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अगले महीने ‘चौथी दुनिया’ का होगा पुनर्जन्म

हिंदी पत्रकारिता के इतिहास का पहला साप्ताहिक ब्राडशीट अखबार ‘चौथी दुनिया’ फिर से शुरू होने जा रहा है। इस अखबार को नए साल के पहले महीने के आखिर तक मार्केट में लाने की तैयारी है। इसे दुबारा लाने का जिम्मा ‘गैनन डंकरली’ की सहायक कंपनी ‘अंकुश पब्लिकेशन’ ने उठाया है। कमल मोरारका इसके मालिक हैं। अखबार 20 पन्नों का होगा और अपने चिर-परिचित अंदाज में हिंदी क्षेत्र के ओपिनियन मेकर्स और डिसीजन मेकर्स को टारगेट करेगा। कंपनी ने नोएडा और दिल्ली (कनाट प्लेस) में आफिस भी ले लिया है। सूत्रों का कहना है कि चौथी दुनिया के पुनर्जन्म का प्रोजेक्ट 35 करोड़ रुपये का है। शुरुआत में इसकी एक लाख कापियां प्रकाशित होंगी। उल्लेखनीय है कि वर्ष 1986 में यह साप्ताहिक अखबार तब शुरू हुआ था, जब ‘दिनमान’ बंद हो गया था।

<p align="justify">हिंदी पत्रकारिता के इतिहास का पहला साप्ताहिक ब्राडशीट अखबार 'चौथी दुनिया' फिर से शुरू होने जा रहा है। इस अखबार को नए साल के पहले महीने के आखिर तक मार्केट में लाने की तैयारी है। इसे दुबारा लाने का जिम्मा 'गैनन डंकरली' की सहायक कंपनी 'अंकुश पब्लिकेशन' ने उठाया है। कमल मोरारका इसके मालिक हैं। अखबार 20 पन्नों का होगा और अपने चिर-परिचित अंदाज में हिंदी क्षेत्र के ओपिनियन मेकर्स और डिसीजन मेकर्स को टारगेट करेगा। कंपनी ने नोएडा और दिल्ली (कनाट प्लेस) में आफिस भी ले लिया है। सूत्रों का कहना है कि चौथी दुनिया के पुनर्जन्म का प्रोजेक्ट 35 करोड़ रुपये का है। शुरुआत में इसकी एक लाख कापियां प्रकाशित होंगी। उल्लेखनीय है कि वर्ष 1986 में यह साप्ताहिक अखबार तब शुरू हुआ था, जब 'दिनमान' बंद हो गया था। </p>

हिंदी पत्रकारिता के इतिहास का पहला साप्ताहिक ब्राडशीट अखबार ‘चौथी दुनिया’ फिर से शुरू होने जा रहा है। इस अखबार को नए साल के पहले महीने के आखिर तक मार्केट में लाने की तैयारी है। इसे दुबारा लाने का जिम्मा ‘गैनन डंकरली’ की सहायक कंपनी ‘अंकुश पब्लिकेशन’ ने उठाया है। कमल मोरारका इसके मालिक हैं। अखबार 20 पन्नों का होगा और अपने चिर-परिचित अंदाज में हिंदी क्षेत्र के ओपिनियन मेकर्स और डिसीजन मेकर्स को टारगेट करेगा। कंपनी ने नोएडा और दिल्ली (कनाट प्लेस) में आफिस भी ले लिया है। सूत्रों का कहना है कि चौथी दुनिया के पुनर्जन्म का प्रोजेक्ट 35 करोड़ रुपये का है। शुरुआत में इसकी एक लाख कापियां प्रकाशित होंगी। उल्लेखनीय है कि वर्ष 1986 में यह साप्ताहिक अखबार तब शुरू हुआ था, जब ‘दिनमान’ बंद हो गया था।

‘रविवार’ के एक्सटेंशन ‘चौथी दुनिया’ ने उससे हुए खालीपन को न सिर्फ भरा बल्कि कई नए कीर्तिमान भी स्थापित किए। जब मेरठ में ‘मलियाना-हाशिमपुरा’ दंगे हुए और 60 लोगों को गोली मार दी गई तब चौथी दुनिया ने साहस के साथ इस मामले को उठाया। कई किसान आंदोलनों का नेतृत्व करने का श्रेय भी इसी अखबार को जाता है। हिंदी पत्रकारिता के इतिहास में कलर सप्लीमेंट निकालने का आइडिया भी बाकी अखबारों ने  इसी से लिया। छह साल तक लगातार प्रकाशन और पत्रकारिता के इतिहास में कई ‘मानक’ दर्ज करने के बाद यह अखबार 1992 में बंद हो गया था। इस अखबार से जितने भी लोग जुड़े रहे वे आज मीडिया के बड़े नाम बन गए हैं। इनमें संतोष भारतीय, रामकृपाल सिंह, कमर वहीद नकवी, अजीत अंजुम, अरविंद कुमार सिंह, आलोक पुराणिक आदि प्रमुख हैं।

चौथी दुनिया की नई पारी शुरू कराने से जुड़े एक उच्च पदस्थ सूत्र ने बताया कि पत्रकारिता की जो जरूरत है वह आज भी पूरी नहीं हो पा रही है। फिजूल की खबरों के बीच आम लोगों की खबरें, उनके दुख-दर्द, उनकी समस्याएं, उनके अधिकार सब दब के रह गए हैं। इसी को देखते हुए हमने इसे दुबारा शुरू करने का फैसला किया है। हम प्री-पीपुल जर्नलिज्म करेंगे। 16 साल बाद बदले हुए बाजार के सवाल पर उनका कहना था कि बाजार यह कभी नहीं कहता कि सही खबर मत दिखाओ। आज लोगों ने खुद ही बाजार को अपने ऊपर ओढ़ लिया है। चौथी दुनिया का पीआर जर्नलिजम से कतई कोई नाता नहीं रहेगा।

उन्होंने कहा कि हम वहीं से अपनी बात शुरू करेंगे, जहां से छोड़ा था। इसके लिए हम ऐसे युवा पत्रकारों की तलाश कर रहे हैं जिनके पास सामाजिक दृष्टि एवं खबरों का विश्लेषण करने की क्षमता हो, जो सार्थक पत्रकारिता करने का माद्दा रखते हों। अगर आपको लगता है कि आप इस मानक पर खरे उतरेंगे तो अपना बायोडाटा [email protected] पर भेज सकते हैं।

इस बीच, खबर यह भी है कि ‘चौथी दुनिया’ के मालिक कमल मोरारका का मुंबई में जो अंग्रेजी अखबार ‘आफ्टरनून’ नाम से प्रकाशित होता है, उसे भी दिल्ली से लांच किए जाने की तैयारी है। सूत्रों का कहना है कि आफ्टरनून का प्रकाश चौथी दुनिया की लांचिंग के छह महीने बाद शुरू होगा।

 

 

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