इंटरनेशनल प्रेस इंस्टीट्यूट (आईपीआई) की ओर से जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक पत्रकारों के लिए सबसे खतरनाक जगह अब एशिया हो गया है। पहले यह स्थान मध्य-पूर्व हुआ करता था। एशिया में देशों के हिसाब से बात करे तो पत्रकारों की हत्या के मामले में भारत तीसरे स्थान पर है। आईपीआई पत्रकारों और संपादकों का संगठन है। इसका मुख्यालय वियना में है। यह संगठन हर वर्ष प्रेस की स्वतंत्रता की समीक्षा करता है। रिपोर्ट के मुताबिक एशिया में सबसे ज्यादा इराक में कुल 14 पत्रकार और फोटोग्राफर वर्ष 2008 में मारे गए। इसके बाद नंबर है पाकिस्तान का जहां बीते वर्ष छह पत्रकारों को जान से हाथ धोना पड़ा। एशिया में तीसरे स्थान पर भारत आ चुका है। पत्रकारों की हत्या के मामले में तीसरे नंबर पर तीन देश हैं जिसमें भारत भी है।
अन्य दो देश हैं मैक्सिको और फिलीपींस। इन देशों में पिछले साल पांच-पांच पत्रकार मारे गए। आईपीआई के निदेशक डेविड डागे का कहना है कि श्रीलंका और फिलीपींस में पत्रकारों की हत्या के अभियुक्तों को माफी दे देना आम बात है पर भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में भी पत्रकारों की हत्या के अभियुक्त आसानी से बच जाते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक भारत में बीते वर्ष जम्मू-कश्मीर के जावेद अहमद मीर और अशोक सोढ़ी, असम के मोहम्मद मुस्लीमुद्दीन व जगजीत सैकिया और बिहार के विकास रंजन की हत्या की गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि आर्थिक तरक्की और लोकतांत्रिक सरकार होने के बावजूद भारत पत्रकारों के लिए एक असुरक्षित जगह बना हुआ है। खासकर भारत के हिंसाग्रस्त पूर्वोत्तर के राज्यों में काम करने वाले पत्रकारों खतरे में रहते हैं। देश के अन्य हिस्सों में राजनीतिक और धार्मिक संगठनों के लोग पत्रकारों पर हमले करते रहते हैं और धमकी देते रहते हैं। रिपोर्ट के अनुसार सरकारों को मीडिया की आजादी पर अंकुश लगाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के लिए प्रतिबद्ध होना चाहिए।