भोपाल स्थित माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति पद पर अच्युतानंद मिश्र की पारी 15 जनवरी को खत्म हो रही है। वे 15 जनवरी 2010 को रिटायर हो जाएंगे। इसके तुरंत बाद वे एक नए पत्रकारिता शिक्षण संस्थान के सर्वेसर्वा बन जाएंगे। यह नया पत्रकारिता शिक्षण संस्थान पत्रकारों के एक संगठन नेशनल यूनियन आफ जर्नलिस्ट्स (एनयूजे) की तरफ से शुरू किया जा रहा है। शिक्षण संस्थान का नाम होगा स्कूल आफ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन। इस संस्थान को संचालित करने के लिए जो शासकीय परिषद गठित की जा रही है, उसके अध्यक्ष के रूप में अच्युतानंद मिश्र का नाम तय कर दिया गया है। इसकी विधिवत घोषणा एनयूजे के राष्ट्रीय महासचिव ने कल फैजाबाद में की। इस मौके पर अच्युतानंद मिश्र भी मौजूद थे।
फैजाबाद प्रेस क्लब की ओर से आयोजित प्रेस से मिलिए कार्यक्रम में एनयूजे के पदाधिकारियों ने कहा कि अच्युतानंद मिश्र 15 जनवरी के बाद भी पत्रकारिता की सेवा करते रहेंगे। बाद में एनयूजे की राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक हुई जिसका उदघाटन उत्तर प्रदेश सरकार के संसदीय कार्य वित्त एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री लाल जी वर्मा ने किया। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय, भोपाल के कुलपति अच्युतानंद मिश्र और एनयूजे के अध्यक्ष पीके राय ने पत्रकारों के सामने मौजूदा संकट का जिक्र किया। कार्यसमिति की बैठक में सबसे ज्यादा चर्चा अंशकालिक पत्रकारों की समस्याओं पर हुई। उड़ीसा से आए जीके महंती ने अखबारों में कार्यरत अंशकालिक पत्रकारों की बुरी हालत का ब्योरा दिया। इसी मुद्दे पर कई वक्ताओं ने बताया कि अब अखबारों के मालिक जिले के पत्रकारों को कार्ड तक नहीं देते हैं। उन्हें लिखने के पैसे भी नहीं मिलते, उल्टे उनसे विज्ञापन और प्रसार का काम कराने पर जोर होता है। आमतौर पर सभी अखबारों में 60 से 70 फीसद खबरें अंशकालिक पत्रकारों की छपती हैं।
बैठक में लिब्रहान आयोग की सिफारिश को रद्दी की टोकरी मे डालने की मांग की गई जिसमें पत्रकारों के लिए लाइसेंस प्रणाली का सुझाव दिया गया है। प्रदेशों में पत्रकार मान्यता समिति के गठन की मांग भी की गई। श्रमजीवी कानून में संशोधन कर इसमें इलेक्ट्रानिक मीडिया के रिपोर्टरों और कैमरामैनों को भी शामिल करने और मानहानि कानून का दुरुपयोग रोकने की मांग की गई। यह मांग भी की गई कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में पत्रकार का छद्म आवरण ओढ़े कुछ लोग पत्रकारिता को बदनाम कर रहे हैं, इसे रोका जाना चाहिए। महिला पत्रकारों की बढ़ती संख्या को देखते हुए एनयूजे महिला प्रकोष्ठ गठित करके उनकी समस्याओं के बारे में सरकार को जानकारी देगी।