नवभारत टाइम्स, दिल्ली के एक्जीक्यूटिव एडीटर और वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप कुमार अब इस संस्थान के हिस्से नहीं रहे। सूत्रों के अनुसार 58 वर्ष की उम्र पूरी हो जाने पर उन्होंने संस्थान से रिटायरमेंट ले लिया। इसी तरह नभाटा, दिल्ली के ही, नाइट एडीटर हेमंत अग्रवाल भी कार्यमुक्त हो गए हैं। उन्होंने भी 58 वर्ष पूरे होने पर रिटायरमेंट ले लिया। इसी संस्थान में कार्यरत विवेक वार्ष्णेय (करेस्पांडेंट), सौरव भारद्वाज (कापी एडीटर), सर्वेश कुमार (कापी एडीटर), विक्रम रामपाल (कापी एडीटर) विदा ले चुके हैं। इसी ग्रुप के ‘सांध्य टाइम्स‘ के पीयूष जैन और परिशिष्ट ‘हेलो दिल्ली‘ की रश्मि यहां से विदा ले चुकी हैं। इनमें से ज्यादातर लोग मंदी के नाम पर विविध स्वरूपों की छंटनी के भेंट चढ़े हैं।
हिंदुस्तान के सुनील शाह और दुर्गाशंकर भाटी कार्यमुक्त : गुजरात में डीएनए से कई मीडियाकर्मी बाहर
दैनिक हिंदुस्तान, देहरादून के सभी विभागों से कुल मिलाकर 8 लोगों के निकाले जाने की खबर है। संपादकीय से दो विकेट गिरे हैं। सीनियर न्यूज एडीटर सुनील शाह और हरिद्वार के रिपोर्टर दुर्गाशंकर भाटी ने इस्तीफा सौंप दिया है। खबर है कि एचटी ग्रुप के हिंदी और अंग्रेजी अखबारों के पूरे देश के संपादकीय विभाग से कुल 300 लोगों (तकरीबन 15 फीसदी स्टाफ) को छांटे जाने की तैयारी है। सूत्रों के अनुसार इन लोगों को तीन-तीन महीने की तनख्वाह देकर इनसे इस्तीफा ले लिया जाएगा। अन्य विभागों से भी 15 से लेकर 25 फीसदी लोगों को बाय-बाय बोला जाएगा। सूत्रों के मुताबिक लिस्ट बनकर तैयार है और चेक भी। बताया जा रहा है कि रिटायरमेंट के करीब पहुंच चुके लोगों और कांट्रैक्ट खत्म होने के कगार पर पहुंचे लोगों पर ज्यादा गाज गिरने की आशंका है।
मकर संक्रांति के ठीक बाद भास्कर ग्रुप के अंग्रेजी अखबार डीएनए में छंटनी का दौर एक बार फिर शुरू कर दिया गया है। खबर है कि डीएनए, गुजरात के विभिन्न शहरों में कार्यरत संपादकीय सहयोगियों को दूसरी नौकरी तलाशने के लिए कह दिया गया है। इनकी संख्या एक दर्जन के करीब बताई जा रही है। भड़ास4मीडिया को विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सूरत से ऋषि बनर्जी, बड़ौदा से प्रतीक शाह और देवांशी, अहमदाबाद से संतोष, प्रकाश, मेंडलिन, साहू, उत्पल, निशित, अनिल, रितेश आदि को जाने के लिए कहा गया है। छंटनी से डीएनए, गुजरात में हड़कंप मचा हुआ है। प्रबंधन के निर्देश मिलने के बाद से संपादक लोग अपने नीचे के सहयोगियों पर अपने अधीनस्थों की छुट्टी करने के लिए दबाव बनाए हुए हैं।