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‘हाथों में पिचकारी, होली खेलो रसिया….’

कवि सम्मेलनरेडियो मिष्टी के कवि सम्मेलन में ठहाके भी, संजीदगी भी

रेडियो मिष्टी 94.3 एफएम के तत्वावधान में होली के मौके पर सिलीगुड़ी में अखिल भारतीय हास्य कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। इसमें राष्ट्रीय कवियों ने श्रोताओं को कभी हंसी से लोटपोट किया, कभी गुदगुदाया तो सोचने के लिए मजबूर किया। वीर रस की रचनाओं ने श्रोताओं को खूब झकझोरा। राष्ट्रीय कवि हरिओम पंवार ने पढ़ा- मैं भारत का संविधान हूं, लाल किले से बोल रहा हूं…

कवि सम्मेलन

कवि सम्मेलनरेडियो मिष्टी के कवि सम्मेलन में ठहाके भी, संजीदगी भी

रेडियो मिष्टी 94.3 एफएम के तत्वावधान में होली के मौके पर सिलीगुड़ी में अखिल भारतीय हास्य कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। इसमें राष्ट्रीय कवियों ने श्रोताओं को कभी हंसी से लोटपोट किया, कभी गुदगुदाया तो सोचने के लिए मजबूर किया। वीर रस की रचनाओं ने श्रोताओं को खूब झकझोरा। राष्ट्रीय कवि हरिओम पंवार ने पढ़ा- मैं भारत का संविधान हूं, लाल किले से बोल रहा हूं…

इस कविता के एक-एक शब्द से श्रोता खुद को जुड़ा महसूस कर रहे थे। अपने चिर-परिचित अंदाज में पंवार ने देश की राजनीति पर किए अपने प्रहार के दौरान कहा- दागी चेहरों वाली संसद, चंबल घाटी दिख रही है। सांसदों की आवाजों में हल्दीघाटी दिख रही है। आजादी के 60 वर्ष के दौरान भारतीय संविधान की दुर्दशा व बेबसी पर निकले दर्द को पंवार ने बड़ी मजबूती के साथ व्यक्त किया- मेरे पहरेदारों ने ही पथ में बोए ऐसे कांटे, जैसे कोई बेटा बूढ़ी मां का मार गया चांटे। हास्य कवि सम्मेलन में राजनीति से हास्य निकालने को मशहूर कवि डा. सुनील जोगी ने एक रचना – देखो कुर्सी की बलिहारी होली खेलो रसिया… के माध्यम से राजनीति पर चोट करते हुए कहा – कांग्रेस और ममता मिल गये सीपीएम घबराई, बीजेपी सिसकीहाथों में पिचकारी, होली खेलो रसिया

भ्रूण हत्या पर उनकी गंभीर रचना पर पूरा दीनबंधु मंच तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। श्रृंगार रस की कवयित्री डा. सुमन दुबे ने अपनी रचना के माध्यम से शहरवासियों को होली की बधाइयां दीं- हैं उमंगों से आपका स्वागत, सौ तरंगों से आपका स्वागत, जिंदगी में जो रंग भरते हो, उन्हीं रंगों से आपका स्वागत। वहीं प्रेम रस के गीत सारी दुनिया है बौराई, होली आयी। रंगा दे मोरी चुनरी… के माध्यम से से खूब तालियां बंटोरी। शुद्ध हास्य में लिपटे हास्यकार अरुण जैमिनी ने हरियाणा पर आधारित हास्य व्यंग्यों से उपस्थित दर्शकों को खूब लोटपोट किया। कवि गजेन्द्र सोलंकी की रचना.. नहीं वेदना राष्ट्रपति को सम्मान यहां क्यों है? तथा गंगा की कल-कल सीने में चंदन सी महक पसीने में… रचना के माध्यम से पूरे श्रोताओं को देश की व्यवस्था पर सोचने को मजबूर कर दिया। वरिष्ठ कवि ओम प्रकाश आदित्य ने अपनी रचनाओं के माध्यम से भ्रष्टाचार पर जोरदार चोट की। कार्यक्रम का उदघाटन शहर के उद्योगपति कमल कुमार मित्तल ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया।  आयोजक संस्थान रेडियो मिष्टि के उपाध्यक्ष दिलीप डुग्गर ने सम्मेलन की समाप्ति पर होली की बधाइयां दी।

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