कोर्ट के आदेश के बाद से बिलासपुर आफिस में ड्यूटी कर रहे
कोर्ट के आदेश के खिलाफ भास्कर की याचिका खारिज
दैनिक भास्कर, बिलासपुर प्रबंधन को छंटनी के शिकार पत्रकारों ने पानी पिला रखा है। छंटनी के शिकार पत्रकारों में से चार ने भास्कर प्रबंधन पर पिछले दिनों मुकदमा ठोंक दिया था। कोर्ट ने तब इन पत्रकारों के मामले के निपटने तक भास्कर प्रबंधन को इन्हें काम पर रखने और कहीं तबादला न करने का आदेश दिया था। परेशान भास्कर प्रबंधन ने इस आदेश को द्वितीय व्यवहार न्यायालय के यहां चुनौती दी और इसे खारिज करने का अनुरोध किया। पत्रकारों के वकील पं. विजय मिश्रा ने लंबी बहस की। 23 जनवरी को विद्वान न्यायाधीश ने भास्कर प्रबंधन की अपील खारिज कर दी।
जज ने सप्तम व्यवहार न्यायाधीश के अंतरिम राहत आदेश को न्यायपूर्ण बताया। इस आदेश से छंटनी के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ रहे चारों पत्रकारों के हौसले बुलंद हुए हैं। इन सभी पत्रकारों ने भारतीय न्याय व्यवस्था के प्रति आस्था जताते हुए कहा कि पीड़ितों को यहां न्याय मिलता है, यह पूरी तरह साबित हो गया है।
उल्लेखनीय है कि 13 दिसंबर 2008 को छंटनी के विरोध में आठ पत्रकारों के सामूहिक अवकाश पर जाने से नाराज भास्कर प्रबंधन ने इनमें से छह का तबादला अन्यत्र कर दिया जबकि दो पत्रकारों शरद पांडेय व मनोज व्यास को टर्मिनेट कर बाहर का रास्ता दिखा दिया। मनोज व्यास ने भास्कर के फैसले का विरोध करने का साहस नहीं दिखाया लेकिन शरद पांडेय ने इसे लेकर न्यायालय में गुहार लगाई। दो पत्रकार योगेश्वर शर्मा और पारस पाठक भास्कर के ब्यूरो आफिस अंबिकापुर व जांजगीर-चांपा में कार्य कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि उनेक साथ इन आफिसों में अच्छा व्यवहार नहीं किया जा रहा है। इन लोगों के सामूहिक अवकाश पर जाने को लेकर अभी तक प्रताड़ित किया जा रहा है। बचे हुए चार पत्रकारों शैलेंद्र पांडेय, यासीन अंसारी, रमण किरण व सुनील शर्मा वर्तमान में कोर्ट के आदेश पर दैनिक भास्कर के बिलासपुर स्थित कार्यालय में कार्यरत हैं। उनकी ससम्मान वापसी पर बिलासपुर प्रेस क्लब परिवार ने खुशी जाहिर की है। एक प्रिंटिंग प्रेस के संचालक ने पत्रकारों के इस क्रांतिकारी कदम को पुस्तक का रूप देकर हमेशा के लिए यादगार बनाए रखने की बात कही है।
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