दोहरी नीति खत्म करने की ‘इलना’ की मांग : देश के सबसे पुराने संगठनों में से एक भारतीय भाषाई समाचार पत्र संगठन (इलना) के अध्यक्ष परेश नाथ की अगुवाई में पिछले दिनों एक प्रतिनिधिमंडल केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण राज्यमंत्री चौधरी मोहन जुतआ से मिला। प्रतिनिधिमंडल में इलना महासचिव रवि कुमार विश्नोई, कार्यकारी सदस्य संजय गुप्ता, यशपाल सिंह, गिरीश अग्रवाल, जयप्रकाश पाण्डेय, गगन बिश्नोई, बिपिन मोहन शर्मा व आहूजा शामिल थे। बैठक में देश भर के छोटे, लघु, मध्यम भाषाई समाचार पत्रों के हित में विचार-विमर्श किया गया। इन अखबारों के आगे आ रही कठिनाइयों के संबंध में इलना की तरफ से एक ज्ञापन मंत्री को दिया गया। ज्ञापन में कई मांगें की गईं जिनमें से प्रमुख इस प्रकार हैं-
आरएनआई की दोहरी नीति : प्रेस रजिस्ट्रार द्वारा समाचार पत्र के मत्थे पर अखबार के नाम के अलावा कुछ भी लिखे जाने के मामले में दोहरी नीति अपनाई जा रही है। बड़े समाचार पत्र मत्थे पर सब कुछ लिखते हैं। उन्हें तो आरएनआई के अधिकारी रोकते नहीं, मगर छोटे, लघु एवं मध्यम तथा भाषाई समाचार पत्र कुछ मत्थे पर छापते हैं तो उन्हें परेशान किया जा रहा है। आरएनआई के अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिया जाए कि सभी समाचार पत्रों के साथ एक-सी नीति अपनाएं। दोहरे मापदंड अपना कर उन्हें परेशान न किया जाए। वैसे भी इस संबंध में बने प्रेस रजिस्ट्रेशन एंड बुक्स एक्ट में इस तरह का कोई प्रावधान नहीं है।
नागरिकों को जागरूक करने वाले विज्ञापन सबको मिले : पल्स पोलियो, एड्स, जागो ग्राहक जागो, स्वाइन फ्लू तथा ऐसे ही अन्य विज्ञापन विशेष तौर पर लघु व भाषाई समाचार पत्रों को दिए जाएं, क्योंकि ऐसी बीमारियों और अपने हितों के प्रति जागरूक करने की आवश्यकता गरीब और मलिन बस्तियों में रहने वालों को ज्यादा है और यहां अंग्रेजी के या बड़े अखबारों के मुकाबले लघु व भाषाई समाचार पत्र ज्यादा पढ़े जाते हैं।
15 प्रतिशत राशि काटे जाने की डीएवीपी की गलत व्यवस्था : जब डीएवीपी द्वारा समाचार पत्रों को विज्ञापन ब्लाक (प्लेट) भेजी जाती थीं, तो उसके खर्च के रूप में 15 प्रतिशत कमीशन काटे जाने की व्यवस्था की गई थी। लेकिन अब विज्ञापन सामग्री नेट पर उपलब्ध रहती है और विभाग द्वारा ब्लाक आदि नहीं बनवाए जाते हैं। ऐसे में 15 प्रतिशत कमीशन काटने की व्यवस्था को पूर्ण रूप से समाप्त किया जाना चाहिए।
निविदा टेंडर वितरण में कराएं सुधार : पहले विभिन्न सरकारी विभागों के डीएवीपी से जारी टेंडर नोटिस निविदा सूचना लघु एवं मध्यम समाचार पत्रों को भी काफी मिल जाती थीं, मगर अब इनकी संख्या नगण्य हो गई है। इस संदर्भ में सुधार कराने की व्यवस्था कर कृतार्थ करें।
प्रतिदिन उपलब्ध हों डीएवीपी के अधिकारी : डीएवीपी से संबंधित छोटी-बड़ी समस्याओं के समाधान हेतु देश के कोने-कोने से समाचार पत्र संचालक दिल्ली आते हैं। पूर्व में इनसे मिलने और इनकी समस्याएं सुनकर उनका समाधान कराने के लिए एक अपर महानिदेशक प्रतिदिन उपलब्ध होते थे और अन्य अधिकारियों से भी आसानी से मुलाकात हो जाती थी। मगर अब विभाग में अनेक बंदिशें लगाकर अधिकारियों से मिलने पर रोक लगा दी गई है। कुछ ऐसी व्यवस्था कराएं जिससे सप्ताह में दो दिन महानिदेशक डीएवीपी और प्रतिदिन एक अपर निदेशक से समाचार पत्र संचालक मिल कर अपनी समस्याओं का समाधान करा सकें।
लाइसेंसिंग अथारिटी ने उत्पीड़न हेतु बनाए नए नियम : नया समाचार पत्र निकालने को इच्छुक व्यक्तियों से दिल्ली में समाचार पत्र प्रकाशन हेतु लाइसेंस देने वाली अथारिटी द्वारा पीआरबी एक्ट से अलग हट कर अपने नियम बना दिए गए हैं और उनके नाम पर जागरूकता के इस युग में समाचार पत्र प्रकाशन के इच्छुक व्यक्तियों को अनावश्यक रूप से परेशान किया जाता है। वर्तमान समय में अस्त-व्यस्त व्यवस्था की वजह से लाइसेंसिंग अथारिटी जो भी जानकारी चाहती है वह एक बार में पीआरबी एक्ट में तहत ले ले। मगर अनावश्यक रूप से परेशान किए जाने वाली नीतियां समाप्त की जाएं।
सम्मेलन के लिए समय : हम इलना का एक सम्मेलन जनवरी माह के अंत में दिल्ली या मेरठ में करना चाहते हैं। आपसे अनुरोध है कि इसके लिए समय देने और तारीख तय करने की व्यवस्था करें।