इन चेहरों को गौर से पहचानिए। ध्यान से देखिए। ये चेहरे हिंदी मीडिया के जाने-माने लोगों के हैं। ये तस्वीरें आज की नहीं बल्कि 21 साल पहले की हैं। अब इनके चेहरे ऐसे नहीं रहे, समय ने काफी कुछ बदल दिया है। आप इन लोगों को अगर अभी नहीं पहचान पाए तो एक हिंट देते हैं। वर्ष 1987 में साप्ताहिक अखबार चौथी दुनिया की पहली सालगिरह पर दिल्ली में अशोका होटल में एक पार्टी हुई थी। इसी में ये सभी लोग इकट्ठा हुए थे। ये लोग इस अखबार में विभिन्न पदों पर कार्यरत थे। आप पहचान गए!!
नहीं पहचाने? चलिए हम बताते हैं…
उपरोक्त पहली तस्वीर है हरिनारायण सिंह की। ये इन दिनों दैनिक हिंदुस्तान, रांची के संपादक हैं। उन दिनों चौथी दुनिया में सब एडीटर हुआ करते थे। एसपी सिंह उन्हें पत्रकारिता में लेकर आए थे। टाइपिस्ट पद से शुरुआत करते हुए ये धीरे-धीरे प्रूफ रीडिंग व कापी राइटिंग जैसे कामों के उस्ताद होते गए। बाद में वे लंबे समय तक प्रभात खबर के संपादक रहे। अब दैनिक हिंदुस्तान के झारखंड के हेड हैं।
ये हैं विख्यात पत्रकार संतोष भारतीय। इन दिनों जैन टीवी के संपादक हैं। उन दिनों चौथी दुनिया के संपादक हुआ करते थे। उन्होंने 1989 में चौथी दुनिया के संपादक पद से इस्तीफा दे दिया था क्योंकि उन्होंने लोकसभा चुनाव लड़ा और जीते। वे पहले ऐसे पत्रकार हैं जो टिकट लेकर लड़े और जीतकर सांसद बने।
ये हैं रामकृपाल सिंह। हाल में ही वीओआई के ग्रुप एडीटर पद से इस्तीफा देने के बाद नवभारत टाइम्स, दिल्ली में वरिष्ठ पद पर विराजमान हुए। जबकी ये तस्वीर है, उन दिनों वो चौथी दुनिया में सहायक संपादक हुआ करते थे।
यह तस्वीर है अजय चौधरी की। अब ये इस दुनिया में नहीं हैं। जब ये तस्वीर ली गई तब वे चौथी दुनिया में स्टाफ रिपोर्टर हुआ करते थे। वे आज तक के टीम लीडर थे। नकवी से पहले वही आज तक लीड कर रहे थे लेकिन ड्राइविंग के शौकीन अजय की मृत्यु सड़क हादसे के चलते हो गई।
ये हैं मिस्टर विनोद चंदोला। उन दिनों चौथी दुनिया में सब एडीटर होते थे। इन दिनों बीजिंग में चाइनीज रेडियो के हिंदी सेक्शन के हेड हुआ करते हैं।
ये हैं अर्चना झा। चौथी दुनिया के दिनों में सब एडीटर हुआ करती थीं। बाद में जब टीवी टुडे ग्रुप ने न्यूज ट्रैक शुरू किया तो वो संस्थापकों में रहीं। इन दिनों के बारे में खबर है कि वे स्वतंत्र पत्रकार के बतौर सक्रिय हैं।
ये हैं अरविंद कुमार सिंह जो उन दिनों चौथी दुनिया में स्टाफ रिपोर्टर होते थे और आजकल हरिभूमि, दिल्ली के संपादक हैं। बीच में ये अमर उजाला और जनसत्ता में कई वर्षों तक प्रमुख भूमिकाओं में कार्यरत रहे।
बीरेंद्र सेंगर से मिलिए। कई अखबारों में महत्वपूर्ण पदों पर काम करते हुए इन दिनों डीएलए के दिल्ली ब्यूरो के चीफ हैं। उन दिनों चौथी दुनिया में स्टाफ रिपोर्टर हुआ करते थे।
उल्लेखनीय है कि कमल मोरारका ने अक्टूबर 1986 में हिंदी का पहला साप्ताहिक अखबार चौथी दुनिया शुरू किया था। इसके संपादक संतोष भारतीय बनाए गए थे। चौथी दुनिया की अभूतपूर्व सफलता के बाद ही इसी नक्शेकदम पर संडे मेल और संडे आब्जर्वर निकाला गया था। कमल मोरारका का एक अखबार अब भी निकल रहा है। वो है मुंबई से प्रकाशित आफ्टरनून डिस्पैच कूरियर।
उपरोक्त तस्वीरें ग्रुप फोटो से निकाल कर अलग-अलग की गई हैं। अगर इन सभी लोगों को इकट्ठे देखना चाहते हैं तो आपको जाना होगा उपरोक्त टीम के एक सदस्य अरविंद कुमार सिंह के ब्लाग चौथी दुनिया पर। इस ब्लाग की शुरुआत के पीछे की सोच को अरविंद कुमार सिंह ने कुछ यूं वर्णित किया है- एक महान अख़बार की याद के बहाने मीडिया की हलचलों पर नजर रखने की एक विनम्र पहल। इस ब्लाग के कई आर्टिकल पठनीय व ज्ञानवर्धक हैं। हिंदी मीडिया की नई पीढ़ी को कुछ लेखों को तो जरूर पढ़ना चाहिए, वो लेख हैं-
भारत का पहला शहीद पत्रकार : कंचना-एक जुझारू और समर्पित पत्रकार : के.सी. निगमजी, जो ख़बर नहीं बन सके