गोरखपुर के पत्रकारों की प्रमुख संस्था गोरखपुर जर्नलिस्ट एसोसिएशन ने गोरखपुर के सांसद और हिंदी साप्ताहिक ‘हिंदवी’ के प्रधान संपादक योगी आदित्यनाथ को पिछले दिनों एक ज्ञापन सौंपा। इसमें उनसे मांग की गई कि वे पत्रकारिता को चतुर्थ स्तंभ की संवैधानिक मान्यता दिलाने के लिए संसद सहित सभी मंचों पर आवाज उठाएं। एसोसिएशन के अध्यक्ष रत्नाकर सिंह के नेतृत्व में पत्रकारों के प्रतिनिधिमंडल ने योगी आदित्यनाथ से अनुरोध किया कि वे पत्रकारों को सरकारी विभागों में कार्य करने वालों जैसी सुविधाएं और अधिकार दिलाने के लिए संसद में आवाज उठाएं।
मान्यता प्राप्त पत्रकार संगठनों से संबद्ध पत्रकारों को आर्थिक पैकेज के जरिए पीएफ और सामान्य बीमा की परिधि में लाने व दुर्घटना की स्थिति में परिजनों को विशेष आर्थिक सहयोग देने के कार्य को सरकारी परिधि में लाए जाने की मांग की। ज्ञापन देने वालों में रत्नाकर सिंह के अलावा डा. मुमताज खान (भाषा), वागीश (राष्ट्रीय सहारा), एसपी सिंह (यूनाइटेड भारत), मनोज (स्थानीय चैनल यश), विनय गुप्ता, दिलीप गुप्ता (स्वतंत्र चेतना), हनुमान सिंह बघेल (सामयिक माया) आदि थे।
ज्ञात हो कि सांसद योगी आदित्यनाथ हिंदी साप्ताहिक ‘हिंदवी’ के प्रधान संपादक होने के साथ-साथ गोरखपुर जर्नलिस्ट एसोसिएशन के संरक्षक भी हैं। सांसद निर्वाचित होने के बाद गोरखपुर जर्नलिस्ट एसोसिएशन के पत्रकारों ने पत्रकारिता व पत्रकारों की दशा सुधारने के लिए आदित्यनाथ से पहल करने का अनुरोध किया। योगी आदित्यनाथ ने पत्रकारों को आश्वासन दिया कि वे हर संभव तरीके से पत्रकारों की लड़ाई लड़ेंगे और पत्रकारिता की दशा को सुधारने में योगदान देंगे।
योगी आदित्यनाथ को दिए गए ज्ञापन में जो कुछ कहा गया है, उसे यहां प्रकाशित किया जा रहा है-
श्रद्धेय योगी आदित्य नाथ जी
सांसद, गोरखपुर सदर लोकसभा क्षेत्र
संरक्षक- गोरखपुर जर्नलिस्ट एसोसिएशन
गोरखपुर (उ.प्र.)
