एक साथ कई यूनिटों से सैकड़ों लोगों को बाहर करने से भास्कर समूह के मीडियाकर्मियों के बीच मचे हड़कंप को अब शांत करने की कोशिशें शुरू हो गई हैं। भड़ास4मीडिया को सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार छंटनी अभियान से अपने कर्मियों के कान खड़े होने के बाद भास्कर प्रबंधन ने उन्हें पुचकार कर सामान्य करना शुरू कर दिया है। प्रबंधन ने अपने खास लोगों को इस अभियान पर लगा दिया है। ये लोग भरोसा दिलाने में जुटे हैं कि अब किसी की नौकरी नहीं जाएगी लेकिन मीडियाकर्मियों के बीच दहशत का ये आलम है कि हर एक का दिल धड़क रहा है। कई लोगों ने तो दूसरी जगहों पर नौकरी के लिए खटखटाना शुरू कर दिया है।
आशंका के बादल छंटे, यह तो रेशनलाइजेशन है, दो बगावती बर्खास्त
”आशंका के बादल छंटे!”
सूत्रों के अनुसार मध्य प्रदेश के स्टेट हेड ने सभी संपादकीय प्रभारियों, ब्यूरो चीफों को एक मेल के जरिए कहा है कि आशंका के बादल छंट चुके हैं और अब सभी लोग मन लगाकर काम करें, किसी की नौकरी नहीं जाएगी। सूत्रों का कहना है कि हर जगह छंटनी शुरू होने और इसकी खबर भड़ास4मीडिया के जरिए पूरे देश तक पहुंचने से भास्कर की ब्रांड इमेज भी प्रभावित होने लगी थी। भास्कर के सभी मीडियाकर्मी आशंकित हो चुके थे और खबरों में दिल लगाने के बजाय खुद के भविष्य पर निगाह गड़ाए हुए थे। ऐसे में प्रबंधन ने तुरंत नया पैंतरा लेते हुए सबको भरोसा देने का अभियान शुरू कर दिया है। वैसे, कहा ये भी जा रहा है कि एक ही झटके में सभी को निपटा दिया गया है। उसके बाद अब बचे हुए लोगों को सामान्य किया जा रहा है।
”इसे रेशनलाइजेशन कहिए जनाब!”
सूत्रों का कहना है कि भास्कर ग्रुप ने मंदी के मौके का ‘स्टाफ रेशनलाइजेशन’ के लिहाज से इस्तेमाल किया है। इस रेशनलाइलेजशन में सबसे कम स्टाफ वाली यूनिट को माडल मानते हुए उसी के नक्शेकदम पर सभी को चलने के निर्देश दिए गए। इस आदेश से भोपाल और इंदौर जैसी यूनिटें तुरंत घेरे में आ गईं क्योंकि इन यूनिटों में माडल यूनिट से कहीं ज्यादा स्टाफ बताया गया। इसके चलते यहां से ऐसे पुराने लोग हटा दिए गए जो वर्षों बरस तक भास्कर के साथ जुड़े रहे।
”पेज आपरेटर बाहर, विभाग खत्म”
भड़ास4मीडिया को मिली जानकारी के अनुसार पंजाब के जालंधर, चंडीगढ़ आदि सेंटरों से सभी पेज आपरेटरों और कई पत्रकारों की छुट्टी कर दी गई है। सूत्रों का कहना है कि लुधियाना से 22, जालंधर से 15 और अमृतसर से 8 पेज आपरेटरों को हटा दिया गया है। इन सभी जगहों पर सिर्फ पेज आपरेटरों के इंचार्ज ही बचे हैं। पेज बनाने का काम संपादकीय विभाग को पूरी तरह सौंप दिया गया है। उधर, हरियाणा में दैनिक भास्कर के पानीपत आफिस से 13 पेज आपरेटरों को हटा दिया गया है। ऐसा सिर्फ पंजाब में ही नहीं बल्कि मध्य प्रदेश और राजस्थान आदि राज्यों में भी किया गया है।
”यह तो प्रबंधन से जुड़ा मामला है!”
रही पत्रकारों की छंटनी का सवाल तो भड़ास4मीडिया को कुछ के नाम पता चले हैं। दैनिक भास्कर, चंडीगढ़ में संपादकीय सलाहकार के पद पर कार्यरत वरिष्ठ पत्रकार चंद्र शर्मा, फीचर डेस्क देखने वाली नीरा लूंबा, सब एडीटर मीना छाबड़ा एवं ज्योति कपूर, ट्रेनी नीतू लतांत को अगले महीने तक कहीं और व्यवस्था कर लेने के लिए कह दिया गया है। इस बारे में जब चंडीगढ़ के संपादक प्रभात सिंह से भड़ास4मीडिया ने संपर्क साधा तो उन्होंने प्रबंधन से जुड़ा मामला बताते हुए इस प्रकरण पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। दैनिक भास्कर, अमृतसर के संपादकीय विभाग से भी कुछ लोगों के निकाले जाने की अपुष्ट सूचना मिली है। पंजाब की ही तरह मध्य प्रदेश और राजस्थान की प्रत्येक यूनिट में जबरदस्त ‘रेशनलाइजेशन’ किया गया है। दैनिक भास्कर, कोटा के सभी विभागों से मिलाकर 13 लोगों के बाहर किए जाने की खबर मिली है। यहां छंटनी के शिकार एडीटोरियल की बजाय अन्य विभागों के लोग ज्यादा हुए हैं।
”दो बगावती बर्खास्त”
छंटनी के खिलाफ बगावत करने वाले दैनिक भास्कर, विलासपुर के आठ पत्रकारों के बारे में खबर है कि प्रबंधन ने इनमें से दो पत्रकारों मनोज व्यास और शरद पांडेय को बर्खास्त और छह लोगों का तबादला कर दिया है। शैलेंद्र पांडे एवं योगेश्वर शर्मा का तबादला कर उन्हें अंबिकापुर भेज दिया गया है। वीवी रमण किरण और यासीन अंसारी को प्रबंधन ने रायगढ़ जाने को कह दिया है। सुनील शर्मा को जसपुरा और पारस पाठक का ट्रांसफर राजगीर किया गया है। बताया जाता है कि पारस पाठक ने नई जगह पर ज्वाइन कर लिया है और योगेश्वर शर्मा भी जल्द ही ज्वाइन करेंगे। शैलेंद्र पांडे समेत दो पत्रकारों ने ज्वाइन नहीं करने का फैसला किया है। इन दोनों पत्रकारों का कहना है कि वे अपने अधिकारों के लिए आखिर तक लड़ेंगे।