कोड़ा के भ्रष्टाचार में पत्रकार शामिल : मदान के भ्रष्टाचार में पत्रकार शामिल : रांची हो या दिल्ली, हर जगह पत्रकारिता के दलदल और ज्यादा व्यापक व गहरे होते जा रहे हैं। झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा और उनके तीन मंत्रिमंडलीय सहयोगियों ने अवैध तरीके से जुटाए गए अरबों रुपये के काले धन को सफेद बनाने के लिए जो-जो कारनामे किए हैं, वे आज अखबारों में प्रकाशित हुए हैं। अखबारों में इसलिए प्रकाशित हुए क्योंकि प्रवर्तन निदेशालय ने मधु कोड़ा और उनके साथियों के खिलाफ मामला दर्ज करा दिया है। पर मधु कोड़ा के भ्रष्टाचार को लेकर रांची में प्रभात खबर ने जब खबरें प्रकाशित करनी शुरू की थी तो बाकी सभी अखबार और पत्रकार चुप थे। इस चुप्पी के पीछे और कुछ नहीं बल्कि भ्रष्टाचार उजागर न होने देने के लिए पत्रकारों को कोड़ा द्वारा उपकृत किया जाना था। रांची में जिस कदर शासन-सत्ता के साथ पत्रकारों-अखबारों की मिलीभगत है, वह आए दिन उजागर होती रहती है। पिछले दिनों सीबीआई छापे से कई रहस्यों से पर्दा उठा तो अब कोड़ा के भ्रष्टाचार के खुलासे से रांची के कई अखबारों व बड़े पत्रकारों की मिलीभगत के सबूत सामने आने लगे हैं।
सूत्रों का कहना है कि कोड़ा ने राज्य के कई बड़े अखबारों के बड़े पत्रकारों को कई तरह के लाभ दिलाए थे ताकि वे कोड़ा व सरकार की करतूतों के बारे में कुछ न छापें। प्रवर्तन निदेशालय से मिली जानकारी के अनुसार कोड़ा ने लाइबेरिया जैसे देश में खान खरीदी और बेनामी संपत्ति बनाई। खान की कीमत करीब आठ करोड़ रुपये है। कोड़ा ने अपनी बेनामी संपत्ति अपने नजदीकी बिनोद सिन्हा के नाम पर खरीदी जो कभी ट्रैक्टर मैकेनिक थे। कोड़ा पर आरोप है कि उन्होंने व उनके मंत्रियों ने संयुक्त अरब अमीरात, थाइलैंड, इंडोनेशिया, सिंगापुर और लाइबेरिया में अकूत संपत्ति निवेश की है।
इधर, दिल्ली में एक बड़ा मामला पता चला है। सूत्रों के अनुसार जमीन खरीद बिक्री के मामले में रिश्वतखोरी की शिकायत के बाद उत्तरी दिल्ली के सब रजिस्ट्रार राजेंद्र सिंह मदान को दिल्ली की एंटी करप्शन टीम ने गिरफ्तार कर लिया। मदान की गिरफ्तारी पूरी तैयारी के साथ की गई थी। इसके बाद मदान के घर-आफिस पर पड़े छापों के बाद जो कागजात व दस्तावेज एंटी करप्शन टीम के हाथ लगे हैं, वे चौंकाने वाले हैं। करीब पांच दर्जन पत्रकारों के विजिटिंग कार्ड मदान के घर से मिले हैं जिसके पीछे इन पत्रकारों को हर महीने दी जाने वाली रकम का उल्लेख है। इससे जाहिर है कि मदान अपने विभाग के भ्रष्टाचार का खुलासा न होने देने के लिए हर माह ढेर सारे पत्रकारों को पैसे देते थे।
इन परिचय पत्रों से पता चलता है कि ये पत्रकार टीवी न्यूज चैनलों, अखबारों व पत्रिकाओं से जुड़े हुए हैं। किसी को 20 हजार रुपये महीने दिए जाते थे तो किसी को एक हजार रुपये। हालांकि इन आरोपों की सच्चाई का पता लगाया जाना अभी बाकी है लेकिन प्रथम दृष्टया आरोप सही साबित हो रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि अदालत में विजिटिंग कार्ड और उसके पीछे रकम का उल्लेख किए जाने मात्र से संबंधित पत्रकारों को भ्रष्टाचार के खेल में शामिल होना साबित नहीं किया जा सकता, इसलिए एंटी करप्शन टीम अपने स्तर पर कई और सुबूत जुटाने की कोशिश में है। हो सकता है कि कई पत्रकारों से अलग-अलग पूछताछ भी की जाए। मदान से भी बड़े पैमाने पर पूछताछ जारी है ताकि पत्रकारों से उनके रिश्ते के बयान को रिकार्ड कर सुबूत के रूप में पेश किया जा सके।