इंदौर में दो बड़े समाचार पत्र समूहों के बीच शीतयुद्ध जारी है। भड़ास4मीडिया को ताजा जानकारी देने वाले सूत्रों पर यकीन करें तो मामला थाने तक पहुंच गया है और स्थिति तनावपूर्ण है। दैनिक भास्कर यहां का पुराना अखबार है। पिछले साल से यहां राजस्थान पत्रिका अपनी धमाकेदार उपस्थिति ‘पत्रिका’ के नाम से दर्ज करा चुका है। जब से यहां से पत्रिका का प्रकाशन शुरू हुआ है, तभी से प्रतिद्वंद्वी भाष्कर से उसका पाला भी खिंचा हुआ है। पत्रिका प्रबंधन को बाएं-दाएं से पता चलने लगा कि वह जितनी प्रतियां छाप कर बाजार में भेज रहा है, पाठकों तक उसकी आधी भी नहीं पहुंच रहीं। प्रबंधन का दावा था कि कुल डेढ़ लाख प्रतियां छप रही हैं। छानबीन में पता चला कि प्रतिद्वंद्वी भास्कर प्रबंधन उसकी लगभग 80, 000 प्रतियां मार्केट में डंप करा रहा है। रणनीति यह अख्तियार की जा रही है कि सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे।
पत्रिका की एक प्रति की कीमत रखी गई है डेढ़ रुपये। इसमें हाकरों व एजेंटों का कमीशन भी शामिल है। सूत्रों का कहना है कि भास्कर के लोगों ने एजेंटों-हाकरों से सीधे प्रतियां खरीदनी शुरू कर दी। इसके बाद थोक के भाव अखबार खरीद कर उसे रद्दी के भाव बेचा जाता रहा। बताया जाता है कि इस शीतयुद्ध के दौरान दोनों अखबारों की ओर से एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोपों की उनके यहां खबरें भी छपीं, पुलिस में गाड़ियों के नंबरों सहित रिपोर्ट तक दर्ज करा दी गई लेकिन पुलिस ने दो बड़े अखबारों के बीच की लड़ाई मान कर हाथ न डालना ही मुफीद समझा। पूर्व डंप कापियां उठवाने को किसी को एकमु्श्त जिम्मेदारी सौंप दी गई थी, अब एजेंटों के माध्यम से कापियां डंप कराई जा रही हैं। पता चला है कि प्रतिद्वंद्वी से निपटने के लिए पत्रिका प्रबंधन भी अपने स्तर से जुगत बनाए हुए है। पहले भास्कर के कर्मचारियों को तोड़कर उसे क्षति पहुंचाने की कोशिशें की गईं। अब किन्हीं अन्य उपायों पर रणनीति बनाई जा रही है।