आईआईपीएम वाले प्रोफेसर अरिंदम चौधरी के मीडिया प्रोजेक्ट से जुड़े मीडियाकर्मियों के दिन आजकल खराब चल रहे हैं। यह ग्रुप ‘द संडे इंडियन‘ नामक पत्रिका प्रकाशित करता है। यह वीकली मैग्जीन अंग्रेजी-हिंदी समेत 14 भाषाओं में दिल्ली से छपती है। मंदी की मार कहें या प्रयोग की असफलता, पिछले दिनों पत्रिका के अंग्रेजी संस्करण को छोड़, हिंदी समेत अन्य भाषाओं की पत्रिकाओं को वीकली की जगह पाक्षिक करने का ऐलान किया गया। जाहिर है, पत्रिका को पाक्षिक करने के बाद दूसरा काम इससे जुड़े लोगों की छंटनी का हुआ। खबर के मुताबिक इन पत्रिकाओं से जुड़े कई पत्रकारों को यह कहते हुए चलता कर दिया गया कि उनकी यहां जरूरत नहीं है।
आगरा से प्रकाशित ‘अकिंचन भारत’ में छंटनी
आगरा से प्रकाशित होने वाले अखबार ‘अकिंचन भारत’ के बारे में सूचना है कि यहां मंदी के नाम पर कई कर्मचारियों की छंटनी की गई है। सूत्रों के अनुसार आगरा यूनिट से अब तक आधा दर्जन लोगों को बाहर किया जा चुका है। इसमें कई लोग ऐसे हैं जो अमर उजाला और दैनिक जागरण जैसे अखबारों को छोड़कर ‘अकिंचन भारत’ में आए थे। इस अखबार के संपादक संजय तिवारी हैं। बताया जाता है कि संजय ने कई कर्मियों की नौकरी जाने से बचाई। सूत्रों का कहना है कि प्रबंधन के छंटनी के निर्णय के चलते इस अखबार के दूसरे ब्यूरो में कार्यरत कर्मचारी भी अपने भविष्य को लेकर अनिश्चित हैं।