ये बड़ी विडंबना है कि आधुनिक पत्रकारिता पैकेज पर आकर सिमट जाती है। मामला है मध्य प्रदेश में हुए निकाय चुनाव का। जब प्रदेश भर में चुनावी माहौल बनना शुरू हुआ तो लोकल और रीजनल न्यूज चैनल्स ने पार्षद उर्फ कोआपरेटर से लेकर मेयर यानि महापौर तक के उम्मीदवारों के लिए तरह-तरह के पैकेज तैयार कर लिए।
पैकेज भी ऐसे कि एक लाख दो और अपना चुनावी प्रचार-जनसंपर्क की न्यूज रोजाना हमारे चैनल पर देखो। दो लाख दो और चुनावी जनसंपर्क के साथ रोजाना एक या दो इंटरव्यू भी चैनल पर प्रसारित कराओ। तीन लाख रुपये दो और अपना प्रचार और अपने प्रतिद्वंद्वी का दुष्प्रचार भी चैनल से करवाओ। और भी कई पैकेज इजाद किए न्यूज चैनलों के मार्केटिंग के नुमाइंदों ने।
ये कैसी आधुनिक पत्रकारिता है? ये कैसा समाज का आईना? ये पैकेज सिस्टम क्या रंग लाएगा? क्या नेताजी इस तरह पैकेज देकर मीडिया का गलत इस्तेमाल नहीं करेंगे? बहरहाल, जागरूक और सच्चे पाठक ही तय करें कि इस तरह के पैकेज वाली खबरें वो देखना पसंद करेंगे या सच्चाई से रूबरू कराने वाली खबरें देखना? ये संपादक का नहीं बल्कि आडियेंस यानि दर्शकों का ही फैसला है।
महेंद्र सिंह
इंदौर, मध्य प्रदेश
jainendra
March 22, 2010 at 6:12 pm
gud one….