काले कानून का प्रस्ताव केवल टला भर है। रद्द नहीं हुआ है। हम मीडियाकर्मियों की लड़ाई इस काले कानून को रद्द कराने के लिए है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का बयान मीडियाकर्मियों के उबाल पर पानी डालने के लिए है। यह बयान मीडियाकर्मियों में उबल रहे गुस्से की आंच से सरकार और कांग्रेस पार्टी को बचाने के लिए है। न्यूज चैनलों के संपादकों और वरिष्ठ मीडियाकर्मियों ने आज सोनिया गांधी से करीब 45 मिनट तक बात की। सूत्रों का कहना है कि सोनिया ने निजी बातचीत के दौरान स्वीकार किया कि प्रस्तावित संशोधनों में कुछ ऐसी भी चीजें हैं जिससे मीडिया की आजादी पर आंच आती है। उन्होंने इन बिंदुओं पर गौर करने व इसे दुरुस्त कराने का आश्वासन दिया। लेकिन सोनिया ने अभी तक कोई भी आधिकारिक बयान नहीं दिया है। इससे जाहिर है कि खतरा अभी टला नहीं है।
मनमोहन सिंह का बयान भी आधा-अधूरा है। मनमोहन का बयान और सोनिया का आश्वासन न्यूज चैनलों के जरिए फ्लैश होने के बाद देश भर के पत्रकारों में 15 जनवरी को मनाए जाने वाले काले दिवस के कार्यक्रम को लेकर थोड़ा-सा भ्रम पैदा हो गया है। यहां हम लोग स्पष्ट करना चाहेंगे कि काला दिवस मनाने का कार्यक्रम यथावत है क्योंकि हमारी मांग काले कानून को रद्द करने की है। सरकार ने इस कानून को तुरंत न लागू करने भर की बात कही है जो पर्याप्त नहीं है। इसका मतलब यही होता है कि आज नहीं तो कल, सरकार इस कानून को लागू कर सकती है।
दिल्ली में जंतर-मंतर पर 12 बजे से होने वाला विरोध प्रदर्शन का कार्यक्रम यथावत है और इसमें शामिल होने के लिए आप सभी लोगों को आमंत्रित किया जाता है। जिला मुख्यालयों पर होने वाले विरोध प्रदर्शन के कार्यक्रम को भी जारी रखा जाना चाहिए। आप सभी मीडियाकर्मियों और आजादी पसंद नागरिकों से आह्वान है कि 15 जनवरी को काली पट्टियां बांधें और विरोध प्रदर्शनों का आयोजन करें।