबाद में भिजवा दिया, जहां मुझे पता चला कि जो दवाई स्वामी सत्यान्नद अस्पताल में मुझे दी गई है उसकी वजह से मेरे पेट में इन्फेक्सन हो गया। वहां मुझे एक दिन रखने के बाद घई अस्पताल सेक्टर- 9 में रेफर कर दिया गया। वहां जाकर मुझे पता चला कि मुझे पाइल्स नहीं है! श्रीमान जी, इसकी शिकायत मैंने फरीदाबाद के पुलिस अधिकारी से की। फरीदाबाद डीसी और सेक्टर 7 पुलिस थाना के यहां भी शिकायत दर्ज कराई पर हर तरफ से हताशा मिली है। इसी बीच स्वामी सत्यानन्द अस्पताल ने अपनी गलती मान ली और जो पैसे उन्होंने लिए थे, उसको वापस करने की पेशकश की परन्तु मैंने इनकार कर दिया क्योंकि थोड़े से पैसे के लालच में आकर उसने मेरा जबरन इलाज कर दिया पर बीमारी मुझे थी ही नहीं। मैंने अस्पताल और डाक्टर के खिलाफ कोर्ट में केस डाल दिया और एक लीगल नोटिस भी भिजवा दिया।
श्रीमान जी, जब मैंने यह सारी व्यथा और दुखड़ा लेकर दैनिक जागरण के फरीदाबाद कार्यालय गया और राठी जी से मिला तो उन्होंने मुझे रिपोर्टर सुधीर बैसला से मिलने को कहा। मैंने उन्हें सारी कहानी बताई और सीएमओ की रिसीविंग कापी व लीगल नोटिस की कापी सौंप दी। अपनी ओर से लिखित शिकायत भी दे दी। परन्तु उन्होंने मेरी परेशानी पर ध्यान न देकर डाक्टर से बात कर सुलह-समझौता कराने में जुट गए। उन्होंने मेरे सामने अपने फोन पर स्वामी सत्यानन्द अस्पताल के डाक्टर से बातचीत की और मुझसे कहा कि मैंने उनको बोल दिया है, वो अपनी गलती मान रहे हैं। आपके इलाज पर जो खर्च हुआ, वो दे देंगे। मैंने सुधीर बैसला से कहा कि पैसे के लोभी डाक्टर के कारण मैं लगभग एक महीने तक अस्पताल में रहा हूं। ये आगे फिर किसी के साथ ऐसा करेगा। आप मेरी शिकायत छाप दो। मैं आपको डीसी, सीएमओ और लीगल नोटिस की प्रतिलिपि दे रहा हूं। परन्तु सुधीर बैसला ने मेरी खबर छापने से इनकार कर दिया। वे बोले कि खबर छापने से अस्पताल बदनाम हो जायेगा। मैंने उनसे कहा कि अस्पताल वालों ने मेरी जिंदगी के साथ खिलवाड़ किया है, आप मुझ पीड़ित का साथ दें। पर बैसला ने मेरी एक न सुनी और मेरी खबर भी नहीं प्रकाशित की। इस वाकये की शिकायत मैंने दैनिक जागरण के नोएडा कार्यालय में ओम वर्मा से की और लिखित शिकायत की एक प्रतिलिपि कानपुर आफिस को भी भेज दी।
श्रीमान जी, अगर पुलिस और मीडिया इसी तरह पैसे वालों के रक्षक बने रहेंगे तो हम जैसे गरीब लोगों की कौन सुनेगा। मैं आपको इस उम्मीद में यह पत्र भेज रहा हूं कि इसे प्रकाशित कर आप मेरी बात ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचा कर न्याय दिलाने का प्रयास करेंगे।
आपका
प्रकाश चन्द
मकान नं.-2604, हाउसिंग बोर्ड
कालोनी, सेक्टर-3 फरीदाबाद- 121004
मोबाइल नं.- 9911911688, 9811627797
मेल- [email protected]
दैनिक जागरण के संपादक को प्रकाश ने जो पत्र भेजा है, उसे भी हम प्रकाशित कर रहे हैं-
सेवा में,
चीफ एडिटर, दैनिक जागरण
विषय – स्वामी सत्यान्नद अस्पताल की धोखाधड़ी के बारे में
श्रीमान जी,