विषय – पत्रकारिता को लोकतंत्र के चतुर्थ स्तंभ के रूप में मान्यता दिलाने के सम्बन्ध में।
मान्यवर,
पत्रकारिता को समाज का आइना कहा जाता है। आदि पत्रकार नारद और महाभारत कालीन संजय की इस परम्परा को आज समाज ने भय, भूख, भ्रष्टाचार से लड़ने के एक हथियार और आधार के रूप में स्वीकार किया है। आजादी की लड़ाई में 1826 में 30 मई को उदंत मार्तण्ड के प्रकाशन से हिन्दी पत्रकारिता ने अपनी वर्तमान यात्रा शुरू की, तो तमाम झंझावातों के बीच अबतक निर्बाध जारी है। आजादी की जंग में पत्रकारिता के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता।
आजादी के बाद हमारे संविधान निर्माताओं और देश की सत्ता पर काबिज राजनेताओं ने अंग्रेजों की सत्ता को हिला देने वाली पत्रकारिता की शक्ति को भांपते हुए एक षड्यंत्र के तहत इसे कहने को तो लोकतंत्र का पहरुआ और कार्यपालिका-न्यायपालिका और विधायिका के साथ चतुर्थ स्तंभ कहा, पर एक साजिश के तहत इसे किसी भी अधिकार से वंचित रखा गया। परिणामत: कभी अंग्रेजी हुकूमत के विरुद्ध आजादी की लड़ाई में क्रान्तिकारियों को संवाद देने, जन-जागृति पैदा करने और अंग्रेजी हुकूमत के काले सच को उजागर कर अपना अहम योगदान देने वाली पत्रकारिता आज पूरी तरह उपेक्षित है। संविधान के अनगिनत संशोधनों के बाद भी इस पर कभी किसी की निगाह नहीं गयी। राजनीति और कार्यपालिका के भ्रष्टाचार को उजागर कर समाज में चेतना जागृति के क्रम में पत्रकारों की कलम तोड़ दी जा रही है। उन पर उत्पीड़नों का अम्बार लग रहा है। भविष्य को लेकर उनकी चिन्ता उनके मिशन को प्रभावित कर रही है। दबंगों, माफियाओं के कहर तले उनकी कलम की धार कुंद कर दी जा रही है। परिणामत: समाज की आशा के एक मात्र केन्द्र के रूप में स्थापित पत्रकारिता आज अंतिम सांसें गिन रही है। अधिकार विहीन पत्रकारिता को समाज का हर सबल वर्ग अपनी चेरी बनाकर रखना चाह रहा है और इसमें असफल रहने पर वह न केवल पत्रकारों, वरन सम्पूर्ण पत्रकारिता का गला घोंट देने पर उतारू होता जा रहा है। बाजारवाद के मकड़जाल में पत्रकारिता को उलझा कर उसे दिशाविहीन व आधारहीन करने के कुत्सित प्रयास किए जा रहे हैं।
मान्यवर, आप स्वयं एक पत्रकार हैं। पत्रकारों की एक पंजीकृत संस्था गो.ज.ए. के संरक्षक हैं। एक पत्रकार सांसद के रूप में आपसे सम्पूर्ण पत्रकार जगत को बड़ी उम्मीद है। विश्वास है कि आप पत्रकारिता को वे अधिकार दिलाने के लिये संसद में आवाज उठायेंगे जिनसे उनकी कलम की धार को कुन्द करने की समस्त अनैतिक चेष्टाओं पर रोक लग सके, पत्रकारिता बेखौफ समाज का स्पष्ट एवं स्वच्छ आइना बन सके तथा भारतीय समाज की सुदृढ़ता और भारत के नैतिक उत्थान के अपने दायित्वों का निर्वहन कर सके।
इन परिस्थितियों में आपका ध्यान निम्न बिन्दुओं की ओर आकर्षित किया जा रहा है :-
- पत्रकारिता को संविधान के दायरे में लाकर कार्यपालिका, न्यायपालिका व विधायिका के समान चतुर्थ स्तम्भ के रूप में मान्यता दी जाये।
- पत्रकारों को भी सरकारी विभागों की भांति कार्य के दौरान सुविधा एवं अधिकार दिये जाएं।
- मान्यता प्राप्त संगठनों से सम्बद्ध पत्रकारों को विभिन्न आर्थिक पैकेज के जरिये पेंशन, पीएफ और सामान्य बीमा की परिधि में लाया जाये तथा किसी भी दुर्घटना की स्थिति में उन्हें आर्थिक सहयोग के लिए सरकारी परिधि में लाया जाये।
सहयोग की अपेक्षा में धन्यवाद सहित।
रत्नाकर सिंह
अध्यक्ष, गोरखपुर जर्नलिस्ट एसोसिएशन
एवं
अन्य पदाधिकारी
गोरखपुर जर्नलिस्ट एसोसिएशन