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अमर उजाला, चंडीगढ़ : छह महीने में 24 गए

अमर उजाला, चंडीगढ़ जाने-अनजाने में एक रिकार्ड बनाने की ओर बढ़ रहा है। रिकार्ड यहां से पत्रकारों के नौकरी छोड़ कर जाने का है। भड़ास4मीडिया को मिली सूचना के अनुसार पिछले छह महीने में इस यूनिट से लगभग 24 लोगों ने रिजाइन कर दिया है। रिजाइन करने वालों में ब्यूरो चीफ राघवेंद्र नारायण मिश्रा, कई सीनियर सब एडीटर, सब एडीटर एवं रिपोर्टर हैं। कुछ ऐसे पत्रकार भी हैं जो यूनिट की लांचिंग के समय से ही इससे जुड़े थे। सूचना के अनुसार,  इतनी अधिक संख्या में पत्रकारों के रिजाइन का कारण स्थानीय संपादकीय प्रभारी का खराब व्यवहार है। पूर्व में वहां से जुड़े रहे कई पत्रकारों का कहना है कि जब अपशब्दों का इस्तेमाल किया जाता हो तो इस माहौल में कैसे काम किया जा सकता है? यह भी सूचना मिली है कि विगत दिनों एक महिला पत्रकार के साथ प्रभारी की कहासुनी हुई।

<p align="justify">अमर उजाला, चंडीगढ़ जाने-अनजाने में एक रिकार्ड बनाने की ओर बढ़ रहा है। रिकार्ड यहां से पत्रकारों के नौकरी छोड़ कर जाने का है। भड़ास4मीडिया को मिली सूचना के अनुसार पिछले छह महीने में इस यूनिट से लगभग 24 लोगों ने रिजाइन कर दिया है। रिजाइन करने वालों में ब्यूरो चीफ राघवेंद्र नारायण मिश्रा, कई सीनियर सब एडीटर, सब एडीटर एवं रिपोर्टर हैं। कुछ ऐसे पत्रकार भी हैं जो यूनिट की लांचिंग के समय से ही इससे जुड़े थे। सूचना के अनुसार,  इतनी अधिक संख्या में पत्रकारों के रिजाइन का कारण स्थानीय संपादकीय प्रभारी का खराब व्यवहार है। पूर्व में वहां से जुड़े रहे कई पत्रकारों का कहना है कि जब अपशब्दों का इस्तेमाल किया जाता हो तो इस माहौल में कैसे काम किया जा सकता है? यह भी सूचना मिली है कि विगत दिनों एक महिला पत्रकार के साथ प्रभारी की कहासुनी हुई।</p>

अमर उजाला, चंडीगढ़ जाने-अनजाने में एक रिकार्ड बनाने की ओर बढ़ रहा है। रिकार्ड यहां से पत्रकारों के नौकरी छोड़ कर जाने का है। भड़ास4मीडिया को मिली सूचना के अनुसार पिछले छह महीने में इस यूनिट से लगभग 24 लोगों ने रिजाइन कर दिया है। रिजाइन करने वालों में ब्यूरो चीफ राघवेंद्र नारायण मिश्रा, कई सीनियर सब एडीटर, सब एडीटर एवं रिपोर्टर हैं। कुछ ऐसे पत्रकार भी हैं जो यूनिट की लांचिंग के समय से ही इससे जुड़े थे। सूचना के अनुसार,  इतनी अधिक संख्या में पत्रकारों के रिजाइन का कारण स्थानीय संपादकीय प्रभारी का खराब व्यवहार है। पूर्व में वहां से जुड़े रहे कई पत्रकारों का कहना है कि जब अपशब्दों का इस्तेमाल किया जाता हो तो इस माहौल में कैसे काम किया जा सकता है? यह भी सूचना मिली है कि विगत दिनों एक महिला पत्रकार के साथ प्रभारी की कहासुनी हुई।

वो महिला प्रभारी के केबिन में ही बेहोश हो गई। दूसरे दिन से उसने नौकरी छोड़ दी। इसी यूनिट में कार्यरत एक अन्य महिला पत्रकार द्वारा प्रभारी की लिखित शिकायत शीर्ष संपादकीय नेतृत्व से करने की बात सामने आई है। इन सब आरोपों के बारे में भड़ास4मीडिया प्रतिनिधि ने जब प्रभारी से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने व्यस्तता की बात कह बात करने से इंकार कर दिया।

छह माह में रिजाइन करने वालों में प्रमुख नाम इस प्रकार है- राजेश कुमार, अमित गुप्ता, अनवर मजीद, रतन सिंह शेखावत, कुणाल, राघवेंद्र नारायण मिश्रा, उमेश शुक्ला, अनिल भारद्वाज, रामकृष्ण उपाध्याय, सुरेंद्र धीमान, आशा अर्पित, अटल तिवारी, गौरव त्रिपाठी, एकता शर्मा, आशीष तिवारी, ललित कुमार।

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