आलोक नंदन, मुंबई
वर्धा स्थित महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय के मास कम्युनिकेशन विभाग में दिल्ली विश्वविद्यालय हिन्दी माध्यम कार्यान्वयन निदेशालय के उप निदेशक (नान-टीचिंग) श्याम कश्यप को विभागाध्क्ष और प्रोफेसर बनाने के बाद से इस विभाग का बेड़ा गर्क होता जा रहा है। अब तो इस विभाग के छात्रगण ही श्याम कश्यप के खिलाफ अंतिम लड़ाई लड़ने के मूड में नजर आ रहे हैं। अभी हाल ही में छात्रों के एक समूह ने महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय के चांसलर नामवर सिंह से मुलाकात करके श्याम कश्यप को हटाने की मांग की है। नामवर सिंह ने भी छात्रों के सामने स्वीकार किया है कि श्याम कश्यप शिक्षण के लिए अयोग्य हैं।
साथ ही छात्रों को भरोसा दिया कि इस संबंध में वह कोई ठोस कदम उठाएंगे। विभागाध्यक्ष और प्रोफेसर के रूप में श्याम कश्यप की नियुक्ति को लेकर शुरू से ही विवाद बना हुआ है। सभी नियमों को ताक पर रखते हुये वीसी विभूति नारायण राय ने श्याम कश्यप को जब इस पद पर नियुक्त किया था तो उसी वक्त शिक्षा जगत से जुड़े लोगों ने इस नियुक्ति पर सवाल उठाया। शिक्षा जगत से जुड़े लोगों का कहना था कि विभूति नारायण राय ने श्याम कश्यप की नियुक्ति में नियमों की पूरी तरह से धज्जिया उड़ाई हैं। इस पद पर किसी भी व्यक्ति की नियुक्ति के पूर्व विश्वविद्यालय की कार्यसमिति की स्वीकृति ली जाती है। विभूति नारायण ने कार्यसमिति की मंजूरी श्याम कश्यप की नियुक्ति के बाद ली, और उन्हें गैर-कानूनी ढंग से शैक्षणिक परिषद का सदस्य भी बना दिया। उन्हें इस पद पर एडहॉक के तौर पर बैठाया गया है। उन्होंने हरि मोहन बुधोरिया और उमा शंकर उपाध्याय जैसे विरष्ठ शिक्षाविदों की उपेक्षा करते हुये श्याम कश्यप को इस पद पर बैठाया। इसका सबसे अधिक खामियाजा छात्रों को भुगतना पड़ रहा है।
श्याम कश्यप को लेकर छात्र बुरी तरह से भड़के हुये हैं। छात्रों का कहना है कि श्याम कश्यप अपनी अयोग्यता को छिपाने के लिए छात्रों के बीच में गुटबंदी को बढ़ावा दे रहे हैं। बेहतर पढ़ाई के बजाय उनका सारा ध्यान छात्रों के बीच गुटबंदी पर टिका रहता है। अभी हाल में ही उन्होंने बिना आमंत्रण के पुणे फिल्म महोत्सव दिखाने के बहाने विभाग से एक मोटी रकम निर्गत करके छात्रों को लेकर दो दिन तक खंडाला का सैर करते रहे।
इतना ही नहीं, हिन्दी समय संगोष्ठी के दौरान विभूति नारायण राय ने खुलकर मनमानी की है। विकास नारायन, ममता कालिया, मैत्रेयी पुष्पा, भारत भारद्वाज, साधना अग्रवाल, शैलेन्द्र, अशोक वाजपेयी, गोपीनाथन और उनकी पत्नी आदि के लिए इस संगोष्ठी में आने-जाने हेतु हवाई टिकट की व्यवस्था की गई। अन्य साहित्यकारों को उनकी हैसियत के मुताबिक रेलवे के प्रथम और द्वितीय श्रेणी का टिकट पकड़ा दिया। इस संगोष्ठी में दूर-दूराज से भाग लेने आने वाले साहित्यकार इसे लेकर अपने आप को अपमानित महसूस कर रहे हैं। उनका कहना है कि विभूति नारायण राय अपनी शक्ति का इस्तेमाल करते हुये अपने मित्रों को हर तरह से लाभान्वित करने में लगे हुए हैं।
इस संबंध में श्याम कश्यप की प्रतिक्रिया जानने के लिए बार-बार फोन किया गया, लेकिन वह फोन नहीं उठा रहे हैं। विभूति नारायण राम भी मीटिंग में व्यस्त होने की बात कह कर बार-बार फोन काट रहे हैं। नामवर सिंह से संपर्क साधा कहा गया तो उन्होंने कहा कि इस वक्त वह विनोबा भावे के आश्रम में बैठे हैं और इस मन:स्थिति में नहीं हैं कि बात कर सके।