मै दिनांक 11-8-09 को स्वामी सत्यान्नद अस्पताल सेक्टर-7 ए, फरीदाबाद, हरियाणा में पाइल्स के सन्दर्भ में सलाह के लिए गया था। मेरे परिवार में पहले से ही दो भाई और बहन को पाइल्स था। इसलिए मैंने सोचा कि कहीं यह बीमारी वंशानुगत तो नहीं है। इस शक को दूर करने के लिए मैं स्वामी सत्यान्नद अस्पताल सेक्टर-7 फरीदाबाद गया। वहां उन्होंने बोला कि आपको चेक करना पड़ेगा। उन्होंने मेरा चेकअप करके बोला कि आपका पाइल्स लास्ट स्टेज पर है। इसमें कभी भी ब्लड शुरू हो सकता है। मैंने उनसे कहा कि मुझे पहले सिर्फ एक बार जलन हुई है। और किसी भी तरह का ना तो दर्द है और ना ही ब्लड आया है, मैं नारमल हूं। उन्होंने कहा कि प्राबलम ज्यादा है। अगर आप अभी इलाज करवाते हैं तो इन्जेक्शन थेरेपी से इलाज करेंगे। एक इन्जेंक्शन का खर्चा 2500 रुपया होता है। दवाई अलग से लेना होगा। अगर बाद में करवाओगे तो आपरेशन होगा। तब मैंने कहा कि जैसा आपको ठीक लगे, करो।
श्रीमान जी, डॉ. महेन्द्र सिंह ने मुझे दिनांक 11-8-09 को पाइल्स के लिए इन्जेक्शन लगा दिया। इसके बाद मेरी हालत दिन पर दिन बिगड़ती चली गई। मैं इसकी शिकायत लेकर स्वामी सत्यानन्द अस्पताल गया तो इन्होंने 17-8-09 को मुझे मौगा नर्सिंग होम सेक्टर-10 फरीदाबाद (हरियाणा में) भर्ती करवा दिया। वहां पर भी जब मेरी हालत नहीं सुधरी तो मुझे सेक्टर-9 स्थित घई अस्पताल में रेफर कर दिया गया। श्रीमान जी, दोनों अस्पताल ने मुझे बताया कि मुझे पाइल्स है ही नहीं। मेरे पेट में हेवी डोज इन्जेक्सन के कारण इनफेक्शन फैल गया है। डॉ मौगा और डॉ. घई की रिपोर्ट के अनुसार जो दवाई मुझे स्वामी सत्यानन्द अस्पताल ने दी है, उनकी वजह से ही मुझे इन्फेक्सन हुआ है। इसके परिणाम स्वरूप मुझे दिनांक 11-8-09 से 23-8-09 तक अस्पताल में भर्ती रहना पड़ा। श्रीमान जी, एक डॉक्टर ने 3000 रुपये के लालच में मेरी जिन्दगी से खिलवाड़ किया है। मैंने इसकी लिखित शिकायत फरीदाबाद डी.सी. को दी है और फरीदाबाद (हरियाणा) सीएमओ को भी दी है। कोर्ट में केस भी डाल दिया है। फरीदाबाद सेक्टर- 7 ए की लोकल चौकी में भी जानकारी दे दी है। लेकिन अभी तक मेरी कहीं सुनवाई नहीं हुई है।
जब मैं हर जगह से थक हार कर सभी रिसीविंग कापी व लीगल नोटिस लेकर आपके अखबार के फरीदाबाद में नीलम वाढा रोड स्थित दैनिक जागरण के कार्यालय पहुंचा तो, वहां आपके रिपोर्टर सुधीर बैसला ने मेरी खबर छापने से इनकार कर दिया। उन्होंने मुझसे कहा कि कुछ नहीं होने वाला। उन्होंने मेरे सामने ही स्वामी सत्यानन्द अस्पताल के डॉ. महेन्द्र को फोन किया और आपस में गुफ्तगू की। बैसला ने मेरे से कहा कि आप स्वामी सत्यानन्द अस्पताल चले जाओ। वो लोग अपनी गलती मान रहे हैं। आपके इलाज में जो खर्चा आया है, वो दे देंगे। तब मैंने सुधीर बैसला को बोला कि मैं चाहता हूं कि मेरी शिकायत का आप संज्ञान लें और दोनों पक्षों से बातकर खबर प्रकाशित करें ताकि लोभी डाक्टर की करतूत दुनिया के सामने आए और आगे से लोग इस डाक्टर से इलाज करवाने से बच सकें। उन्होंने मुझसे साफ शब्दों में खबर लिखने से इनकार कर दिया। उन्होंने मेरी शिकायत को फेंक दिया। मुझसे बोला कि मैं अस्पताल के खिलाफ नहीं लिखूंगा, जो आपकी मर्जी है कर लो। श्रीमान जी, इसके बाद मैं दैनिक भास्कर के कार्यालय गया जहां मेरी खबर को दिनांक 26-8-09 के फरीदाबाद के अंक में वरीयता दी गई। मैं दैनिक जागरण का नियमित पाठक रहा हूं पर मेरे साथ जो हुआ, उससे मुझे गहरा दुख हुआ है।
श्रीमान जी, जब प्रेस, पुलिस और अस्पताल आपस में मिल जायेगा तो हम जैसे गरीब लोगो को कौन सुनेगा। अत: श्रीमान जी, विन्रम प्रार्थना है कि मेरे केस को प्राथमिकता के आधार पर देखें और मुझे न्याय दिलवाए। आपकी अति कृपा होगी
एक भुक्त भोगी
प्रकाश चन्द
मकान नं.-2604 सेक्टर-3, फरीदाबाद
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