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प्रेस क्लब, उधमसिंह नगर की नवीनीकरण अर्जी रद्द

प्रेस क्लब, उधमसिंह नगर के नवीनीकरण को सोसाइटीज एंड चिट्स के उपनिबंधक जगत सिंह चौहान ने निरस्त कर दिया है। सूत्रों के मुताबिक उप निबंधक ने यह कदम प्रेस क्लब अध्यक्ष वी.सी. सिंघल द्वारा दी गई सूचनाओं को अपूर्ण और गलत होने के चलते उठाया। इसके चलते प्रेस क्लब का भविष्य ही खतरे में पड़ गया है। उधम सिंह नगर में प्रेस क्लब की स्थापना वर्ष 1998 में हुई। शुरू के 4 वर्ष प्रेस क्लब अध्यक्ष वीसी सिंघल सोसाइटी कार्यालय को कार्यकारिणी की सूची उपलब्ध कराते रहे लेकिन बाद में कोई भी सूचना देना बंद कर दिया। 1998 से 2009 तक वी.सी. सिंघल प्रेस क्लब अध्यक्ष बने रहे और चुनाव भी कागजों पर होते रहे। इस बीच प्रेस क्लब, उधमसिंह नगर ने उप निबंधक को एक पत्र लिखकर प्रेस क्लब के नवीनीकरण का आग्रह किया।

<p align="justify">प्रेस क्लब, उधमसिंह नगर के नवीनीकरण को सोसाइटीज एंड चिट्स के उपनिबंधक <strong>जगत सिंह चौहान</strong> ने निरस्त कर दिया है। सूत्रों के मुताबिक उप निबंधक ने यह कदम प्रेस क्लब अध्यक्ष <strong>वी.सी. सिंघल</strong> द्वारा दी गई सूचनाओं को अपूर्ण और गलत होने के चलते उठाया। इसके चलते प्रेस क्लब का भविष्य ही खतरे में पड़ गया है। उधम सिंह नगर में प्रेस क्लब की स्थापना वर्ष 1998 में हुई। शुरू के 4 वर्ष प्रेस क्लब अध्यक्ष वीसी सिंघल सोसाइटी कार्यालय को कार्यकारिणी की सूची उपलब्ध कराते रहे लेकिन बाद में कोई भी सूचना देना बंद कर दिया। 1998 से 2009 तक वी.सी. सिंघल प्रेस क्लब अध्यक्ष बने रहे और चुनाव भी कागजों पर होते रहे। इस बीच प्रेस क्लब, उधमसिंह नगर ने उप निबंधक को एक पत्र लिखकर प्रेस क्लब के नवीनीकरण का आग्रह किया। </p>

प्रेस क्लब, उधमसिंह नगर के नवीनीकरण को सोसाइटीज एंड चिट्स के उपनिबंधक जगत सिंह चौहान ने निरस्त कर दिया है। सूत्रों के मुताबिक उप निबंधक ने यह कदम प्रेस क्लब अध्यक्ष वी.सी. सिंघल द्वारा दी गई सूचनाओं को अपूर्ण और गलत होने के चलते उठाया। इसके चलते प्रेस क्लब का भविष्य ही खतरे में पड़ गया है। उधम सिंह नगर में प्रेस क्लब की स्थापना वर्ष 1998 में हुई। शुरू के 4 वर्ष प्रेस क्लब अध्यक्ष वीसी सिंघल सोसाइटी कार्यालय को कार्यकारिणी की सूची उपलब्ध कराते रहे लेकिन बाद में कोई भी सूचना देना बंद कर दिया। 1998 से 2009 तक वी.सी. सिंघल प्रेस क्लब अध्यक्ष बने रहे और चुनाव भी कागजों पर होते रहे। इस बीच प्रेस क्लब, उधमसिंह नगर ने उप निबंधक को एक पत्र लिखकर प्रेस क्लब के नवीनीकरण का आग्रह किया।

उप निबंधक चौहान ने 10-01-2008 को नवीनीकरण की अनुमति देते हुए निर्धरित शुल्क व अपेक्षित अभिलेख कार्यालय में उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। क्लब अध्यक्ष ने संस्था की बैंक पासबुक व चेकबुक छोड़कर अन्य जरूरी अभिलेखों को उपलब्ध नहीं कराया। इस कारण प्रेस क्लब नवीनीकरण की कार्यवाही लटकी रही। उप निबंधक ने कई बार अनुस्मारक पत्र भेजा। प्रेस क्लब ने 16-12-2008 को क्लब संबंधी सूचनाएं उपलब्ध कराई। जब उप निबंधक कार्यालय ने कार्यालय अभिलेखों में मौजूद प्रपत्रों व प्रेस क्लब द्वारा उपलब्ध कराए गए प्रपत्रों की जांच कराई तो कई खामियां और गड़बड़ियां सामने आईं।

वर्ष 1998 में प्रेस क्लब के कोषाध्यक्ष पत्रकार विजय आहूजा थे। प्रेस क्लब द्वारा उप निबंधक कार्यालय को दिए गए प्रपत्र में आहूजा के स्थान पर एक अन्य पत्रकार के हस्ताक्षर हैं। जिस पत्रकार को कोषाध्यक्ष दर्शाया गया ,वह व्यक्ति उस समय पत्रकारिता में ही नहीं था। इसकी शिकायत आहूजा ने उप निबंधक से की। जांच में यह अनियमितता सामने आ गई। क्लब अध्यक्ष द्वारा दिए गए प्रपत्रों में वर्ष 2001-02 में केवल बतरा के स्थान पर अनिल चौहान को महामंत्री दर्शाया गया।  उप निबंधक कार्यालय में मौजूद पत्रावली के मुताबिक वर्ष 1998 से 2004 तक बतरा महामंत्री रहे। इसी तरह कार्यालय अभिलेखों में वर्ष 2001-02 में अनिल चौहान व राजीव शुक्ला क्रमश: कोषाध्यक्ष व संगठन मंत्री के रूप में कार्यरत रहे थे, परंतु प्रेस क्लब द्वारा सौंपी गयी पत्रावली में महेश चन्द्र पंत को कोषाध्यक्ष तथा कमल श्रीवास्तव को संगठन मंत्री दर्शाया गया है।

उपनिबंधक कार्यालय में प्रस्तुत प्रेस क्लब, उधमसिंह नगर की आडिट रिपोर्ट में भी कई खामियां उजागर हुई हैं। इस आडिट रिपोर्ट में कोषाध्यक्ष के रूप में पत्रकार राजबहादुर शाह के हस्ताक्षर कराए गए हैं। आश्चर्यजनक बात तो यह है कि शाह इस अवधि के दौरान प्रेस क्लब के कोषाध्यक्ष थे ही नहीं। इसके अलावा प्रेस क्लब की तमाम पत्रावलियों के अवलोकन के दौरान उपनिबंधक के समक्ष अनेक खामियां उजागर हुईं जिसके उपरांत जगत सिंह चौहान ने क्लब अध्यक्ष पर भ्रामक, अपूर्ण एवं असत्य सूचनाएं देने का आरोप लगाते हुए प्रेस क्लब के नवीनीकरण की अनुमति निरस्त कर दी है। उपनिबंधक के इस फैसले के बाद प्रेस क्लब के अस्तित्व पर ही संकट पैदा हो गया है। वहीं प्रेस क्लब से जुड़े पत्रकार यह तय नहीं कर पा रहे हैं वह इस आदेश के खिलाफ न्यायालय का दरवाजा खटखटाये या नहीं क्योंकि अनियमितताएं उनके गले की हड्डी बन गयी हैं।

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