उज्जैन के शाजापुर के अनाज व्यापारी को युवती की मदद से होटल में बुलाकर लूटने के बहुचर्चित प्रकरण में उज्जैन के सत्र न्यायालय ने चार पत्रकारों और एक युवती को सजा सुनाई। घटना इसी साल पांच जनवरी की है। स्टेशन रोड शाजापुर निवासी अनाज व्यवसायी दिलीप छबलानी को भोपाल की यास्मिन नामक युवती ने उज्जैन बुलाया था। नाना खेड़ा क्षेत्र में यास्मिन के साथ मोना उर्फ ज्योति भी आई। मोना ने दिलीप को यात्रिका होटल में चलने के लिए कहा। यात्रिका के रूम नंबर 201 में जब दिलीप यास्मिन और मोना के साथ कमरे में भोजन का इंतजार कर रहा था। तभी आरोपी पत्रकार अभय तिरवार, दोपक श्रोत्रिय, राजेंद्र शर्मा उर्फ पप्पू पंडित तथा संजय शुक्ल पहुंच गए। इन लोगों ने खुद को पुलिसकर्मी बताते हुए मारपीट की।
साथ ही, मोना के साथ आपत्तिजनक फोटो खिंचवाने के लिए मजबूर किया। आरोपियों ने दिलीप से सोने का कड़ा, अंगूठी, चेन, मोबाइल और 12000 रुपये नकदी छीन लिए। दिलीप की रिपोर्ट पर तत्कालीन नीलगंगा टीआई केके उपाध्याय ने आरोपियों को गिरफ्तार कर न्यायालय मं चालान पेश किया था। मंगलवार को सत्र न्यायाधीश गिरीश कुमार शर्मा ने इस बहुचर्चित मामले में निर्णय सुनाते हुए चारों पत्रकारों को धारा 170 में 2 वर्ष कारावास व 10 हजार रुपये अर्थदंड, धारा 395 में पांच वर्ष कारावास व 10 हजार रुपये अर्थदंड तथा धारा 120 बी में 5 वर्ष कारावास व 10 हजार रुपये अर्थदंड और मोना को धारा 395 में 5 वर्ष कारावास व 5 हजार रुपये अर्थदंड तथा धारा 120 बी में 5 वर्ष कारावास व 5 हजार रुपये अर्थदंड के आदेश दिए। अभियोजन की ओर से पक्ष समर्थन जिला लोक अभियोजक विक्रमसिंह सिकरवार ने किया।
आरोपी नरम रुख के पात्र नहीं : सत्र न्यायाधीश गिरीश कुमार शर्मा ने आरोपियों द्वारा कम सजा की फरियाद को सख्त टिप्पणी के साथ नामंजूर कर दिया। न्यायाधीश ने कहा कि समाज के प्रति जिस प्रकार का घिनौना अपराध किया जाना प्रमाणित होता है, जिस प्रकार कमजोर चरित्र के अभियोगी को कपट जाल में फंसाकर उसका दोहन किया जाना प्रमाणित हुआ है, उसके प्रकाश में न्यायालय दोषीगणों को नरम रुख का पात्र होना नहीं पाता।
न्यायपालिका पर विश्वास था : फैसला सुनने के बाद दिलीप छबलानी ने कहा कि उन्हें न्यायपालिका पर पूरा भरोसा था। सच्चाई की जीत हुई है। उन्होंने बताया कि घटना के दिन होटल में आरोपियों ने पुलिसकर्मी बनकर मारपीट की थी और आपत्तिजनक फोटो खींचे थे। इसके बाद आरोपियों ने 50 हजार रुपये की मांग की थी। उनके बताए स्थान पर दूसरे दिन जब 20 हजार रुपये देने के लिए गया तब पता चला आरोपी पुलिसकर्मी नहीं पत्रकार हैं। इसकी रिपोर्ट नीलगंगा थाने में लिखाने की कोशिश की लेकिन पुलिस ने रिपोर्ट नहीं लिखी। जब होटल एटलस लूट कांड में आरोपी पकड़े गए तब दोबारा वरिष्ठ अधिकारियों से संपर्क कर रिपोर्ट लिखवाई। साभार : दैनिक भास्कर